बेंगलुरु: कावेरी नदी का पानी छोड़े जाने के मुद्दे पर बेंगलुरु, मांड्या, मैसूर और चामराजनगर में कई विरोध प्रदर्शन हुए.बेंगलुरु में कर्नाटक रक्षणा वेदिके (Karnataka Rakshana Vedike) की ओर से राज्य सरकार से तमिलनाडु को कावेरी का पानी न देने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया.
पत्रकारों से बात करते हुए कर्नाटक रक्षणा वेदिके के अध्यक्ष टी.ए. ने चेतावनी दी कि नारायणगौड़ा, कर्नाटक और कावेरी घाटी क्षेत्र में गंभीर सूखे के बावजूद राज्य सरकार को 15 दिनों के लिए तमिलनाडु को फिर से 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने के प्राधिकरण द्वारा जारी आदेश का पालन नहीं करना चाहिए.
मांड्या में हाईवे जामकर प्रदर्शन : मांड्या में कावेरी विरोध तेज हो गया है. राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ भड़के किसानों ने पानी छोड़े जाने पर भी विरोध तेज करने का फैसला किया है. आज किसानों ने मांड्या के संजय सर्कल पर मैसूर बेंगलुरु हाईवे को जाम कर विरोध प्रदर्शन किया. जिला किसान रक्षा समिति ने धरना जारी रखा और 23 तारीख को मांड्या बंद का आह्वान किया.
पांडवपुरा में रायथा संघ के कार्यकर्ताओं ने पांच दीपा सर्कल पर सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया, भूमिताई होराता समिति ने केआरएस का घेराव करने की कोशिश की. इस मौके पर पुलिस प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई.
कावेरी सिंचाई निगम कार्यालय घेरा : सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण को तमिलनाडु को पानी छोड़ने के अपने आदेश का पालन करने का आदेश दिया है और इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. इस पृष्ठभूमि में, किसान संघ और कस्तूरी कर्नाटक जनपारा वेदिके के कार्यकर्ताओं ने अपनी आंखों पर काली पट्टी बांध ली और मद्दूर शहर में कावेरी सिंचाई निगम कार्यालय को घेर लिया.
मैसूर में विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए किसान संघ के नेता नंजुंडेगौड़ा ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं. लेकिन, पहले हमें पानी चाहिए. हमें जीना है. फिर किसी और को पानी देना चाहिए.' उन्होंने सवाल किया कि 'हमारे पास पानी नहीं है. ऐसे में पानी कैसे दिया जाए?' चामराजनगर में भी विरोध प्रदर्शन किया गया.
पूर्व सीएम बोम्मई ने ये कहा : पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को कावेरी जल वितरण के मामले में सीडब्ल्यूएमए के पूरे आदेश पर विचार नहीं करना चाहिए बल्कि तथ्यों के आधार पर फैसला देना चाहिए.
आरटी नगर आवास पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने दो राज्यों की दलीलें सुनीं और कावेरी मामले में सीडब्ल्यूएमए के आदेश को बरकरार रखा. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीडब्ल्यूएमए के आदेश का अगले 15 दिनों तक पालन करना होगा. सीडब्ल्यूएमए का आदेश अंतिम नहीं है. सिर्फ कर्नाटक के बांधों के जल स्तर की ही गणना नहीं बल्कि तमिलनाडु के बांधों में जल स्तर की भी गणना की जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की जानी चाहिए कि तमिलनाडु में पानी की निकासी संभव नहीं है. एक स्वतंत्र जल प्रबंधन समिति का गठन किया जाना चाहिए. कर्नाटक जल संरक्षण समिति ने तीन प्रस्ताव लिए हैं कि कन्नड़ समर्थक सेनानियों के खिलाफ मामले वापस लिए जाएं और आगे के संघर्ष की प्रकृति पर निर्णय लेने के लिए शनिवार को बेंगलुरु में सभी संघों और संगठनों की एक बैठक बुलाई गई है. कावेरी मुद्दा, जिसमें कर्नाटक बंद भी शामिल है.
उधर, बैठक के बाद मीडिया कॉन्फ्रेंस कर प्रस्तावों की जानकारी देने वाले किसान नेता कुरुबुरु शांताकुमार ने कहा कि पानी निकासी के मामले में सुप्रीम कोर्ट को अथॉरिटी के आदेश का पालन करना चाहिए. सरकार को अथॉरिटी का आदेश नहीं मानना चाहिए. एक समीक्षा आवेदन दायर किया जाना चाहिए कि कठिनाई फार्मूला तैयार नहीं होने के कारण आदेश का अनुपालन नहीं किया जा सकता है.
कुमारस्वामी का ट्वीट: पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली. कुमार स्वामी ने ट्वीट किया कि 'कावेरी संकट इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि जब सत्ता में बैठे लोगों को सिंचाई के बारे में थोड़ी भी जानकारी और समझ नहीं होती तो क्या होता है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है. हालांकि, यहां न्यायालय को दोष नहीं दिया जा सकता. यह प्रदेश की कांग्रेस सरकार है जिसने हर कदम गलत उठाया है. सर्वदलीय बैठक में ही मैंने इस बात पर जोर दिया था. मैंने कावेरी जल नियंत्रण समिति और प्राधिकरण के निर्देश से पहले कहा था.'
उन्होंने इस बारे में कई ट्वीट किए हैं और कहा है कि राज्य सरकार के लिए लोगों के हित से ज्यादा महत्वपूर्ण राजनीतिक हित है. उन्होंने आरोप लगाया कि तमिलनाडु के साथ उस पार्टी के राजनीतिक हितों के कारण कावेरी हितों की व्यवस्थित रूप से बलि दी गई.
वाटल नागराज की प्रतिक्रिया: प्रो-कन्नड़ सेनानी वटल नागराज ने कहा कि हम सरकार का रुख देखने के बाद फैसला लेंगे.अगर कर्नाटक बंद की नौबत आई तो वह ऐसा करने से पीछे नहीं हटेंगे.
उन्होंने कहा कि कावेरी के लिए संघर्ष मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, कन्नड़ समर्थक सेनानियों और किसानों तक सीमित नहीं है. ये पूरे राज्य का सवाल है, बेंगलुरु समेत सभी जिलों का सवाल है, उत्तरी कर्नाटक का सवाल है, मैंगलोर का सवाल है, बेंगलुरु बहुत पिछड़ा हुआ है. इसमें कन्नड़वासी कम हैं, मारवाड़ी हैं, सिंधी हैं, इनमें से कोई भी कन्नड़वासियों का दर्द नहीं समझता. एक दिन पानी नहीं आएगा तो बेंगलुरु वालों को पता चल जाएगा.
वहीं, गृह मंत्री डॉ. जी परमेश्वर ने कहा कि पानी नहीं होने पर हमारी शिकायत ठीक से सुनी गई, फिर भी कोर्ट ने हमें जल प्रबंधन प्राधिकरण के आदेश का पालन करने को कहा.
विधानसभा में आज मीडिया से बात करते हुए उन्होंने सवाल किया, 'हम शेष 10 टीएमसी डेड स्टोरेज से पानी कैसे छोड़ सकते हैं?' उन्होंने कहा कि कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण ने क्या सलाह दी है? वकील ने पांच हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने का दस्तावेज भी दिया है. उसने आश्वस्त कर लिया है कि वहां कितना पानी है. जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. विरोध हिंसक रूप न ले ले. उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री के शहर आने के बाद हम इस पर चर्चा करेंगे.
भाजपा के इस बयान कि राज्य सुलह के लिए बलिदान दे रहा है, पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री परमेश्वर ने कहा कि 'हमें आंतरिक समझौता करने की कोई जरूरत नहीं है. वे राजनीतिक कारण से ऐसी बात कर रहे हैं. हम गठबंधन के मामले में राज्य की राजनीति को नहीं जोड़ते हैं. हमें इसकी जरूरत नहीं है. इस मामले में कोई राजनीति नहीं है.' परमेश्वर ने भाजपा की इस आलोचना पर पलटवार किया कि राजनीति करना हर बात का जवाब नहीं है.