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राजस्थान : जयपुर DGGI ने दिल्ली में पकड़ा क्राइम सिंडिकेट, 1047 करोड़ की धोखाधड़ी...13 अन्य राज्यों में फैला है जाल

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Published : Jun 26, 2023, 10:46 PM IST

डीजीजीआई की जयपुर यूनिट ने दिल्ली स्थित एक बड़े क्राइम सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है. यह सिंडिकेट 569 शेल कंपनियों के जरिए 1047 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की आईटीसी बनाई थी.

ITC of crores through shell companies
DGGI ने दिल्ली स्थित सिंडिकेट का किया भंडाफोड़

जयपुर. डीजीजीआई (गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय) की जयपुर जोनल यूनिट ने दिल्ली में फर्जी फर्मों का संचालन और प्रबंधन करने वाले सिंडिकेट के खिलाफ अभियान के तहत एक बड़े अपराध सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है. डीजीजीआई की ओर से सोमवार को प्रेस नोट जारी कर यह खुलासा किया गया. डीजीजीआई की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि इस सिंडिकेट का फर्मों, बैंक खातों, सिम कार्डों को खरीदने, उनके आरटीजीएस/नकद हस्तांतरण का प्रबंधन करने और उनके और लाभार्थी फर्मों के बीच मध्यस्थता करने के लिए विभिन्न दलालों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं.

1047 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी : प्रेस नोट के अनुसार मास्टरमाइंड दिल्ली निवासी ऋषभ जैन (30) ने इन फर्जी फर्मों को संचालित करने के लिए 10 कर्मचारियों को काम पर रखा है. लगातार रेकी और डेटा विश्लेषण के बाद, डीजीजीआई, जयपुर के अधिकारी दिल्ली में इस मास्टरमाइंड का पता लगाने में सफल हुए और उसे पकड़ लिया. यह सिंडिकेट 569 शेल फर्मों का संचालन कर रहा था और उनके माध्यम से 1047 करोड़ रुपए की भारी धोखाधड़ी वाली आईटीसी बनाई.

पढ़ें. DGGI Big Action : फर्जी फर्मों का संचालन कर 320 करोड़ का ITC लाभ उठाने वाली गैंग का भंडाफोड़, मास्टरमाइंड समेत दो गिरफ्तार

गरीब लोगों की आईडी से बनाते कंपनियां : इसमें ऐसे दलाल और एजेंट शामिल हैं, जो गरीब, जरूरतमंद और अतिसंवेदनशील लोगों की आईडी का उपयोग करके जीएसटीएन पर फर्मों को पंजीकृत करने में विशेषज्ञ हैं. इन पंजीकृत फर्मों को सिंडिकेट को बेचते हैं, जो आगे उनके माध्यम से नकली चालान जारी करते हैं. इस सिंडिकेट ने रुपए के कर योग्य कारोबार वाले चालान जारी किए हैं. इसमें 6022 करोड़ रुपए का आईटीसी शामिल हैं. इन 569 फर्जी फर्मों के माध्यम से 2000 से अधिक लाभार्थी फर्मों को 1047 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया गया.

दिल्ली के अलावा 13 राज्यों में फैला है जाल : अधिकांश फर्जी कंपनियां दिल्ली में स्थित हैं. 13 अन्य राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, गोवा, असम और उत्तराखंड में भी इस सिंडिकेट की फर्जी कंपनियां मौजूद हैं. डीजीजीआई ने सिंडिकेट और दलालों की ओर से इस्तेमाल किए गए 73 बैंक खाते जब्त किए हैं. डीजीजीआई ने ऋषभ जैन को 25 जून को गिरफ्तार किया और आर्थिक अपराध न्यायालय, जयपुर के समक्ष पेश किया. उसे कोर्ट ने 7 जुलाई तक हिरासत में भेजा है. डीजीजीआई, जयपुर जोनल यूनिट पिछले वित्त वर्ष के दौरान फर्जी आईटीसी मामलों का पता लगाने में राजस्थान में सबसे आगे रही है.

जयपुर. डीजीजीआई (गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय) की जयपुर जोनल यूनिट ने दिल्ली में फर्जी फर्मों का संचालन और प्रबंधन करने वाले सिंडिकेट के खिलाफ अभियान के तहत एक बड़े अपराध सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है. डीजीजीआई की ओर से सोमवार को प्रेस नोट जारी कर यह खुलासा किया गया. डीजीजीआई की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि इस सिंडिकेट का फर्मों, बैंक खातों, सिम कार्डों को खरीदने, उनके आरटीजीएस/नकद हस्तांतरण का प्रबंधन करने और उनके और लाभार्थी फर्मों के बीच मध्यस्थता करने के लिए विभिन्न दलालों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं.

1047 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी : प्रेस नोट के अनुसार मास्टरमाइंड दिल्ली निवासी ऋषभ जैन (30) ने इन फर्जी फर्मों को संचालित करने के लिए 10 कर्मचारियों को काम पर रखा है. लगातार रेकी और डेटा विश्लेषण के बाद, डीजीजीआई, जयपुर के अधिकारी दिल्ली में इस मास्टरमाइंड का पता लगाने में सफल हुए और उसे पकड़ लिया. यह सिंडिकेट 569 शेल फर्मों का संचालन कर रहा था और उनके माध्यम से 1047 करोड़ रुपए की भारी धोखाधड़ी वाली आईटीसी बनाई.

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गरीब लोगों की आईडी से बनाते कंपनियां : इसमें ऐसे दलाल और एजेंट शामिल हैं, जो गरीब, जरूरतमंद और अतिसंवेदनशील लोगों की आईडी का उपयोग करके जीएसटीएन पर फर्मों को पंजीकृत करने में विशेषज्ञ हैं. इन पंजीकृत फर्मों को सिंडिकेट को बेचते हैं, जो आगे उनके माध्यम से नकली चालान जारी करते हैं. इस सिंडिकेट ने रुपए के कर योग्य कारोबार वाले चालान जारी किए हैं. इसमें 6022 करोड़ रुपए का आईटीसी शामिल हैं. इन 569 फर्जी फर्मों के माध्यम से 2000 से अधिक लाभार्थी फर्मों को 1047 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया गया.

दिल्ली के अलावा 13 राज्यों में फैला है जाल : अधिकांश फर्जी कंपनियां दिल्ली में स्थित हैं. 13 अन्य राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, गोवा, असम और उत्तराखंड में भी इस सिंडिकेट की फर्जी कंपनियां मौजूद हैं. डीजीजीआई ने सिंडिकेट और दलालों की ओर से इस्तेमाल किए गए 73 बैंक खाते जब्त किए हैं. डीजीजीआई ने ऋषभ जैन को 25 जून को गिरफ्तार किया और आर्थिक अपराध न्यायालय, जयपुर के समक्ष पेश किया. उसे कोर्ट ने 7 जुलाई तक हिरासत में भेजा है. डीजीजीआई, जयपुर जोनल यूनिट पिछले वित्त वर्ष के दौरान फर्जी आईटीसी मामलों का पता लगाने में राजस्थान में सबसे आगे रही है.

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