ETV Bharat / bharat

28 अप्रैल को कृष्ण प्रदोष व्रत, सूर्यास्त से पहले करें भगवान शंकर की पूजा

देवाधिदेव महादेव के पूजन के लिए वैसे तो हर दिन अपने आप में खास होता है, लेकिन हिंदू मान्यता के अनुसार सनातन धर्म के मास यानी महीने में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का विधान बताया गया है. प्रदोष व्रत हर 15 दिवस में पड़ने वाला उत्तम व्रत है, जो भगवान शिव को प्रसन्न करने के साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए किया जाता है. इस बार बैशाख कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 अप्रैल को पड़ रही है. जानिए प्रदोष व्रत के विधान के बारे में

author img

By

Published : Apr 26, 2022, 7:17 PM IST

pradosh vrat
pradosh vrat

वाराणसी: 28 अप्रैल को मासिक प्रदोष व्रत है. श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने बताया कि इस संसार में शिव स्मरण ही सार स्वरूप है. संसार चक्र में भोगी जानेवाली सभी वस्तु भगवान शिव के अधीन है, अतः सर्वप्रथम भगवान शिव के चरणों में अपना शीश झुकाना चाहिए. दान एवं रण में अप्रतिमा मंगलमूर्ति आशुतोष अभ्यंकर शिव के प्रिय व्रतों में प्रदोष व्रत की महिमा का विशेष वर्णन किया गया है. शिव आराधना के क्रम में प्रदोषकाल परम पवित्र माना गया है. प्रदोषकालिक व्रत अनुष्ठान होने के कारण इस व्रत का नाम है 'प्रदोष व्रत'. इसका अनुष्ठान त्रयोदशी तिथि को होता है. इस व्रत का निष्ठापूर्वक आचरण करने से निर्धन को धन मिलता है. मूर्ख भी विद्वान हो जाता है. व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है और सुहागिन अखंड सौभाग्यवती हो जाती हैं.

पंडित प्रसाद दीक्षित के अनुसार, शास्त्रों में इस व्रत की बड़ी महिमा गाई गई है तथा लोकमानस में इसके प्रति आस्था है. स्कंदपुराण के अनुसार जो लोग प्रदोषकाल में आनंद भक्तिपूर्वक भगवान सदा शिव की पूजा करते हैं उन्हें धन-धान्य, पुत्र-सुख, सौभाग्य की प्राप्ति और नित्य वृद्धि होती है. ऐसी मान्यता है कि समस्त देवगण प्रदोष काल में भगवान शंकर के पूजन के निमित्त कैलाश शिखर पर पधारते हैं. भगवती सरस्वती वीणा बजाकर इंद्र बंशी धारण करके, ब्रह्मा ताल देकर, महालक्ष्मी सुंदर गाना गाकर, भगवान विष्णु गंभीर मृदंग बजाकर देवगणसहित नृत्य करते हैं और भगवान सदाशिव की सेवा करते हैं . प्रदोषकाल में गंधर्व, सूर्य, नाग, सिद्ध, विद्याधर, अप्सरा समूह और भक्तगण प्रदोषकाल में भगवान शिव के पास चले जाते हैं.
पंडित प्रसाद दीक्षित के मुताबिक प्रदोष व्रत का अनुष्ठान करने वाले साधक को त्रयोदशी को दिनभर भोजन नहीं करना चाहिए. सायंकाल सूर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व स्नान आदि से निवृत होकर श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए. पूजन स्थल को स्वच्छ जल एवं एवं गोबर से लिपकर वहां मंडप बना लेना चाहिए. उस स्थान पर पांच रंगों के मिश्रण से पद्मपुष्प की आकृति बनाकर कुश का आसन बिछाकर उस पर पूर्वाविमुख या उत्तराविमुख बैठना चाहिए. भगवान शंकर की दिव्य मूर्ति का ध्यान करना चाहिए.ध्यानकाल में एकाग्रचित्र होकर भगवान शंकर से निवेदन करना चाहिए कि हे प्रभु आप संपूर्ण पापों के नाश करने के लिए प्रसन्न हों.
शोकरूपी अग्नि के भय से भयभीत एवं अनेक रोगों से आक्रांत इस अनाथ की रक्षा कीजिए. स्वामी आप पार्वती जी के साथ पधारकर मेरी पूजा ग्रहण कीजिए. इसके बाद सविधि भगवान शिव की पूजन करना चाहिए. पूजा की समाप्ति के बाद ब्राह्मण भोजन कराकर यथाशक्ति दक्षिणा भी अवश्य देनी चाहिए. शास्त्र सम्मत है कि प्रदोष व्रत रखने से सभी प्रकार का सुख अवश्य प्राप्त होता है.

पंडित प्रसाद दीक्षित की माने तो त्रयोदशी तिथि 27 अप्रैल की देर रात 12 बजकर 23 मिनट से शुरू हो रही है. साथ ही इस तिथि की समाप्ति 28 अप्रैल की देर रात 12 बजकर 26 मिनट पर होगी. उदया तिथि के अनुसार 28 अप्रैल को त्रयोदशी तिथि है और शाम को प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त है. इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात्रि 9 बजकर 4 मिनट तक है. ऐसे में इस समय पूजा करना शुभ माना जा रहा है. इस समय पूजन के सही तरीके से यदि शिव आराधना की जाए तो हर मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी.

वाराणसी: 28 अप्रैल को मासिक प्रदोष व्रत है. श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने बताया कि इस संसार में शिव स्मरण ही सार स्वरूप है. संसार चक्र में भोगी जानेवाली सभी वस्तु भगवान शिव के अधीन है, अतः सर्वप्रथम भगवान शिव के चरणों में अपना शीश झुकाना चाहिए. दान एवं रण में अप्रतिमा मंगलमूर्ति आशुतोष अभ्यंकर शिव के प्रिय व्रतों में प्रदोष व्रत की महिमा का विशेष वर्णन किया गया है. शिव आराधना के क्रम में प्रदोषकाल परम पवित्र माना गया है. प्रदोषकालिक व्रत अनुष्ठान होने के कारण इस व्रत का नाम है 'प्रदोष व्रत'. इसका अनुष्ठान त्रयोदशी तिथि को होता है. इस व्रत का निष्ठापूर्वक आचरण करने से निर्धन को धन मिलता है. मूर्ख भी विद्वान हो जाता है. व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है और सुहागिन अखंड सौभाग्यवती हो जाती हैं.

पंडित प्रसाद दीक्षित के अनुसार, शास्त्रों में इस व्रत की बड़ी महिमा गाई गई है तथा लोकमानस में इसके प्रति आस्था है. स्कंदपुराण के अनुसार जो लोग प्रदोषकाल में आनंद भक्तिपूर्वक भगवान सदा शिव की पूजा करते हैं उन्हें धन-धान्य, पुत्र-सुख, सौभाग्य की प्राप्ति और नित्य वृद्धि होती है. ऐसी मान्यता है कि समस्त देवगण प्रदोष काल में भगवान शंकर के पूजन के निमित्त कैलाश शिखर पर पधारते हैं. भगवती सरस्वती वीणा बजाकर इंद्र बंशी धारण करके, ब्रह्मा ताल देकर, महालक्ष्मी सुंदर गाना गाकर, भगवान विष्णु गंभीर मृदंग बजाकर देवगणसहित नृत्य करते हैं और भगवान सदाशिव की सेवा करते हैं . प्रदोषकाल में गंधर्व, सूर्य, नाग, सिद्ध, विद्याधर, अप्सरा समूह और भक्तगण प्रदोषकाल में भगवान शिव के पास चले जाते हैं.
पंडित प्रसाद दीक्षित के मुताबिक प्रदोष व्रत का अनुष्ठान करने वाले साधक को त्रयोदशी को दिनभर भोजन नहीं करना चाहिए. सायंकाल सूर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व स्नान आदि से निवृत होकर श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए. पूजन स्थल को स्वच्छ जल एवं एवं गोबर से लिपकर वहां मंडप बना लेना चाहिए. उस स्थान पर पांच रंगों के मिश्रण से पद्मपुष्प की आकृति बनाकर कुश का आसन बिछाकर उस पर पूर्वाविमुख या उत्तराविमुख बैठना चाहिए. भगवान शंकर की दिव्य मूर्ति का ध्यान करना चाहिए.ध्यानकाल में एकाग्रचित्र होकर भगवान शंकर से निवेदन करना चाहिए कि हे प्रभु आप संपूर्ण पापों के नाश करने के लिए प्रसन्न हों.
शोकरूपी अग्नि के भय से भयभीत एवं अनेक रोगों से आक्रांत इस अनाथ की रक्षा कीजिए. स्वामी आप पार्वती जी के साथ पधारकर मेरी पूजा ग्रहण कीजिए. इसके बाद सविधि भगवान शिव की पूजन करना चाहिए. पूजा की समाप्ति के बाद ब्राह्मण भोजन कराकर यथाशक्ति दक्षिणा भी अवश्य देनी चाहिए. शास्त्र सम्मत है कि प्रदोष व्रत रखने से सभी प्रकार का सुख अवश्य प्राप्त होता है.

पंडित प्रसाद दीक्षित की माने तो त्रयोदशी तिथि 27 अप्रैल की देर रात 12 बजकर 23 मिनट से शुरू हो रही है. साथ ही इस तिथि की समाप्ति 28 अप्रैल की देर रात 12 बजकर 26 मिनट पर होगी. उदया तिथि के अनुसार 28 अप्रैल को त्रयोदशी तिथि है और शाम को प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त है. इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात्रि 9 बजकर 4 मिनट तक है. ऐसे में इस समय पूजा करना शुभ माना जा रहा है. इस समय पूजन के सही तरीके से यदि शिव आराधना की जाए तो हर मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.