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फेसबुक पर पोस्ट किया-तालिबान आतंकी नहीं, गौहाटी हाईकोर्ट ने दी जमानत

गौहाटी हाईकोर्ट ने फेसबुक पर तालिबान आतंकी नहीं है, पोस्ट पोस्ट करने वाले व्यक्ति को जमानत दे दी है. हाल ही में इसी फेसबुक पोस्ट की वजह से पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था.

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Published : Oct 11, 2021, 3:12 PM IST

गुवाहाटी : गौहाटी उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक व्यक्ति को जमानत दी, जिसे कथित तौर पर फेसबुक पर यह पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया गया था कि अफगानिस्तान में तालिबान आतंकवादी नहीं हैं.

आरोपी पर धारा 120-बी, आपराधिक साजिश, धारा 153-ए (1)/153-बी (1), धारा 298 धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से बोलना, आदि के तहत मामला दर्ज किया गया था. न्यायमूर्ति सुमन शिवम की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि आरोपी के व्यक्तिगत खाते से फेसबुक पोस्ट के संबंध में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है.

आरोपी की जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए कोर्ट की राय थी कि आवेदक के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया गया है. सिवाय इस तथ्य के कि उसके व्यक्तिगत खाते से एक फेसबुक पोस्ट किया. यह संदेहास्पद है कि क्या इसकी सामग्री अकेले संज्ञेय अपराध का गठन करेगी. उपरोक्त के मद्देनजर मेरा विचार है कि इस मामले में आवेदक को और हिरासत में रखना अनावश्यक होगा.

आवेदक की ओर से अधिवक्ता के मोहम्मद की सहायता से वरिष्ठ अधिवक्ता डी दास उपस्थित हुए. राज्य की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक आरआर कौशिक पेश हुए. हाल ही में गौहाटी उच्च न्यायालय ने मकबूल आलम की जमानत अर्जी को स्वीकार कर लिया था, जिसे उसके फेसबुक पोस्ट के लिए बुक किया गया था.

यह भी पढ़ें-जम्मू-कश्मीर : पुंछ में आतंकियों से मुठभेड़, जेसीओ समेत पांच जवान शहीद

पोस्ट में उसने तहरीक-ए-तालिबान जैसे आतंकवादी संगठन की प्रशंसा और महिमामंडन किया था. सरकार का तर्क था कि अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को बाहर किया गया और हिंसक तरीकों से भारतीय नागरिकों को भी निशाना बनाया. अदालत ने आवेदक को यह देखते हुए जमानत दे दी थी कि उन फेसबुक पोस्टों में कुछ भी नहीं है जिसके लिए आगे हिरासत में रखने की आवश्यकता है.

गुवाहाटी : गौहाटी उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक व्यक्ति को जमानत दी, जिसे कथित तौर पर फेसबुक पर यह पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया गया था कि अफगानिस्तान में तालिबान आतंकवादी नहीं हैं.

आरोपी पर धारा 120-बी, आपराधिक साजिश, धारा 153-ए (1)/153-बी (1), धारा 298 धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से बोलना, आदि के तहत मामला दर्ज किया गया था. न्यायमूर्ति सुमन शिवम की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि आरोपी के व्यक्तिगत खाते से फेसबुक पोस्ट के संबंध में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है.

आरोपी की जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए कोर्ट की राय थी कि आवेदक के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया गया है. सिवाय इस तथ्य के कि उसके व्यक्तिगत खाते से एक फेसबुक पोस्ट किया. यह संदेहास्पद है कि क्या इसकी सामग्री अकेले संज्ञेय अपराध का गठन करेगी. उपरोक्त के मद्देनजर मेरा विचार है कि इस मामले में आवेदक को और हिरासत में रखना अनावश्यक होगा.

आवेदक की ओर से अधिवक्ता के मोहम्मद की सहायता से वरिष्ठ अधिवक्ता डी दास उपस्थित हुए. राज्य की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक आरआर कौशिक पेश हुए. हाल ही में गौहाटी उच्च न्यायालय ने मकबूल आलम की जमानत अर्जी को स्वीकार कर लिया था, जिसे उसके फेसबुक पोस्ट के लिए बुक किया गया था.

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पोस्ट में उसने तहरीक-ए-तालिबान जैसे आतंकवादी संगठन की प्रशंसा और महिमामंडन किया था. सरकार का तर्क था कि अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को बाहर किया गया और हिंसक तरीकों से भारतीय नागरिकों को भी निशाना बनाया. अदालत ने आवेदक को यह देखते हुए जमानत दे दी थी कि उन फेसबुक पोस्टों में कुछ भी नहीं है जिसके लिए आगे हिरासत में रखने की आवश्यकता है.

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