जोधपुर. राजस्थान के आईआईटी जोधपुर के वैज्ञानिकों ने सांप के जहर से एक पेप्टाइड बनाया है, जो शरीर के घाव को जल्द भरेगा और संक्रमण को भी रोकेगा. आईआईटी ने इसका पेटेंट भी ले लिया है. करीब चार साल की अथक मेहनत के बाद यह सफलता मिली है. इस दौरान वैज्ञानिकों ने इसका परीक्षण भी किया, जिसके परिणाम काफी सकारात्मक देखने को मिले हैं.
आईआईटी जोधपुर के बायो साइंस और बायो इंजीनियरिंग विभाग और स्मार्ट हेल्थकेयर विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुरजीत घोष ने कहा कि वर्तमान में एंटीमाइक्रोबियल रोगाणुरोधी की लगातार बढ़ती समस्या और वर्तमान में एंटीबायोटिक दवाओं की सीमितता में रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स नवीन बायोसेडल एजेंट जैवनाशक के रूप में महत्वपूर्ण हैं. हमने जो पेप्टाइड तैयार किया है उससे ई-कोली, एरुगिनोसा, निमोनिया और एमआरएसए (मेथिसिलिन-प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस) जैसे ग्राम-पॉजिटिव और ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया को नष्ट किया जा सकता है.
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जहर में से निकाला जहर : प्रो. घोष के अनुसार सांप के जहर में कई तरह के तत्व होते हैं. हमारी टीम के लोगों ने हर स्तर पर अध्ययन कर यह तय किया कि जहर की तीव्रता को कम करना होगा. नया पेप्टाइड बनाने के लिए हमने जहर के प्रमुख विषैले भाग को खत्म किया, लेकिन जहर का जो भाग हमारे काम का था उसे शरीर में पहुंचाने के लिए हमने एक हेलिकल शार्ट पेप्टाइड को जोड़ा. इसके बाद अलग-अलग तरह के परीक्षण किए. इसमें एनिमल टेस्ट और वुंड टेस्ट भी शामिल हैं.
इस टीम को लगे चार साल : प्रो. सुरजीत घोष के साथ उनकी पत्नी डॉ. साम्या सेन, डॉ. रामकमल समत, डॉ. मौमिता जश, सत्यजीत घोष, राजशेखर रॉय, नबनिता मुखर्जी, सुरोजीत घोष और डॉ. जयिता सरकार शामिल थीं. इस शोध को पेपर को जर्नल ऑफ मेडिसिनल केमिस्ट्री में प्रकाशित किया है. प्रो. घोष के अनुसार बनाए गए इस पेप्टाइड से आपरेशन के बाद के घाव को खत्म करने और संक्रमण से बचाने के लिए मलहम और इंजेक्शन बनाए जा सकते हैं. इसके टैबलेट-कैप्सूल भी बनाए जा सकते हैं. भविष्य में पेप्टाइड SP1V3_1 की एंटी प्रोटोजोअल या एंटीफंगल मॉलिक्यूल के रूप एडवांस रिसर्च की जा सकती है.