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पंजाब में 2200 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर ASI सुनीता ने पेश की मिसाल - लुधियाना में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार

माना जाता है कि इंसान की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार न हो पाए, तो उसकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. यहां आए दिन कई दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें लाशों की पहचान नहीं हो पाती है और उनका अंतिम संस्कार भी असंभव हो जाता है. ऐसे में पंजाब पुलिस की एएसआई सुनीता रानी को याद किया जाता है, जो लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर उन्हें मुक्ति दिलाती हैं.

ASI सुनीता
ASI सुनीता
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Published : May 20, 2022, 9:46 PM IST

Updated : May 20, 2022, 10:14 PM IST

लुधियाना : पंजाब पुलिस की एएसआई सुनीता रानी इन दिनों चर्चा में हैं और हो भी क्यों न, वह अपने कार्यों से समाज में मानवता की मिसाल पेश कर रही हैं. माना जाता है कि इंसान का मुत्यु के बाद अंतिम संस्कार न हो तो उसकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. ऐसे में कुछ लावारिस लाशों की पहचान नहीं हो पाने की सूरत में उनका अंतिम संस्कार नहीं हो पाता है. ऐसे लावारिस लाशों को मुक्ति मिले, इसलिए लुधियाना की एएसआई सुनीता रानी चार सालों से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर रही हैं. उन्होंने अब तक 2200 पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया है. इतना ही नहीं, पूरे विधि-विधान के साथ उनकी अस्थियों को ब्यास नदी में विसर्जित भी कर चुकी हैं.

लुधियाना में कम ही पुलिस अधिकारी जानते हैं कि सुनीता रानी यह सेवा कर रही हैं. लुधियाना के किसी भी अस्पताल में जब भी कोई लावारिस शव पहुंचता है तो सबसे पहले अंतिम संस्कार के लिए सुनीता रानी को याद किया जाता है. सुनीता रानी बताती हैं कि लावारिस शवों का सारा खर्च वह अपनी तनख्वाह से करती हैं. जब उन्होंने इस कार्य को शुरू किया तो कुछ लोगों ने उनका सहयोग भी किया. बाद में वे सभी पीछे हट गए, लेकिन सुनीता ने इस कार्य को जारी रखा और अकेले ही शवों का अंतिम संस्कार करती रहीं. उन्होंने बताया कि वह साल 2025 में अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त होने वाली हैं, लेकिन इसका असर उनके इस सामाजिक कार्य पर नहीं पड़ेगा. वह इस कार्य को आगे भी जारी रखेंगी.

सुनीता रानी ने बताया कि एक शव के अंतिम संस्कार में करीब 1600 रुपये का खर्च होता है. हालांकि, कोरोना काल में दाह संस्कार के खर्च बढ़ गए थे. लेकिन बाद में थोड़े कम हो गए. लुधियाना के सलेम तबरी स्थित श्मशान घाट में वह लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करती हैं. सुनीता रानी से जब पूछा गया कि आखिर वह क्यों लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करती हैं, तो उन्होंने बताया कि इससे उन्हें मानसिक रूप से शांति मिलती है और वह संतुष्टि की प्राप्त होती है. वह लावारिस शव की बेटी, बहन या मां बनकर उनका अंतिम संस्कार करती हैं.

लुधियाना के सलेम तबरी के श्मशान घाट के पंडित वेद प्रकाश ने कहा कि सुनीता रानी में एक अद्भुत अनुभूति है. उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस में होने के बावजूद उनमें सेवा की ऐसी भावना है कि उन्होंने यहां लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करना शुरू किया. न केवल बेघर, बल्कि किसी गरीब परिवार या आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के सदस्य की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार करती है और यहां तक ​​कि यदि उनके पास पैसे नहीं हैं तो सुनीता रानी उनकी आर्थिक मदद भी करती हैं.

लुधियाना : पंजाब पुलिस की एएसआई सुनीता रानी इन दिनों चर्चा में हैं और हो भी क्यों न, वह अपने कार्यों से समाज में मानवता की मिसाल पेश कर रही हैं. माना जाता है कि इंसान का मुत्यु के बाद अंतिम संस्कार न हो तो उसकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. ऐसे में कुछ लावारिस लाशों की पहचान नहीं हो पाने की सूरत में उनका अंतिम संस्कार नहीं हो पाता है. ऐसे लावारिस लाशों को मुक्ति मिले, इसलिए लुधियाना की एएसआई सुनीता रानी चार सालों से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर रही हैं. उन्होंने अब तक 2200 पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया है. इतना ही नहीं, पूरे विधि-विधान के साथ उनकी अस्थियों को ब्यास नदी में विसर्जित भी कर चुकी हैं.

लुधियाना में कम ही पुलिस अधिकारी जानते हैं कि सुनीता रानी यह सेवा कर रही हैं. लुधियाना के किसी भी अस्पताल में जब भी कोई लावारिस शव पहुंचता है तो सबसे पहले अंतिम संस्कार के लिए सुनीता रानी को याद किया जाता है. सुनीता रानी बताती हैं कि लावारिस शवों का सारा खर्च वह अपनी तनख्वाह से करती हैं. जब उन्होंने इस कार्य को शुरू किया तो कुछ लोगों ने उनका सहयोग भी किया. बाद में वे सभी पीछे हट गए, लेकिन सुनीता ने इस कार्य को जारी रखा और अकेले ही शवों का अंतिम संस्कार करती रहीं. उन्होंने बताया कि वह साल 2025 में अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त होने वाली हैं, लेकिन इसका असर उनके इस सामाजिक कार्य पर नहीं पड़ेगा. वह इस कार्य को आगे भी जारी रखेंगी.

सुनीता रानी ने बताया कि एक शव के अंतिम संस्कार में करीब 1600 रुपये का खर्च होता है. हालांकि, कोरोना काल में दाह संस्कार के खर्च बढ़ गए थे. लेकिन बाद में थोड़े कम हो गए. लुधियाना के सलेम तबरी स्थित श्मशान घाट में वह लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करती हैं. सुनीता रानी से जब पूछा गया कि आखिर वह क्यों लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करती हैं, तो उन्होंने बताया कि इससे उन्हें मानसिक रूप से शांति मिलती है और वह संतुष्टि की प्राप्त होती है. वह लावारिस शव की बेटी, बहन या मां बनकर उनका अंतिम संस्कार करती हैं.

लुधियाना के सलेम तबरी के श्मशान घाट के पंडित वेद प्रकाश ने कहा कि सुनीता रानी में एक अद्भुत अनुभूति है. उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस में होने के बावजूद उनमें सेवा की ऐसी भावना है कि उन्होंने यहां लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करना शुरू किया. न केवल बेघर, बल्कि किसी गरीब परिवार या आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के सदस्य की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार करती है और यहां तक ​​कि यदि उनके पास पैसे नहीं हैं तो सुनीता रानी उनकी आर्थिक मदद भी करती हैं.

Last Updated : May 20, 2022, 10:14 PM IST
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