रायगढ़: रायगढ़ के मेडारमार गांव में एक नर हाथी का शव मिलने से सनसनी फैल गई. हाथी की लाश एक खेत से मिली है. कथित तौर पर बिजली का करंट लगने से हाथी की मौत की बात बताई जा रही है. अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि हाथी की मौत कैसे हुई. इस केस में अभी जांच जारी है.
करंट से हाथी के मौत की आशंका: वन अधिकारियों ने आशंका जताई है कि करंट से हाथी की मौत हुई होगी. अभी इसकी जांच की बात कही है जा रही है. हाथी के शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है. अभी इस केस की शुरुआती जांच शुरू हो गई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद और गहन जांच की जाएगी. जिसमे कोई खुलासा हो सकता है.
"लगभग 40-45 साल की उम्र के एक नर हाथी का शव मेडारमार गांव के पास सुबह 4 बजे के आसपास मिला. जिसके दांत बरकरार थे. पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि घटनास्थल पर बिजली की बाड़ होने के कारण हाथी की मौत करंट लगने से हुई है. यह किसी देव सिंह राठिया के खेत में घुस गया. जिसके बाद उसकी मौत हो गई. मौत का सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा" : अभिषेक जोगावत, वन अधिकारी, धरमजयगढ़ डिवीजन
चार साल में छत्तीसगढ़ में 50 से ज्यादा हाथियों की मौत: वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बीते चार साल में छत्तीसगढ़ के अंदर 50 से अधिक हाथियों की मौत हुई है. इनमें से अधिकतर मौतें सरगुजा, कोरबा, बलरामपुर, सूरजपुर, रायगढ़, जशपुर और कोरिया जिले में दर्ज की गई है. जिलेवार हाथियों के मौत के आंकड़े अभी वन विभाग ने जारी नहीं किए हैं.
छत्तीसगढ़ के कई इलाकों हाथी मानव संघर्ष जारी: छत्तीसगढ़ के हाथी प्रभावित जिलों की बात करें तो इसमें गौरेला पेंड्रा मरवाही, सरगुजा, कोरबा, बलरामपुर, सूरजपुर, धमतरी, रायगढ़, जशपुर और कोरिया जिले शामिला हैं. यहां बीते कई सालों मे वन भूमि घटी है. जिसकी वजह से रिहायशी इलाकों और खेतों की ओर हाथी घूम रहे हैं. इस दौरान हाथी मानव संघर्ष की स्थिति पैदा होती है. राज्य में लेमरू एलिफेंट प्रोजेक्ट को बनाने पर काम चल रहा है. लेकिन अभी यह पूरा नहीं हो पाया है. इस प्रोजेक्ट के तहत हाथियों के लिए रहवास पैदा करने की बात कही जा रही है.
सोर्स: PTI