बाड़मेर. राजस्थान के सरहदी जिले जैसलमेर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को एक कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान बाड़मेर की रूमा देवी की जमकर तारीफ की. इस दौरान राष्ट्रपति के कहने पर सम्मेलन में मौजूद लोगों ने तालियां बजाकर रूमा देवी की हौसला अफजाई की.
दरअसल, शनिवार को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राजस्थान के जैसलमेर पहुंचीं थीं. पूनम स्टेडियम में आयोजित लखपति दीदी सम्मेलन में स्वयं सहायता समूह स्टॉल निरीक्षण करते हुए उन्होंने स्वावलंबी महिलाओं की हौसला-अफजाई की. सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रूमा देवी को उल्लेखित करते हुए कहा कि रूमा देवी एक ग्रामीण परिवार से आती हैं और राजीविका की ब्रांड एंबेसडर बन चुकी हैं.
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आभार महामहिम #राष्ट्रपति जी हौसलाअफजाई के लिए 🙏🙏@rashtrapatibhvn @PMOIndia @SrBachchan @RajCMO @Jitenkaa @MinistryWCD @DIPRRajasthan pic.twitter.com/J4zYZPXHVP
— Ruma Devi (@DrRumaDevi) December 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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राष्ट्रपति ने सम्मेलन में मौजूद लोगों से रूमा देवी के लिए ताली बजाने को कहा. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में आगे कहा कि उन्होंने (रूमा देवी) सेल्फ ऑफ ग्रुप के माध्यम से अनेक महिलाओं को आगे बढ़ाने और स्वावलंबी बनाने में मदद की है. वो अपनी प्रतिभा के बल पर देश का नाम दुनिया में रोशन कर रही हैं. इस तारीफ के लिए रूमा देवी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आभार जताया.
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जानिए कौन हैं रूमा देवी : रूमा देवी का जन्म 1989 में राजस्थान के बाड़मेर जिले के छोटे से रावतसर गांव के एक गरीब परिवार में हुआ था. रूमा देवी जब 4 साल की थीं, तब उनकी मां का देहांत हो गया था और पिता ने दूसरी शादी कर ली थी. रूमा देवी का बचपन दादी के साथ गुजरा. आर्थिक तंगी के कारण आठवीं कक्षा के बाद उन्होंने पढ़ाई भी बीच में छोड़ दी. वहीं, 2006 में रूमा देवी की शादी हो गई थी. उनका बच्चा बीमारी से ग्रसित हुआ तो आर्थिक तंगी के चलते उसका इलाज नहीं हो सका.
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President Droupadi Murmu graced the Lakhpati Didi Sammelan at Jaisalmer, Rajasthan.https://t.co/yxGAljQsqi pic.twitter.com/uon8z5Jqbd
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इस बीच बच्चे की मौत हो गई. इसके बाद रूमा देवी ने तय किया कि वह काम करेंगी. इसके बाद रूमा देवी ने दादी से सीखी हुई कसीदाकारी का काम शुरू किया और धीरे-धीरे तमाम बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ीं और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. रूमा देवी ने अपने साथ हजारों महिलाओं को जोड़कर स्वावलंबी बनाया. 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रूमा देवी को नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया. गांव से निकलकर रूमा देवी ने अपनी पहचान बनाई है. रूमा देवी दुनियाभर के देशों की यात्रा भी कर चुकी हैं.