नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने माना कि इमरजेंसी के दौरान, जो कुछ हुआ वो गलत था. कॉर्नेल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कौशिक बसु के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि आपातकाल में जो हुआ, जो गलत था और अब जो हो रहा है उसके बीच एक बुनियादी अंतर है. बिना किसी बिंदु के कांग्रेस पार्टी ने भारत के संवैधानिक ढांचे पर कब्जा करने का प्रयास नहीं किया. हमारा डिजाइन हमें इसकी अनुमति नहीं देता है. यहां तक कि अगर हम यह करना चाहें, तो हम नहीं कर सकते.
कांग्रेस नेता ने कहा कि RSS मौलिक रूप से कुछ अलग कर रहा है. वे अपने लोगों को संस्थानों में भर रहे हैं. यहां तक कि अगर हम चुनाव में बीजेपी को हराते हैं, तो हम संस्थागत ढांचे में उनके लोगों से छुटकारा नहीं पा सकते.
उन्होंने कहा कि मणिपुर के सांसदों का कहना है कि उनके राज्यपाल अपना काम नहीं करते हैं, यह सोचकर कि वह एक वैचारिक पद पर है, संवैधानिक नहीं. पुडुचेरी एलजी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को खुले तौर पर प्रभावित करती हैं, बिलों को पास नहीं होने देती, क्योंकि वह आरएसएस से संबंधित है.
राहुल गांधी ने आगे कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी में अंदरुनी लोकतंत्र को बढ़ावा देने की बात कई सालों से कर रहा हूं. इसके लिए मेरी ही पार्टी के लोगों ने मेरी आलोचना की थी. मैंने अपनी पार्टी के लोगों से कहा कि पार्टी में अंदरुनी लोकतंत्र लाना निश्चित तौर पर जरूरी है. यह मेरा आपसे सवाल है.
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उन्होंने कहा कि मैं वह व्यक्ति हूं जिसने युवा संगठन और छात्र संगठन में चुनाव को आगे बढ़ाया. मुझे चुनाव करने के लिए सचमुच क्रूस पर चढ़ाया गया था. मुझ पर मेरी ही पार्टी के लोगों ने हमला किया था.
मैं पहला व्यक्ति हूं जिसने कहा कि पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक चुनाव बिल्कुल महत्वपूर्ण है, लेकिन मेरे लिए यह दिलचस्प है कि यह सवाल किसी अन्य राजनीतिक दल से नहीं पूछा जाता है. किसी ने नहीं पूछा कि भाजपा, बसपा और समाजवादी पार्टी में कोई आंतरिक लोकतंत्र क्यों नहीं है.लेकिन वे कांग्रेस के बारे में पूछते हैं क्योंकि इसका एक कारण है. हम एक वैचारिक पार्टी हैं और हमारी विचारधारा संविधान की विचारधारा है, इसलिए हमारे लिए लोकतांत्रिक होना अधिक महत्वपूर्ण है