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झारखंड के तीन दिवसीय दौरे के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लौटीं दिल्ली, यादगार और प्रेरणादायी रही यात्रा, पढ़ें रिपोर्ट

अपनी तीन दिवसीय झारखंड दौरे के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दिल्ली के लिए रवाना हो गईं हैं. यह पहला मौका था कि जब किसी भी राष्ट्रपति ने झारखंड का तीन दिवसीय दौरा किया.

President Draupadi Murmu returned to Delhi
President Draupadi Murmu
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Published : May 26, 2023, 12:52 PM IST

रांची: झारखंड के लिए पिछला तीन दिन हमेशा यादगार रहेगा. इसकी वजह रहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू. वह पहली राष्ट्रपति रहीं जिन्होंने झारखंड में तीन दिवसीय दौरा किया. उनके इस यात्रा की शुरूआत बाबा बैद्यनाथ की पूजा से हुई. उन्होंने धुर्वा में नवनिर्मित देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट भवन के उद्घाटन के साथ-साथ ट्रिपल आईटी के दूसरे दीक्षांत समारोह में तो शिरकत किया ही साथ ही खूंटी में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से प्रोटोकॉल तोड़कर मिली.

ये भी पढ़ें: President Draupadi Murmu in Jharkhand: यादगार रही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तीन दिवसीय झारखंड यात्रा, दिल्ली के लिए हुईं रवाना

खूंटी में जब राष्ट्रपति लोगों से मिलीं तो एक पल भी नहीं लगा कि वे किसी अंजान से मिल रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रपति बनने से पहले द्रौपदी मुर्मू इसी राज्य में करीब छह साल तक राज्यपाल रह चुकी हैं. अलग-अलग जगहों पर अपने संबोधन में उन्होंने झारखंड से जुड़ाव का खुलकर इजहार भी किया. उन्होंने कहा कि मैं रहने वाली तो हूं ओड़िशा की हूं लेकिन मेरे शरीर में झारखंड का भी खून है. क्योंकि मेरे दादी झारखंड की थीं. हाईकोर्ट भवन के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने जरूरतमंदों तक समय पर न्याय पहुंचे, इस बात पर जोर दिया. उन्होंने सुझाव दिया कि कोर्ट के फैसले के बाद भी कई बार न्याय नहीं मिल पाता है. क्योंकि फैसलों पर अमल नहीं हो पाता है. उन्होंने अपने गांव की बात बताई और कहा कि वैसे लोगों को अधूरे मिले न्याय की सूची भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजूंगी.

खूंटी में जब स्वंय सहायता समूह की महिलाओं से मिलीं तो दिल खोलकर बातें की. उन्होंने कहा कि आदिवासी महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार की जानकारी सुनकर बहुत खुशी मिलती है. उन्होंने महिलाओं को जगाया और कहा कि जरूरी नहीं है कि हर लाभकारी योजना आपके घर तक पहुंचे. इसके लिए आपको भी आगे आना होगा. उन्होंने महिलाओं से अपने संघर्ष की बातें साझा की. उन्होंने कहा कि महुआ चुनने के लिए रात 2 बजे ही दादी उठा दिया करती थी. आज महिलाएं उसी महुआ से केक, लड्डू और अचार बना रही हैं. यह देखकर बहुत खुशी मिलती है.

ट्रिपल आईटी के दूसरे दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा कि युवाओं को तकनीकी रूप से शिक्षित होने के साथ-साथ मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से भी स्वस्थ होना होगा. उन्होंने इस बात पर बहुत खुशी जतायी कि मेडल लेने वाले 10 स्टूटेंड्स में आठ छात्राएं हैं. अच्छी बात यह है कि एक छात्रा को तीन और एक छात्रा को दो मेडल मिले हैं. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों को गुणवत्तायुक्त रिसर्च पर जोर देना चाहिए.

पिछले तीन दिनों से पूरे झारखंड में सबसे ज्यादा चर्चा राष्ट्रपति के दौरे को लेकर ही हुई. उनके आगमन से पहले और आगमन के बाद की व्यवस्था को बहाल रखने के लिए पुलिस और प्रशासन के लोग दिन-रात मेहनत करते रहे. चप्पे पर पुलिस तैनात रही. रांची के किसी भी रास्ते से राष्ट्रपति के गुजरते वक्त ट्रैफिक बंद होने से लोगों को थोड़ी परेशानी जरूर हुई लेकिन किसी ने इसको परेशानी से नहीं जोड़ा. उनके कारकेड का विजुअल करते वक्त आम लोग चर्चा करते सुने गये कि झारखंड के लिए फक्र की बात है कि राष्ट्रपति आईं हैं. कुल मिलाकर कहें तो अपने तीन दिवसीय दौरे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू यहां के लोगों के दिलो-दिमाग पर एक अमिट छाप छोड़कर गई हैं. उन्होंने शासन-प्रशासन और न्याय व्यवस्था को आईंना भी दिखाया है. उन्होंने यह बता दिया कि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरी है. उसे समय पर न्याय मिलना चाहिए.

रांची: झारखंड के लिए पिछला तीन दिन हमेशा यादगार रहेगा. इसकी वजह रहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू. वह पहली राष्ट्रपति रहीं जिन्होंने झारखंड में तीन दिवसीय दौरा किया. उनके इस यात्रा की शुरूआत बाबा बैद्यनाथ की पूजा से हुई. उन्होंने धुर्वा में नवनिर्मित देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट भवन के उद्घाटन के साथ-साथ ट्रिपल आईटी के दूसरे दीक्षांत समारोह में तो शिरकत किया ही साथ ही खूंटी में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से प्रोटोकॉल तोड़कर मिली.

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खूंटी में जब राष्ट्रपति लोगों से मिलीं तो एक पल भी नहीं लगा कि वे किसी अंजान से मिल रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रपति बनने से पहले द्रौपदी मुर्मू इसी राज्य में करीब छह साल तक राज्यपाल रह चुकी हैं. अलग-अलग जगहों पर अपने संबोधन में उन्होंने झारखंड से जुड़ाव का खुलकर इजहार भी किया. उन्होंने कहा कि मैं रहने वाली तो हूं ओड़िशा की हूं लेकिन मेरे शरीर में झारखंड का भी खून है. क्योंकि मेरे दादी झारखंड की थीं. हाईकोर्ट भवन के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने जरूरतमंदों तक समय पर न्याय पहुंचे, इस बात पर जोर दिया. उन्होंने सुझाव दिया कि कोर्ट के फैसले के बाद भी कई बार न्याय नहीं मिल पाता है. क्योंकि फैसलों पर अमल नहीं हो पाता है. उन्होंने अपने गांव की बात बताई और कहा कि वैसे लोगों को अधूरे मिले न्याय की सूची भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजूंगी.

खूंटी में जब स्वंय सहायता समूह की महिलाओं से मिलीं तो दिल खोलकर बातें की. उन्होंने कहा कि आदिवासी महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार की जानकारी सुनकर बहुत खुशी मिलती है. उन्होंने महिलाओं को जगाया और कहा कि जरूरी नहीं है कि हर लाभकारी योजना आपके घर तक पहुंचे. इसके लिए आपको भी आगे आना होगा. उन्होंने महिलाओं से अपने संघर्ष की बातें साझा की. उन्होंने कहा कि महुआ चुनने के लिए रात 2 बजे ही दादी उठा दिया करती थी. आज महिलाएं उसी महुआ से केक, लड्डू और अचार बना रही हैं. यह देखकर बहुत खुशी मिलती है.

ट्रिपल आईटी के दूसरे दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा कि युवाओं को तकनीकी रूप से शिक्षित होने के साथ-साथ मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से भी स्वस्थ होना होगा. उन्होंने इस बात पर बहुत खुशी जतायी कि मेडल लेने वाले 10 स्टूटेंड्स में आठ छात्राएं हैं. अच्छी बात यह है कि एक छात्रा को तीन और एक छात्रा को दो मेडल मिले हैं. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों को गुणवत्तायुक्त रिसर्च पर जोर देना चाहिए.

पिछले तीन दिनों से पूरे झारखंड में सबसे ज्यादा चर्चा राष्ट्रपति के दौरे को लेकर ही हुई. उनके आगमन से पहले और आगमन के बाद की व्यवस्था को बहाल रखने के लिए पुलिस और प्रशासन के लोग दिन-रात मेहनत करते रहे. चप्पे पर पुलिस तैनात रही. रांची के किसी भी रास्ते से राष्ट्रपति के गुजरते वक्त ट्रैफिक बंद होने से लोगों को थोड़ी परेशानी जरूर हुई लेकिन किसी ने इसको परेशानी से नहीं जोड़ा. उनके कारकेड का विजुअल करते वक्त आम लोग चर्चा करते सुने गये कि झारखंड के लिए फक्र की बात है कि राष्ट्रपति आईं हैं. कुल मिलाकर कहें तो अपने तीन दिवसीय दौरे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू यहां के लोगों के दिलो-दिमाग पर एक अमिट छाप छोड़कर गई हैं. उन्होंने शासन-प्रशासन और न्याय व्यवस्था को आईंना भी दिखाया है. उन्होंने यह बता दिया कि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरी है. उसे समय पर न्याय मिलना चाहिए.

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