कोलकाता: राष्ट्रपति चुने जाने के बाद राज्य के एक मंत्री की राष्ट्रपति को लेकर की गई टिप्पणी ने पश्चिम बंगाल सरकार को शर्मसार कर दिया था. हालांकि राज्य सरकार ने सोमवार को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सम्मानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. राज्य सरकार द्वारा आयोजित भव्य स्वागत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भाव विभोर हो गईं. इस स्वागत के बाद माना जा रहा है कि विवाद खत्म हो गया है.
आदिवासी नृत्य गीतों से लेकर राज्य सरकार द्वारा जिस तरह से उनका अभिनंदन किया गया, उसमें उन्होंने बंगाल की भरपूर प्रशंसा की. राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने भाषण में कहा कि बंगाली बहुत प्यारी भाषा है, बंगाल में आकर मिट्टी का आकर्षण महसूस होता है. नेताजी इंडोर स्टेडियम में इस स्वागत समारोह की मेजबानी राज्य सरकार ने की थी और इसमें सरकारी नौकरशाहों, पुलिस, जनप्रतिनिधियों, राजनीतिक दलों और सेना के अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया था.
फिल्मी कलाकारों से लेकर विभिन्न मीडिया प्रमुख भी इस समारोह में शामिल हुए. द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं बेलूर मठ जाने के लिए बेताब हूं. आज मैं बंगाल माता के श्रेष्ठ सपूत नेताजी की धरती पर गई और मैं रवींद्रनाथ टैगोर की जन्मभूमि पर भी गई. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आंदोलन की चिंगारी इसी बंगाल से उत्पन्न हुई थी. इसलिए मैं इस भूमि को नमन करता हूं. उन्होंने खुदीराम बोस के शब्दों पर प्रकाश डाला.
उन्होंने शहीद खुदीराम, विनय-बादल-दिनेश को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि मुझे ऐसी अवस्था कहीं नहीं मिलेगी. मुझे बंगाली भाषा बहुत प्यारी लगती है. जब मैं यह भाषा सुनती हूं तो ऐसा लगता है कि मैं गांव के आसपास हूं. ऐसी है इस भाषा की महक. राष्ट्रपति के अभिभाषण में सत्यजीत रॉय, उत्तम कुमार, सौरव गांगुली जैसे प्रतिष्ठित नाम आए. बंगाल पर वाहवाही बरसाते हुए वे राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर का जिक्र करना नहीं भूलीं.
वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भारतीय संविधान की रक्षा करने की अपील की. इस दौरान राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि 'मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है, कृपया गरीबों और सभी के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करें. देश को किसी भी आपदा से बचाएं क्योंकि विविधता में एकता हमारी जड़ है.' राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रपति बनने के बाद सोमवार को पहली बार बंगाल में कदम रखा.