नई दिल्ली : आरएसएस के प्रचारक रहे भरतीय मजदूर संघ और किसान संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंग्ड़ी के नाम पर एक डाक टिकट जारी किया गया है. विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में आरएसएस के वरिष्ठ नेता सुरेश भैयाजी जोशी और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद रहे. आरएसएस हो या भाजपा, दोनों ही दत्तोपंत ठेंग्ड़ी को अपने आदर्श के रूप में मानते हैं और ठेंग्ड़ी द्वारा संस्थापित सभी संगठन भी लगातार सरकार से संवाद कर उनकी नीतियों के अनुसार कार्य करने की बात करते हैं.
डाक टिकट विमोचन के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रीय महासचिव सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि दत्तोपंत के नाम का डाक टिकट जारी करना एक सम्मान की बात है, लेकिन यह एक औपचारिक श्रद्धांजलि होगी, उनके बताये रास्ते पर चलना और उनके सिद्धांतो का अनुपालन करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है.
भैयाजी जोशी ने आगे कहा कि वह पहले ऐसे मजदूरों के नेता हुए, जिन्होनें एक मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाने से इनकार करते हुए कहा कि भारत में विश्वकर्मा दिवस को ही मजदूर दिवस के रूप में मनाएंगे.
वह संघर्ष नहीं बल्की समन्वय में विश्वास रखते थे और इसलिए कभी हड़ताल के पक्ष में नहीं रहे. उनका मानना था कि वह मजदूरों के हित में कार्य करेंगे, लेकिन मजदूर देश हित में कार्य करें. हालांकि आवश्यकता पड़ने पर उन्हें संघर्ष का रास्ता अपनाने से कोई गुरेज या आशंका नहीं थी.
संघ नेता ने आगे कहा कि एक समय में जब देश और विश्व में संख्या बल बढ़ा कर अपना प्रभुत्व स्थापित करने की होड़ लगी थी और लोग धर्मांतरण और कई अन्य चीजों का सहारा ले रहे थे तब दत्तोपंत ने कहा था कि जो सबको साथ लेकर चलेगा वही आगे बढ़ेगा. वामपंथ के अस्त की भविश्यवाणी उन्होंने 1989 में ही कर दी थी, जब उन्होनें कहा था कि वह देख सकते हैं कि आने वाले समय में लाल रंग भगवे में बदल रहा है.
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केंद्रीय रेल और सूचना तक्नीकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि उन्होंने ठेंग्ड़ी की लिखी पुस्तकों का अध्ययन किया और उन्हें उसमें ज्ञान का भरमार दिखता है. वैष्णव अर्थशाश्त्र और वित्त के छात्र रहे हैं लेकिन संसद सदस्य बनने के बाद इन किताबों ने उनका मार्गदर्शन किया.
मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिरण्मय पण्ड्या ने जानकारी दी कि यह आयोजन दत्तोपंत ठेंग्ड़ी के जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में 2019-20 में ही आयोजित होना तय हुआ था लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे आयोजित करने में देरी हुई.
आरएसएस हो या भाजपा, दोनों ही दत्तोपंत ठेंग्ड़ी को अपने आदर्श के रूप में मानते हैं और ठेंग्ड़ी द्वारा संस्थापित सभी संगठन भी लगातार सरकार से संवाद कर उनकी नीतियों के अनुसार कार्य करने की बात करते हैं. मौजूदा दिनों में मजदूर संघ और किसान संघ दोनों ही प्रमुख संगठन सरकार के साथ सामंजस्य और संघर्ष दोनों रास्ते अपनाते देखे जा रहे हैं.
भरतीय किसान संघ उपज पर लाभकारी मूल्य तो भारतीय किसान संघ नए लेबर कोड में आवश्यक संशोधन और निजीकरण के विरोध में सरकार के सामने खड़ी है. ऐसे में दोनों ही संगठनों के संस्थापक रहे दत्तोपंत ठेंग्ड़ी के नाम का डाक टिकट जारी किया जाना सरकार और संघ के बीच फिर से सामंजस्य स्थापित करने में कितना सहायक होगा यह देखने वाली बात होगी.