ETV Bharat / bharat

नरक चतुर्दशी 2022 पर कर लें तैयारी, दीपदान व रूप सज्जा का होता है खास महत्व

नरक चतुर्दशी के दिन विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है. ऐसी पौराणिक मान्‍यता है कि इस दिन पूजा करने से मनुष्‍य नरक में मिलने वाली यातनाओं से बच जाता है. साथ ही साथ अकाल मृत्यु से रक्षा होती है.

Narak Chaturdashi 2022 Puja Special Importance of Day
नरक चतुर्दशी 2022
author img

By

Published : Oct 15, 2022, 5:01 PM IST

नरक चतुर्दशी 2022 (Narak Chaturdashi 2022) दीपावली के त्योहारों की श्रृंखला का दूसरा त्यौहार है. इसे छोटी दीपावली, नरक चौदस या नरक चतुर्दशी या नर्का पूजा व रूप चौदस या काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इसके बारे में मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है. साथ ही इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

नरक चतुर्दशी के दिन शाम को दीपदान की परंपरा है. यह दीपक यमराज के लिए जलाया जाता है. इस दिन भगवान कृष्‍ण, यमराज और बजरंगबली व भगवान सूर्य की पूजा करने का विधान है. ऐसी पौराणिक मान्‍यता है कि इस दिन पूजा करने से मनुष्‍य नरक में मिलने वाली यातनाओं से बच जाता है. साथ ही साथ अकाल मृत्यु से रक्षा होती है.

आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी के बारे में अन्‍य खास बातें क्यों कहते हैं छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी...

Preparations on Narak Chaturdashi 2022 Puja Special Importance of Day
छोटी दीपावली 2022

क्यों कहते हैं छोटी दीपावली
नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली के रुप में जाना जाता है. इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन दीपावली से एक दिन पहले उसी तरह से पूरे घर की सजावट व रोशनी से जगमग करने की तैयारी की जाती है. इस रात में दीपक जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोकमान्यताएं चर्चित हैं, जिसके कारण यह त्योहार मनाया जाता है.

Narak Chaturdashi 2022 Puja Special Importance of Day
रुप चतुर्दशी 2022

इसलिए मनाते हैं रूप चौदस

नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली और रूप चौदस के रुप में भी मनाया जाता है क्योंकि भगवान कृष्‍ण ने इस दिन 16 हजार कन्‍याओं का उद्धार करते हुए नरकासुर से मुक्त कराया था. इसी खुशी में कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं. नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी को खास तरीके से मनाया जाता है. इस दिन जल में औषधि मिलाकर स्नान करने और 16 ऋृंगार करने से रूप सौन्दर्य और सौभाग्य बढ़ता है. इसीलिए महिलाएं इस दिन खास तौर पर श्रृंगार करती हैं.

इसे भी देखें : ऐसे मनाया जाएगा दीपावली 2022 का महापर्व, जानिए धनतेरस से लेकर भाई दूज तक की अपडेट्स

ऐसी है काली चौदस का परंपरा

काली चौदस के रूप में भी मनाया जाने वाला दिन आलस्य और बुराई को खत्म करने का दिन है, जो हमारे जीवन में नरक पैदा करता है. पश्चिम बंगाल राज्य में, इसे भूत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस अंधेरी रात की पूर्व संध्या पर मृतक की आत्माएं अपने प्रियजनों से मिलने धरती पर आती हैं. यह भी माना जाता है कि एक परिवार के 14 पूर्वज अपने जीवित रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और इसलिए घर के चारों ओर 14 दीये लगाए जाते हैं, ताकि उन्हें घर की ओर मार्गदर्शन किया जा सके और विशेष रूप से बुरे लोगों का पीछा किया जा सके.

Narak Chaturdashi 2022 Puja Special Importance of Day
शुभ दीपावली 2022

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

नरक चतुर्दशी 2022 (Narak Chaturdashi 2022) दीपावली के त्योहारों की श्रृंखला का दूसरा त्यौहार है. इसे छोटी दीपावली, नरक चौदस या नरक चतुर्दशी या नर्का पूजा व रूप चौदस या काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इसके बारे में मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है. साथ ही इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

नरक चतुर्दशी के दिन शाम को दीपदान की परंपरा है. यह दीपक यमराज के लिए जलाया जाता है. इस दिन भगवान कृष्‍ण, यमराज और बजरंगबली व भगवान सूर्य की पूजा करने का विधान है. ऐसी पौराणिक मान्‍यता है कि इस दिन पूजा करने से मनुष्‍य नरक में मिलने वाली यातनाओं से बच जाता है. साथ ही साथ अकाल मृत्यु से रक्षा होती है.

आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी के बारे में अन्‍य खास बातें क्यों कहते हैं छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी...

Preparations on Narak Chaturdashi 2022 Puja Special Importance of Day
छोटी दीपावली 2022

क्यों कहते हैं छोटी दीपावली
नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली के रुप में जाना जाता है. इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन दीपावली से एक दिन पहले उसी तरह से पूरे घर की सजावट व रोशनी से जगमग करने की तैयारी की जाती है. इस रात में दीपक जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोकमान्यताएं चर्चित हैं, जिसके कारण यह त्योहार मनाया जाता है.

Narak Chaturdashi 2022 Puja Special Importance of Day
रुप चतुर्दशी 2022

इसलिए मनाते हैं रूप चौदस

नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली और रूप चौदस के रुप में भी मनाया जाता है क्योंकि भगवान कृष्‍ण ने इस दिन 16 हजार कन्‍याओं का उद्धार करते हुए नरकासुर से मुक्त कराया था. इसी खुशी में कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं. नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी को खास तरीके से मनाया जाता है. इस दिन जल में औषधि मिलाकर स्नान करने और 16 ऋृंगार करने से रूप सौन्दर्य और सौभाग्य बढ़ता है. इसीलिए महिलाएं इस दिन खास तौर पर श्रृंगार करती हैं.

इसे भी देखें : ऐसे मनाया जाएगा दीपावली 2022 का महापर्व, जानिए धनतेरस से लेकर भाई दूज तक की अपडेट्स

ऐसी है काली चौदस का परंपरा

काली चौदस के रूप में भी मनाया जाने वाला दिन आलस्य और बुराई को खत्म करने का दिन है, जो हमारे जीवन में नरक पैदा करता है. पश्चिम बंगाल राज्य में, इसे भूत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस अंधेरी रात की पूर्व संध्या पर मृतक की आत्माएं अपने प्रियजनों से मिलने धरती पर आती हैं. यह भी माना जाता है कि एक परिवार के 14 पूर्वज अपने जीवित रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और इसलिए घर के चारों ओर 14 दीये लगाए जाते हैं, ताकि उन्हें घर की ओर मार्गदर्शन किया जा सके और विशेष रूप से बुरे लोगों का पीछा किया जा सके.

Narak Chaturdashi 2022 Puja Special Importance of Day
शुभ दीपावली 2022

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.