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हिमाचल की राजनीति में राजपूतों का दबदबा, भाजपा के 68 में से 28 प्रत्याशी ठाकुर, 9 ब्राह्मण

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजनीति में जातिगत समीकरण को नकारा नहीं जा सकता (Rajputs in Himachal Politics) है. प्रदेश में राजपूत (Rajput) और ब्राह्मण समुदाय (Brahmin) की सबसे ज्यादा आबादी है. यहां राजपूत का राजनीति में मजबूत धमक मानी जाती है. जिस तरह गुजरात में पाटीदार फैक्टर के बिना चुनाव नहीं जीता जा सकता है. उसी तरह हिमाचल की राजनीति में राजपूतों के बिना सत्ता को हासिल नहीं किया जा सकता है...

Rajputs are considered kingmakers
हिमाचल की राजनीति में राजपूतों का दबदबा
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Published : Oct 20, 2022, 6:45 PM IST

शिमला: हिमाचल की राजनीति में राजपूतों का दबदबा अधिक रहा (Rajputs in Himachal Politics) है. अब तक हिमाचल के कुल 6 मुख्यमंत्रियों में से 5 राजपूत रहे हैं. जिनमें प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत परमार, रामलाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, प्रेम कुमार धूमल और मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर शामिल है. राजपूत बहुल राज्य में शांता कुमार ही इकलौते ब्राह्मण मुख्यमंत्री हैं. शांता कुमार दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं. हिमाचल चुनाव में जातिगत समीकरण का बोलबाला भले बिहार, यूपी की तरह ना हो लेकिन राजपूत बहुल राज्य में पार्टियां उम्मीदवार चुनते वक्त इसका ध्यान रखती हैं. हिमाचल में बीजेपी ने सभी 68 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है और इस सूची में भी राजपूतों का ही बोलबाला है. (Himachal pradesh assembly election 2022) (Himachal election Date) (Caste in Himachal Election 2022).

68 में से 28 राजपूत चेहरे- बीजेपी ने पहली लिस्ट में 62 और दूसरी लिस्ट में 6 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए. बीजेपी ने कुल 28 राजपूत चेहरों को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस सूची पर नजर डालें तो मंडी जिले की सिराज सीट से सीएम जयराम ठाकुर उम्मीदवार हैं जो बुधवार को नामांकन भर चुके हैं. इसके अलावा डलहौजी से डीएस ठाकुर, भटियात से विक्रम जरियाल, नूरपुर से रणवीर सिंह निक्का, फतेहपुर से राकेश पठानिया, जसवां-परागपुर से बिक्रम ठाकुर, शिमला ग्रामीण से रवि मेहता, ज्वाली से संजय गुलेरिया, सुलह से विपिन सिंह परमार, मनाली से गोविंद ठाकुर, सुंदरनगर से राकेश जम्वाल, जुब्बल से चेतन बरागटा, ठियोग से अजय श्याम, द्रंग से पूर्ण ठाकुर, जोगेंद्र नगर से प्रकाश राणा, धर्मपुर से रजत ठाकुर, सरकाघाट से दिलीप ठाकुर, सुजानपुर से रणजीत सिंह, हमीरपुर से नरेंद्र ठाकुर, गगरेट से राजेश ठाकुर, ऊना से सतपाल सिंह सत्ती, कुटलैहड़ से वीरेंद्र कंवर, बिलासपुर सदर से त्रिलोक जम्वाल, नालागढ़ से लखविंद्र सिंह राणा, शिलाई से बलदेव तोमर, कुल्लू से महेश्वर सिंह, बंजार से सुरेंद्र शौरी, ज्वालामुखी से रविंद्र सिंह रवि और कुल्लू सीट से महेश्वर सिंह को टिकट दिया है. (Caste factor in Himachal) (Rajput in Himachal Politics) (Caste Equation in Himachal)

9 ब्राह्मण उम्मीदवारों को टिकट- अनुमान के मुताबिक हिमाचल में राजपूतों के बाद ओबीसी और फिर ब्राह्मणों की आबादी सबसे अधिक है. इसकी झलकी बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट में भी नजर आती है. पार्टी ने इस बार 9 ब्राह्मण प्रत्याशियों को चुनाव में उतारा है. इनमें कैबिनेट मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा का नाम सबसे खास है जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लाहौल स्पीति सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, रामलाल मारकंडा लाहौल-स्पीति से ही मौजूदा विधायक हैं. इसके अलावा कसुम्पटी से सुरेश भारद्वाज, मंडी सदर से अनिल शर्मा, नादौन से विजय अग्निहोत्री, घुमारवीं से राजेंद्र गर्ग, श्रीनैनादेवी से रणधीर शर्मा, हरोली से प्रोफेसर राम कुमार और अर्की से गोविंद राम शर्मा बड़सर से माया शर्मा को टिकट दिया गया हैं. (Rajput in BJP Candidate List in Himachal)

सरकार में भी राजपूतों का वर्चस्व- विधानसभा में ही नहीं हिमाचल सरकार में भी राजपूतों का वर्चस्व रहा है. मौजूदा सरकार में मुख्यमंत्री को मिलाकर कुल 12 मंत्री है, जिनमें जयराम ठाकुर समेत 6 मंत्री राजपूत हैं. हिमाचल मंत्रिमंडल में सीएम जयराम ठाकुर के अलावा, गोविंद ठाकुर, बिक्रम ठाकुर, राकेश पठानिया, महेंद्र सिंह ठाकुर, वीरेंद्र कंवर राजपूत हैं. हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार भी राजपूत हैं. 68 विधायकों वाली विधानसभा में साल 2017 के चुनाव में 33 सीटों पर राजपूत चेहरों को जीत मिली. जिनमें बीजेपी के 18, कांग्रेस से 12, सीपीआईएम का एक और दो निर्दलीय चेहरे विधायक बने.

हिमाचल की राजनीति में कांग्रेस में भी राजपूत नेताओं का दबदबा रहा है. कांग्रेस में वीरभद्र सिंह छह बार सीएम रहे हैं. इसके अलावा ठाकुर सुखविंद्र सिंह, हर्षवर्धन चौहान, रोहित ठाकुर, भवानी सिंह पठानिया, विक्रमादित्य सिंह सरीखे राजपूत नेता मौजूद हैं. माकपा विधायक राकेश सिंघा भी राजपूत हैं. (HP Elections 2022) (Himachal caste equation for assembly election).

हिमाचल की आरक्षित सीटें- वैसे यहां इस बात का जिक्र करना बेहद जरूरी है कि हिमाचल में 20 आरक्षित सीटें हैं. इनमें से 17 सीटें अनुसूचित जाति और 3 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इस तरह सिर्फ 48 सीटें अनारक्षित हैं. कुल मिलाकर हिमाचल में जातिगत समीकरण देखकर ही सियासी दल चुनाव की तैयारी करते हैं और उम्मीदवार तय करते हैं.

ये भी पढ़ें: बंजार से आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगे हितेश्वर सिंह, अब संकट में महेश्वर सिंह का टिकट!

शिमला: हिमाचल की राजनीति में राजपूतों का दबदबा अधिक रहा (Rajputs in Himachal Politics) है. अब तक हिमाचल के कुल 6 मुख्यमंत्रियों में से 5 राजपूत रहे हैं. जिनमें प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत परमार, रामलाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, प्रेम कुमार धूमल और मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर शामिल है. राजपूत बहुल राज्य में शांता कुमार ही इकलौते ब्राह्मण मुख्यमंत्री हैं. शांता कुमार दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं. हिमाचल चुनाव में जातिगत समीकरण का बोलबाला भले बिहार, यूपी की तरह ना हो लेकिन राजपूत बहुल राज्य में पार्टियां उम्मीदवार चुनते वक्त इसका ध्यान रखती हैं. हिमाचल में बीजेपी ने सभी 68 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है और इस सूची में भी राजपूतों का ही बोलबाला है. (Himachal pradesh assembly election 2022) (Himachal election Date) (Caste in Himachal Election 2022).

68 में से 28 राजपूत चेहरे- बीजेपी ने पहली लिस्ट में 62 और दूसरी लिस्ट में 6 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए. बीजेपी ने कुल 28 राजपूत चेहरों को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस सूची पर नजर डालें तो मंडी जिले की सिराज सीट से सीएम जयराम ठाकुर उम्मीदवार हैं जो बुधवार को नामांकन भर चुके हैं. इसके अलावा डलहौजी से डीएस ठाकुर, भटियात से विक्रम जरियाल, नूरपुर से रणवीर सिंह निक्का, फतेहपुर से राकेश पठानिया, जसवां-परागपुर से बिक्रम ठाकुर, शिमला ग्रामीण से रवि मेहता, ज्वाली से संजय गुलेरिया, सुलह से विपिन सिंह परमार, मनाली से गोविंद ठाकुर, सुंदरनगर से राकेश जम्वाल, जुब्बल से चेतन बरागटा, ठियोग से अजय श्याम, द्रंग से पूर्ण ठाकुर, जोगेंद्र नगर से प्रकाश राणा, धर्मपुर से रजत ठाकुर, सरकाघाट से दिलीप ठाकुर, सुजानपुर से रणजीत सिंह, हमीरपुर से नरेंद्र ठाकुर, गगरेट से राजेश ठाकुर, ऊना से सतपाल सिंह सत्ती, कुटलैहड़ से वीरेंद्र कंवर, बिलासपुर सदर से त्रिलोक जम्वाल, नालागढ़ से लखविंद्र सिंह राणा, शिलाई से बलदेव तोमर, कुल्लू से महेश्वर सिंह, बंजार से सुरेंद्र शौरी, ज्वालामुखी से रविंद्र सिंह रवि और कुल्लू सीट से महेश्वर सिंह को टिकट दिया है. (Caste factor in Himachal) (Rajput in Himachal Politics) (Caste Equation in Himachal)

9 ब्राह्मण उम्मीदवारों को टिकट- अनुमान के मुताबिक हिमाचल में राजपूतों के बाद ओबीसी और फिर ब्राह्मणों की आबादी सबसे अधिक है. इसकी झलकी बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट में भी नजर आती है. पार्टी ने इस बार 9 ब्राह्मण प्रत्याशियों को चुनाव में उतारा है. इनमें कैबिनेट मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा का नाम सबसे खास है जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लाहौल स्पीति सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, रामलाल मारकंडा लाहौल-स्पीति से ही मौजूदा विधायक हैं. इसके अलावा कसुम्पटी से सुरेश भारद्वाज, मंडी सदर से अनिल शर्मा, नादौन से विजय अग्निहोत्री, घुमारवीं से राजेंद्र गर्ग, श्रीनैनादेवी से रणधीर शर्मा, हरोली से प्रोफेसर राम कुमार और अर्की से गोविंद राम शर्मा बड़सर से माया शर्मा को टिकट दिया गया हैं. (Rajput in BJP Candidate List in Himachal)

सरकार में भी राजपूतों का वर्चस्व- विधानसभा में ही नहीं हिमाचल सरकार में भी राजपूतों का वर्चस्व रहा है. मौजूदा सरकार में मुख्यमंत्री को मिलाकर कुल 12 मंत्री है, जिनमें जयराम ठाकुर समेत 6 मंत्री राजपूत हैं. हिमाचल मंत्रिमंडल में सीएम जयराम ठाकुर के अलावा, गोविंद ठाकुर, बिक्रम ठाकुर, राकेश पठानिया, महेंद्र सिंह ठाकुर, वीरेंद्र कंवर राजपूत हैं. हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार भी राजपूत हैं. 68 विधायकों वाली विधानसभा में साल 2017 के चुनाव में 33 सीटों पर राजपूत चेहरों को जीत मिली. जिनमें बीजेपी के 18, कांग्रेस से 12, सीपीआईएम का एक और दो निर्दलीय चेहरे विधायक बने.

हिमाचल की राजनीति में कांग्रेस में भी राजपूत नेताओं का दबदबा रहा है. कांग्रेस में वीरभद्र सिंह छह बार सीएम रहे हैं. इसके अलावा ठाकुर सुखविंद्र सिंह, हर्षवर्धन चौहान, रोहित ठाकुर, भवानी सिंह पठानिया, विक्रमादित्य सिंह सरीखे राजपूत नेता मौजूद हैं. माकपा विधायक राकेश सिंघा भी राजपूत हैं. (HP Elections 2022) (Himachal caste equation for assembly election).

हिमाचल की आरक्षित सीटें- वैसे यहां इस बात का जिक्र करना बेहद जरूरी है कि हिमाचल में 20 आरक्षित सीटें हैं. इनमें से 17 सीटें अनुसूचित जाति और 3 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इस तरह सिर्फ 48 सीटें अनारक्षित हैं. कुल मिलाकर हिमाचल में जातिगत समीकरण देखकर ही सियासी दल चुनाव की तैयारी करते हैं और उम्मीदवार तय करते हैं.

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