चंडीगढ़: पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस के लिए पहेली की तरह है जो ना तो कांग्रेस हाईकमान सुलझा पा रही है और ना ही प्रदेश के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी.
सिद्धू को पहेली इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वे अपने बयानों की वजह से पार्टी के सामने असमंजस की स्थिति लगातार बनाते रहते हैं. नवजोत सिंह पार्टी के खिलाफ ऐसे सवाल उठाते हैं जिसका जवाब देना पार्टी को ही भारी पड़ता है.
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को कुर्सी से हटाने के बाद अब नवनियुक्त मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी की कार्यशैली पर भी नवजोत सवाल उठाने लगे हैं. पहले तो वे पार्टी को 18 नुक्ते दिखाकर धमकाते नजर आते हैं, वही अब जब वर्तमान मुख्यमंत्री लोगों को सस्ती बिजली देने का वादा करते हैं तो वे उसको लेकर भी अपनी ही सरकार पर सवाल उठाते हैं. सिद्धू जो सवाल अपनी सरकार पर उठाते हैं उससे ऐसा लगता है जैसे कि वे विपक्ष की भूमिका निभा रहे हों. यानी जो बातें विपक्ष को पहली चाहिए सिद्धू उस तरह की बातें करते हुए नजर आते हैं. फिर चाहे सरकार के कार्यकलापों पर सवाल उठाना हो या फिर उसके द्वारा की जा रही घोषणाओं को संदेह की नजर से देखना. यह सब काम सिद्धू विपक्ष के नेता की तरह करते दिखाई देते हैं.
ऐसे में अब कई तरह के सवाल उठ रहे हैं सवाल यह है कि नवजोत सिंह सिद्धू बीजेपी की बी टीम की भूमिका निभा रहे हैं क्योंकि उन्होंने पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद केंद्र की मोदी सरकार पर इतने सवाल नहीं उठाए हैं, जितने उन्होंने अपनी सरकार पर सवाल दागे हैं. ऐसे में उनकी भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं. वहीं, कांग्रेस पार्टी उनको लेकर अभी असमंजस की स्थिति में दिखाई देती है क्योंकि ना तो पार्टी से सिद्धू निगले जा रहे हैं ना उगले जा रहे हैं. पार्टी अभी भी सिद्धू को लेकर कशमकश में दिखाई देती है. तभी वे सिद्धू के अपनी पार्टी के खिलाफ आवाज उठाने के बाद भी उन्हें पार्टी से बाहर करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई है.
इन हालातों में कांग्रेस में सिद्धू को लेकर क्या चल रहा है इसको लेकर भी अब सवाल उठने लगे हैं. सवाल यह है कि क्या कांग्रेस पार्टी सिद्धू को वर्तमान में जो वह कर रहे हैं उससे रोकेगी या नहीं? या फिर यह सब ऐसे ही चलता रहेगा? सूत्रों की माने तो सिद्धू को आलाकमान उनके रुख को लेकर चेतावनी भी दे चुका है. साथ ही उन्हें अपने तेवरों को बदलने के लिए भी कह चुका है. बावजूद इसके सिद्धू बदलते दिखाई नहीं दे रहे.
हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि सिद्धू बीजेपी की बी नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह महत्वकांक्षी है जो कि गलत नहीं है, लेकिन जिस तरह की राजनीति सिद्धू करते हैं ऐसे में वह कब किसके खिलाफ हो जाए यह वही जानते हैं, सिद्धू का राजनीति करने का तरीका अलग है सिर्फ बोलते बहुत ज्यादा है और कई बार कुछ ऐसा बोल जाते हैं कि बाद में पार्टी के अन्य नेता इस बात को संभाल नहीं पाते क्योंकि सिद्धू खुद मीडिया के साथ में मुखातिब हैं बहुत कम होते हैं ऐसे में पार्टी भी उनके बयानों से डरती है. किसी अन्य राजनीतिक दल में फिलहाल जा नहीं सकते और अब तो हालात किए हैं कि अन्य राजनीतिक दल भी अपनी पार्टी में उन्हें लेने से पहले सोचेंगे क्योंकि सिद्धू की हाइपर पॉलिटिक्स कभी भी किसी पर भी भारी पड़ सकती है.
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सूत्र बताते हैं कि पार्टी सिद्धू को लेकर कोई न कोई कदम जरूर उठाएगी, लेकिन पंजाब में चुनाव नजदीक हैं ऐसे में पार्टी किसी भी तरह का रिस्क लेने से बच रही है. शायद यह बात सिद्धू भी जानते हैं इसलिए वे अभी भी अपने तेवरों पर कायम हैं और एक विपक्ष की नेता की तरह या यू कहें बीजेपी की बी टीम की तरह काम कर रहे हैं.