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उत्तराखंड : इसरो ने जारी कीं ग्लेशियर टूटने के पहले व बाद की सैटेलाइट तस्वीरें - राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग

इसरो ने ऋषि गंगा और धौली नदी के जलप्रलय क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के नुकसान को दिखाते हुए ग्लेशियर के फटने से पहले व बाद के उपग्रह चित्र जारी किए हैं.

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Published : Feb 10, 2021, 10:13 PM IST

बेंगलुरु : इसरो ने ऋषि गंगा और धौली नदी के जलप्रलय क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के नुकसान को दिखाते हुए ग्लेशियर के फटने से पहले व बाद के उपग्रह चित्र जारी किए हैं. धौली में सैटेलाइट के माध्यम से मलबे के जमाव की सबसे बड़ी छवि देखी जा सकती है.

बाढ़ के कारण तपोवन और रैनी में बांध के बुनियादी ढांचे में हुई क्षति को प्रदर्शित किया है. इन तस्वीरों को अंतरिक्ष एजेंसी की उन्नत पृथ्वी इमेजिंग और मैपिंग उपग्रह कार्टोसैट-3 द्वारा कैप्चर किया गया था.

इसरो की राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग के लिए हैदराबाद में विश्लेषण किया गया था. इसके बाद छवियों को सार्वजनिक किया गया है, क्योंकि एजेंसियां ​​चमोली और उत्तराखंड के आसपास के क्षेत्रों में संचालन को कम कर रही हैं.

पढ़ें- चमोली आपदा की जिम्मेदार खो चुकी न्यूक्लियर डिवाइस तो नहीं? जानिए रैणी गांव के लोगों की राय

दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण का पता लगाने के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के साथ DRDO की टीम काम कर रही है. CARTOSAT-3 एक तीसरी पीढ़ी का उपग्रह है जिसमें हाई-रिजोल्यूशन इमेजिंग क्षमता है. इससे ली गईं तस्वीरें घटना का कारण खोजने में मदद कर सकती हैं.

बेंगलुरु : इसरो ने ऋषि गंगा और धौली नदी के जलप्रलय क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के नुकसान को दिखाते हुए ग्लेशियर के फटने से पहले व बाद के उपग्रह चित्र जारी किए हैं. धौली में सैटेलाइट के माध्यम से मलबे के जमाव की सबसे बड़ी छवि देखी जा सकती है.

बाढ़ के कारण तपोवन और रैनी में बांध के बुनियादी ढांचे में हुई क्षति को प्रदर्शित किया है. इन तस्वीरों को अंतरिक्ष एजेंसी की उन्नत पृथ्वी इमेजिंग और मैपिंग उपग्रह कार्टोसैट-3 द्वारा कैप्चर किया गया था.

इसरो की राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग के लिए हैदराबाद में विश्लेषण किया गया था. इसके बाद छवियों को सार्वजनिक किया गया है, क्योंकि एजेंसियां ​​चमोली और उत्तराखंड के आसपास के क्षेत्रों में संचालन को कम कर रही हैं.

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दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण का पता लगाने के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के साथ DRDO की टीम काम कर रही है. CARTOSAT-3 एक तीसरी पीढ़ी का उपग्रह है जिसमें हाई-रिजोल्यूशन इमेजिंग क्षमता है. इससे ली गईं तस्वीरें घटना का कारण खोजने में मदद कर सकती हैं.

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