नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को हिंसा प्रभावित मणिपुर में राहत शिविरों के लोगों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की. ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन एसोसिएशन (एआईडीडब्ल्यूए) के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने उनसे राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने इस घटना पर दुख व्यक्त किया.
प्रतिनिधिमंडल की एक सदस्य ने ईटीवी भारत को बताया कि 'उन्होंने कहा कि वह कई बार गवर्नर से बात कर चुकी हैं. वह राहत शिविरों की दुर्दशा को लेकर चिंतित थी.'
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The AIDWA memorandum on Manipur violence was submitted to President Droupadi Murmu by AIDWA Patron and Communist Party of India (Marxist) leader Brinda Karat today.
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(Source: Brinda Karat) pic.twitter.com/sb4RofWmqo
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एआईडीडब्ल्यूए सदस्यों ने वर्तमान स्थिति और राज्य में प्रभावित लोगों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट भी प्रस्तुत की.
सदस्य ने कहा कि 'राष्ट्रपति ने यौन उत्पीड़न और अन्य हिंसा के पीड़ितों पर की गई क्रूरताओं का विवरण सुना.'
गौरतलब है कि AIDWA के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में मणिपुर में हिंसा प्रभावित स्थानों का दौरा किया था और हिंसा प्रभावित लोगों से मुलाकात के बाद वर्तमान स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी.
अलग प्रशासन की मांग का विरोध : एआईडीडब्ल्यूए सदस्यों ने राष्ट्रपति मुर्मू को राज्य की खराब कानून व्यवस्था की स्थिति से भी अवगत कराया. इससे पहले ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रतिनिधिमंडल की सदस्य और पूर्व सांसद बृंद्रा करात ने मणिपुर में एन बीरेन सिंह सरकार को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है. इस बीच, यूनाइटेड मैतेई पंगल कमेटी (यूएमपीसी) मणिपुर ने मणिपुर में कुकियों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग का विरोध किया है.
यूएमपीसी के प्रवक्ता रईस अहमद ने कहा, 'हम मणिपुर में शांति चाहते हैं. हम पहले ही राज्य के कई मूल निवासियों को खो चुके हैं. हम मणिपुर में कोई अलग प्रशासन नहीं चाहते.' यूएमपीसी मणिपुर में मैतेई पंगल (मैतेई मुस्लिम) समुदाय की 8.5 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करती है.
अहमद ने कहा कि 'हम मैतेई पोंगल-प्रमुख स्वदेशी समुदाय में से एक हैं, जिसका मणिपुर में 400 से भी ज्यादा वर्षों से अस्तित्व है. हमने दौरा किया और स्थिति को ठीक करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं, लेकिन महिलाओं और बच्चों सहित लोगों द्वारा सामना की जाने वाली अत्यधिक तबाही और कठिनाइयों के कारण, हमारी ओर से वास्तविक प्रयास उतने फलदायी नहीं होंगे. हालांकि, स्थिति को ठीक करने के लिए हमारे निरंतर प्रयास जारी हैं.'
समिति ने मणिपुर में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार के सक्रिय हस्तक्षेप की मांग करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ-साथ अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को एक ज्ञापन भी सौंपा.
अहमद ने कहा कि 'हिंसा का प्रभाव विनाशकारी रहा है, जिसमें 200 से अधिक लोगों की जान चली गई. 1000 से अधिक घायल हुए, जिनमें 13 से अधिक मैतेई-पोंगल गंभीर रूप से घायल हुए. आगजनी से संबंधित घटनाओं में 5000 से अधिक घर जल गए और अब तक 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.'
संबंधित घटनाक्रम में, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने मणिपुर के उखरुल जिले में संदिग्ध मैतेई उग्रवादियों द्वारा शुक्रवार को तीन कुकी-ज़ो ग्रामीणों की नृशंस हत्या की निंदा की.
आईटीएलएफ के प्रवक्ता गिन्ज़ा वुअलज़ोंग ने ईटीवी भारत से कहा, 'गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संघर्षग्रस्त राज्य के सभी समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील के बावजूद, मैतेई समुदाय के कुछ वर्ग किसी भी शांति प्रयास को रोकने पर आमादा हैं.'
उन्होंने कहा कि यदि हिंसा को रोकना है, तो सेना और अन्य केंद्रीय सुरक्षा बलों को लूटे गए हथियारों को पुनः प्राप्त करने के लिए अभियान शुरू करना चाहिए, क्योंकि राज्य पुलिस बल पूरी तरह से समझौता कर चुका है.
वुअलज़ोंग ने कहा, 'हम केंद्रीय सुरक्षा बलों से अनुरोध करते हैं कि वे आदिवासियों की सुरक्षा के लिए और अधिक प्रयास करें, जो अपने घरों को मेइती के हमलों से बचाते हुए सिंगल-शॉट बंदूकें रखते हैं, जो पुलिस स्टेशनों और शस्त्रागारों से चुराए गए अत्याधुनिक हथियार और मोर्टार ले जाते हैं.'
इस बीच, मणिपुर में एक आदिवासी निकाय (संयुक्त छात्र निकाय लमका) ने कुकी-ज़ो शिक्षाविदों और विद्वानों के कथित उत्पीड़न को रोकने के लिए शनिवार को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले के लमका में एक सामूहिक रैली का आयोजन किया है.