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हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शौचालयों को लेकर राजनीति तेज, विपक्ष का सरकार पर वार, देखिए क्या है हकीकत? - हरियाणा पोलिटिकल न्यूज

Politics over haryana govt school issue: हरियाणा में स्कूलों की स्थिति पर सरकार को हाईकोर्ट की फटकार के बाद राजनीति तेज हो गयी है. विपक्ष का कहना है कि यह सरकार सिर्फ भर्ती में घोटाला कर रही है. वहीं सीएम मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि स्कूलों में जो भी काम बचा था उसे ठीक कर दिया गया है. सरकार नया एफिडेविट देगी. आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने अपनी सुनवाई में शिक्षा विभाग पर 5 लाख का जुर्माना का लगाया था और 15 दिसंबर को अगली सुनवाई में हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव को खुद उपस्थित होने का आदेश दिया था. ईटीवी भारत की टीम ने विभिन्न जिलों में सरकारी स्कूलों का जायजा लिया और वहां उपलब्ध बुनयादी सुविधाओं की रियलिटी चेक किया.

Politics over haryana govt school issue
हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शौचालयों को लेकर राजनीति तेज
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 15, 2023, 2:38 PM IST

चंडीगढ़: हाईकोर्ट में सरकार ने जो एफिडेविट दिया था उससे शिक्षा विभाग की पोल खुल गयी है. एफिडेविट से पता चलता है कि हरियाणा के स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कितनी कमी है. प्रशासनिक लापरवाही का यह आलम है कि शिक्षा विभाग को आवंटित राशि बिना खर्च हुए सरकार को वापस कर दी गयी है. 10,675.99 करोड़ रूपये वापस कर दिये गये. इसको लेकर राजनीतिक दल सरकार की धेराबंद कर रही है.

स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं पर सियासत: विरोधी दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि हरियाणा में शिक्षा की स्थिति कैसी है इसको लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को आईना दिखा दिया है. स्कूलों में न तो कमरें हैं और न ही शौचालय. सरकार का ध्यान नहीं है वह तो सिर्फ भर्ती में घोटाले पर घोटाले किए जा रही है. आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा कहते हैं कि शिक्षा मंत्री कहते थे कि हमारे स्कूल दिल्ली से भी अच्छे हैं. हमने कहा कि दिखाओ तो आज तक नहीं दिखाए. अब पता चला कि अब तक उन्होंने स्कूल क्यों नही दिखाया. हरियाणा में स्कूलों की कैसी स्थिति है वह किसी से छुपी नहीं है. विरोधी दलों के निशाने पर आए सीएम मनोहरलाल खट्टर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मई 2023 में हाईकोर्ट में एफिडेविट देने के बाद सरकार ने तीन किश्तों में फंड जारी किया. इससे सारी व्यवस्था ठीक कर ली गयी है. 131 स्कूल में ड्रिंकिंग वाटर नहीं होने की बात सामने आयी थी, लेकिन अब वहां पीने के पानी की व्यवस्था कर दी गयी है. लड़के और लड़कियों के टॉयलेट को भी ठीक कर दिया गया है. अब कोई मामला बचा नहीं है. सरकार इस सम्बन्ध में हाईकोर्ट में नया एफिडेविट देगी. शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने भी कहा कि मैनें इस संबंध में अधिकारियों की बैठक ली है. करीब- करीब जहां पर जो कमियां थी वह हमने दूर कर दिए हैं. जहां तक कमरे बनाने की बात है तो वह इतनी जल्दी तैयार नहीं हो सकती. उसमें फाइनेंस डिपार्टमेंट के अप्रूवल की भी जरूरत होती है, इसमें 3 से 5 साल का वक्त लग सकता हैं. कमरों वाले मामले को छोड़कर लगभग हमने बाकी सारी चीजें पूरी कर ली है.

सरकार के एफिडेविट में क्या था ?: शिक्षा विभाग की ओर से 17 मई 2023 को हाईकोर्ट में दिए गए हलफनामे में कई चौंकाने वाले मामले सामने आये हैं. इससे पता चलता है कि स्कूलों में बच्चे किस हालात में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. शिक्षा विभाग के एफिडेविट के मुताबिक प्रदेश के 1047 स्कूलों में लड़कों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है. वहीं 538 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है. जबकि 131 सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है. साथ ही 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन ही नहीं है. एफिडेविट में सरकार ने खुद माना है कि छात्रों के लिए 8240 क्लासरूम की आवश्यकता है.

कैसे हाईकोर्ट में आया मामला?: कैथल जिले के बालू सरकारी स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. स्कूल के बच्चों को अपनी पढ़ाई करने में बहुत दिक्कत होती थी. बच्चों ने पढ़ाई की सही ढंग से व्यवस्था करने के लिए हर जगह गुहार लगायी. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. हालत ये थी कि स्कूल के भवन को खुद सरकार खतरनाक घोषित कर रखी थी उसके बावजूद बच्चे उसी भवन में पढ़ने को मजबूर थे. समस्या का समाधान नहीं होने पर स्कूल के बच्चों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. बच्चों ने अपने वकील प्रदीप कुमार के माध्यम से 2016 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसी याचिका के आधार पर कोर्ट ने पूरे प्रदेश की स्कूलों की स्थिति जाननी चाही जिसके बाद सरकार ने कोर्ट में एफिडेविट दिया था.

सरकारी स्कूलों में रियलिटी चेक: सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की जमीनी सच्चाई जानने के लिए विभिन्न जिलों के स्कूलों में हमने अपने संवाददताओं को भेजा. पानीपत में हमारे संवाददाता पहले राजकीय प्राथमिक पाठशाला इनसार पहुंचे. वहां उन्होंने जो देखा वह बहुत चौंकाने वाला था. स्कूल का अपना भवन ही नहीं था. स्कूल एक मंदिर के प्रांगण में चल रहा था. जगह की कमी थी. तीन क्लासें एक हॉल में लग रही थी. शिक्षकों ने बताया कि बच्चों की शोर इतनी हो जाती है कि हमारी आवाज ही बच्चों तक नहीं पहुंच पाती है तो उनको समझ क्या आएगा.शौचालय की स्थिति तो और बदतर है. स्कूल में एक ही शौचालय है जो ठीक है. उसी शौचालय में लड़के भी जाते हैं और लड़कियां भी.इसके बाद हमारे संवाददाता गवर्मेंट प्राइमरी स्कूल, हरीनगर पहुंचे तो वहां की स्थिति भी खराब ही थी. क्लास रूम नहीं था बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करते दिखे. कुछ बच्चे टीन के शेड के नीचे खुले में पढ़ाई कर रहे थे. सबसे हैरानी की बात यह दिखी कि जहां बच्चे पढ़ रहे थे ,वहीं मिड डे मिल योजना के तहत बच्चों के लिए खाना भी बन रहा था. सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था.

फरीदाबाद में सरकारी स्कूलों में रियलिटी चेक: फरीदाबाद में हमारे संवाददाता पहले राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पहुंचे. स्कूल में शौचालय तो बने थे लेकिन शौचालय की स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी शौचालय से बदबू आ रही थी. शौचालय पूरी तरह से टूटे पड़े थे. हमने इस बारे में स्कूल की प्रिंसिपल से बात की तो उन्होंने कहा कि शौचालय की स्थिति ठीक है. शौचालयों की नियमित सफाई की जाती है. लेकिन जब हमारे संवाददाता ने वीडियो बनाना चाहा तो प्रिंसिपल ने मना कर दिया. प्रिंसिपल ने कहा अगर वीडियो बनाना हो तो पहले ऑर्डर लेकर आइए. जाहिर है प्रिंसिपल ने हमें जमीनी सच्चाई दिखाने से मना कर दिया.हमने स्कूल कैंपस में छात्रों से बात करने की कोशिश की तो ऑफ द रिकार्ड उनलोगों ने कहा कि बोलने पर टीचर हम पर गुस्सा करेंगी. हमारी टीम ने इसके बाद स्कूल की छुट्टी होने तक इंतजार किया. छुट्टी के बाद स्कूल से बाहर निकले छात्रों ने सारी पोल खोल कर दी. छात्रों का कहना था कि सिर्फ कहने को स्कूल में शौचालय है. शौचालय की स्थिति बहुत खराब है. साफ सफाई नहीं होने के कारण हमेशा दुर्गन्ध आती रहती है. हमारी टीम अगवानपुर स्थित सरकारी स्कूल और बसंतपुर सरकारी स्कूल भी गयी. वहां भी वही नजारा देखने को मिला. कहने को तो शौचालय थे लेकिन उसकी हालत जर्जर थी. साफा सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था.

कुरुक्षेत्र में सरकारी स्कूलों में रियलिटी चेक:हमारे कुरुक्षेत्र संवाददाता स्कूल में शौचालय की जमीनी हकीकत जानने के लिए नरकातारी गांव के सरकारी स्कूल पहुंचे. वहां स्कूल में शौचालय की अच्छी व्यवस्था थी. लड़के और लड़कियों के लिए अलग से शौचालय बने हुए थे. ज्योतिसर और बारना गांव के सरकारी स्कूलों का भी हमारी टीम ने जायजा लिया. वहां भी उन्होंने देखा कि स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था है.

ये भी पढ़ें: पानीपत के सरकारी स्कूलों का रियलिटी टेस्ट, एक ही शौचालय में जाने को मजबूर लड़के लड़कियां

ये भी पढ़ें: फरीदाबाद के सरकारी स्कूलों के रियलिटी चेक में खुली पोल, बुनियादी सुविधाओं का दिखा घोर अभाव

चंडीगढ़: हाईकोर्ट में सरकार ने जो एफिडेविट दिया था उससे शिक्षा विभाग की पोल खुल गयी है. एफिडेविट से पता चलता है कि हरियाणा के स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कितनी कमी है. प्रशासनिक लापरवाही का यह आलम है कि शिक्षा विभाग को आवंटित राशि बिना खर्च हुए सरकार को वापस कर दी गयी है. 10,675.99 करोड़ रूपये वापस कर दिये गये. इसको लेकर राजनीतिक दल सरकार की धेराबंद कर रही है.

स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं पर सियासत: विरोधी दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि हरियाणा में शिक्षा की स्थिति कैसी है इसको लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को आईना दिखा दिया है. स्कूलों में न तो कमरें हैं और न ही शौचालय. सरकार का ध्यान नहीं है वह तो सिर्फ भर्ती में घोटाले पर घोटाले किए जा रही है. आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा कहते हैं कि शिक्षा मंत्री कहते थे कि हमारे स्कूल दिल्ली से भी अच्छे हैं. हमने कहा कि दिखाओ तो आज तक नहीं दिखाए. अब पता चला कि अब तक उन्होंने स्कूल क्यों नही दिखाया. हरियाणा में स्कूलों की कैसी स्थिति है वह किसी से छुपी नहीं है. विरोधी दलों के निशाने पर आए सीएम मनोहरलाल खट्टर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मई 2023 में हाईकोर्ट में एफिडेविट देने के बाद सरकार ने तीन किश्तों में फंड जारी किया. इससे सारी व्यवस्था ठीक कर ली गयी है. 131 स्कूल में ड्रिंकिंग वाटर नहीं होने की बात सामने आयी थी, लेकिन अब वहां पीने के पानी की व्यवस्था कर दी गयी है. लड़के और लड़कियों के टॉयलेट को भी ठीक कर दिया गया है. अब कोई मामला बचा नहीं है. सरकार इस सम्बन्ध में हाईकोर्ट में नया एफिडेविट देगी. शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने भी कहा कि मैनें इस संबंध में अधिकारियों की बैठक ली है. करीब- करीब जहां पर जो कमियां थी वह हमने दूर कर दिए हैं. जहां तक कमरे बनाने की बात है तो वह इतनी जल्दी तैयार नहीं हो सकती. उसमें फाइनेंस डिपार्टमेंट के अप्रूवल की भी जरूरत होती है, इसमें 3 से 5 साल का वक्त लग सकता हैं. कमरों वाले मामले को छोड़कर लगभग हमने बाकी सारी चीजें पूरी कर ली है.

सरकार के एफिडेविट में क्या था ?: शिक्षा विभाग की ओर से 17 मई 2023 को हाईकोर्ट में दिए गए हलफनामे में कई चौंकाने वाले मामले सामने आये हैं. इससे पता चलता है कि स्कूलों में बच्चे किस हालात में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. शिक्षा विभाग के एफिडेविट के मुताबिक प्रदेश के 1047 स्कूलों में लड़कों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है. वहीं 538 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है. जबकि 131 सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है. साथ ही 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन ही नहीं है. एफिडेविट में सरकार ने खुद माना है कि छात्रों के लिए 8240 क्लासरूम की आवश्यकता है.

कैसे हाईकोर्ट में आया मामला?: कैथल जिले के बालू सरकारी स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. स्कूल के बच्चों को अपनी पढ़ाई करने में बहुत दिक्कत होती थी. बच्चों ने पढ़ाई की सही ढंग से व्यवस्था करने के लिए हर जगह गुहार लगायी. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. हालत ये थी कि स्कूल के भवन को खुद सरकार खतरनाक घोषित कर रखी थी उसके बावजूद बच्चे उसी भवन में पढ़ने को मजबूर थे. समस्या का समाधान नहीं होने पर स्कूल के बच्चों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. बच्चों ने अपने वकील प्रदीप कुमार के माध्यम से 2016 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसी याचिका के आधार पर कोर्ट ने पूरे प्रदेश की स्कूलों की स्थिति जाननी चाही जिसके बाद सरकार ने कोर्ट में एफिडेविट दिया था.

सरकारी स्कूलों में रियलिटी चेक: सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की जमीनी सच्चाई जानने के लिए विभिन्न जिलों के स्कूलों में हमने अपने संवाददताओं को भेजा. पानीपत में हमारे संवाददाता पहले राजकीय प्राथमिक पाठशाला इनसार पहुंचे. वहां उन्होंने जो देखा वह बहुत चौंकाने वाला था. स्कूल का अपना भवन ही नहीं था. स्कूल एक मंदिर के प्रांगण में चल रहा था. जगह की कमी थी. तीन क्लासें एक हॉल में लग रही थी. शिक्षकों ने बताया कि बच्चों की शोर इतनी हो जाती है कि हमारी आवाज ही बच्चों तक नहीं पहुंच पाती है तो उनको समझ क्या आएगा.शौचालय की स्थिति तो और बदतर है. स्कूल में एक ही शौचालय है जो ठीक है. उसी शौचालय में लड़के भी जाते हैं और लड़कियां भी.इसके बाद हमारे संवाददाता गवर्मेंट प्राइमरी स्कूल, हरीनगर पहुंचे तो वहां की स्थिति भी खराब ही थी. क्लास रूम नहीं था बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करते दिखे. कुछ बच्चे टीन के शेड के नीचे खुले में पढ़ाई कर रहे थे. सबसे हैरानी की बात यह दिखी कि जहां बच्चे पढ़ रहे थे ,वहीं मिड डे मिल योजना के तहत बच्चों के लिए खाना भी बन रहा था. सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था.

फरीदाबाद में सरकारी स्कूलों में रियलिटी चेक: फरीदाबाद में हमारे संवाददाता पहले राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पहुंचे. स्कूल में शौचालय तो बने थे लेकिन शौचालय की स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी शौचालय से बदबू आ रही थी. शौचालय पूरी तरह से टूटे पड़े थे. हमने इस बारे में स्कूल की प्रिंसिपल से बात की तो उन्होंने कहा कि शौचालय की स्थिति ठीक है. शौचालयों की नियमित सफाई की जाती है. लेकिन जब हमारे संवाददाता ने वीडियो बनाना चाहा तो प्रिंसिपल ने मना कर दिया. प्रिंसिपल ने कहा अगर वीडियो बनाना हो तो पहले ऑर्डर लेकर आइए. जाहिर है प्रिंसिपल ने हमें जमीनी सच्चाई दिखाने से मना कर दिया.हमने स्कूल कैंपस में छात्रों से बात करने की कोशिश की तो ऑफ द रिकार्ड उनलोगों ने कहा कि बोलने पर टीचर हम पर गुस्सा करेंगी. हमारी टीम ने इसके बाद स्कूल की छुट्टी होने तक इंतजार किया. छुट्टी के बाद स्कूल से बाहर निकले छात्रों ने सारी पोल खोल कर दी. छात्रों का कहना था कि सिर्फ कहने को स्कूल में शौचालय है. शौचालय की स्थिति बहुत खराब है. साफ सफाई नहीं होने के कारण हमेशा दुर्गन्ध आती रहती है. हमारी टीम अगवानपुर स्थित सरकारी स्कूल और बसंतपुर सरकारी स्कूल भी गयी. वहां भी वही नजारा देखने को मिला. कहने को तो शौचालय थे लेकिन उसकी हालत जर्जर थी. साफा सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था.

कुरुक्षेत्र में सरकारी स्कूलों में रियलिटी चेक:हमारे कुरुक्षेत्र संवाददाता स्कूल में शौचालय की जमीनी हकीकत जानने के लिए नरकातारी गांव के सरकारी स्कूल पहुंचे. वहां स्कूल में शौचालय की अच्छी व्यवस्था थी. लड़के और लड़कियों के लिए अलग से शौचालय बने हुए थे. ज्योतिसर और बारना गांव के सरकारी स्कूलों का भी हमारी टीम ने जायजा लिया. वहां भी उन्होंने देखा कि स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था है.

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