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झीरम नक्सली हमले पर SC के फैसले से छत्तीसगढ़ का सियासी पारा हाई, लेकिन झीरम पीड़ितों में जगी इंसाफ की उम्मीद

Jheeram Naxalite attack probe झीरम नक्सली हमले पर जांच को लेकर NIA और छत्तीसगढ़ सरकार में ठनी थी. अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद यह तय हो गया है कि छत्तीसगढ़ पुलिस भी इस केस में जांच करती रहेगी. SC के इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में राजनीतिक तापमान चढ़ चुका है. Politics in CG On SC decision on Jheeram

SC decision on Jheeram Naxalite attack
झीरम नक्सली हमले पर एससी का फैसला
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 22, 2023, 10:51 PM IST

Updated : Nov 23, 2023, 10:14 AM IST

झीरम नक्सली हमले पर एससी के फैसले से चढ़ा सियासी पारा

नई दिल्ली/रायपुर: झीरम नक्सली हमले पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच के खिलाफ एनआईए की याचिका को खारिज कर दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच पर रोक नहीं लगा सकते हैं. SC के इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में सियासी पारा हाई है. कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रही है, जबकि बीजेपी कांग्रेस पर इस मामले में सच को सामने नहीं लाने का आरोप लगा रही है. hope Of justice in Jheeram victims

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में क्या कहा ?: झीरम घाटी नक्सली हमला साल 2013 में हुआ था. करीब 10 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, फिर भी अब तक झीरम के दोषियों को सजा नहीं मिल सकी है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की याचिका को रिजेक्ट कर दिया. इसके साथ ही एससी की तरफ से काफी सख्त टिप्पणी की गई.मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, "क्षमा करें, हम इस जांच के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे." इसके बाद उन्होंने एनआईए की याचिका को खारिज कर दिया. जबकि एनआईए के तरफ से " अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीठ से कहा कि घटना में बड़ी साजिश के पहलू की जांच एनआईए द्वारा की जानी चाहिए. क्योंकि केस में मेन FIR की जांच केंद्रीय एजेंसी द्वारा की जा रही है, छत्तीसगढ़ पुलिस ने एनआईए को रिकॉर्ड सौंपने से इनकार कर दिया, तो एजेंसी ने ट्रायल कोर्ट का रुख किया, जिसने याचिका खारिज कर दी. इसके बाद, उच्च न्यायालय ने भी 2 मार्च, 2022 को ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज कर दी. इस केस में एनआईए की तरफ से यह दलील दी गई कि जब मुख्य मामले की जांच NIA की तरफ से की जा रही है तो उस घटना से जुड़ी अन्य एफआईआर की जांच दूसरी जांच एजेंसी से नहीं की जा सकती.

छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से SC में क्या कहा गया: एनआईए की दलील के बाद छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से दलील पेश की गई. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील एएनएस नादकर्णी और वकील सुमीर सोढ़ी ने राज्य सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि" राज्य ने शुरू में एनआईए से घटना की बड़ी साजिश के पहलू की जांच करने का अनुरोध किया था. लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. उसके बाद राज्य सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया कि एक बड़ी साजिश की जांच सीबीआई को सौंपी जाए. क्योंकि एनआईए ने जांच करने से इनकार कर दिया था. केंद्र ने सीबीआई को जांच सौंपने से इनकार कर दिया. फिर राज्य सरकार क्या कर सकती थी ? बड़ी साजिश के पहलू की जांच करने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में सियासत तेज: झीरम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में सियासी पारा हाई है. कांग्रेस नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है. सीएम भूपेश बघेल ने मीडिया से बात करते हुए इस केस में अब न्याय की उम्मीद जताई है. फैसला आने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने अपनी प्रतिक्रिया एक्स पर जाहिर की है. उन्होंने लिखा कि" झीरम की जांच का रास्ता साफ़ हो गया है, अब छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच करेगी. किसने किसके साथ मिलकर क्या षडयंत्र रचा था, अब सब साफ़ हो जाएगा"

"तत्कालीन रमन सरकार की पुलिस ने झीरम नक्सली के साक्ष्य को मिटाने का काम किया था. पूर्व में रमन सरकार के द्वारा कराए गए जांच में ना तो पीड़ितों से बयान लिया गया, ना ही जिन अधिकारियों को उस परिवर्तन यात्रा की सुरक्षा में तैनात किया गया था उनसे पूछताछ की गई. घटना के दिन से ही पीड़ित और उनके परिवार के सदस्यों का सीधा आरोप था कि, यह दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक नरसंहार और सुपारी किलिंग है. झीरम में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में नक्सलियों ने नाम पूछ पूछ कर गोलियां दागी थी"- सुरेंद्र वर्मा, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

बीजेपी ने सीएम बघेल पर बोला हमला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी की तरफ से छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने मोर्चा संभाला. उन्होंने कहा कि" मुख्यमंत्री कहते थे झीरम का सच उनकी जेब में है, लेकिन अब तक उसे सामने नहीं लाया गया."

झीरम के पीड़ितों में जगी न्याय की उम्मीद: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद झीरम हमले के पीड़ित परिवारों में न्याय की उम्मीद जगी है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए झीरम नक्सली हमले के चश्मदीद और कांग्रेस नेता शिव सिंह ठाकुर ने अपना दर्द बयां किया है. उन्होंने कहा कि" आज भी झीरम के जख्म हरे हैं, मेरे शरीर में गोलियों के सात छर्रे आज भी मौजूद है. मैं कभी भी मेटल डिक्टेटर से गुजरता हूं तो मशीन की आवाज आती है.

"मैं झीरम के दर्द को भूल नहीं पाया हूं. मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य पुलिस इस पूरे मामले की जांच करेगी. झीरम नक्सली हमले के आरोपी सलाखों के पीछे होंगे"- शिव सिंह ठाकुर, कांग्रेस नेता और झीरम हमले के चश्मदीद

झीरम नक्सली हमले के बारे में जानिए

  1. 25 मई 2013 को बस्तर जिले के दरभा इलाके की झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया था, जिसमें तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी. भारी हथियारों से लैस नक्सलियों द्वारा घातक हमला तब हुआ था, जब तत्कालीन विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक प्रचार चल रहा था. इस चुनाव प्रचार में कांग्रेस नेता बस्तर जिले में परिवर्तन रैली में शामिल होने के बाद लौट रहे थे. इस घटना ने न सिर्फ छत्तीसगढ़ को बल्कि पूरे देश को हिलाकर कर रख दिया था. इसे झीरम घाटी नरसंहार के तौर पर भी याद किया जाता है.
  2. साल 2013 में इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाया गया था. लेकिन 2013 से 2018 तक इस आयोग की जांच पूरी नहीं हुई. इसके बाद कांग्रेस सरकार आने के बाद इस जांच में नौ बिंदु और जोड़े गए. दो और नए सदस्यों का उसमें जोड़ा गया. लेकिन इसके बाद आनन फानन में में इस आयोग के अध्यक्ष का छत्तीसगढ़ से तबादला हो गया और फिर उन्होंने राज भवन में इस मामले की अधूरी रिपोर्ट सौंप दिए.
  3. इस मामले में कांग्रेस की तरफ से लगातार आरोप लगाए गए. कांग्रेस नेताओं का मानना है कि साल 2014 तक जब तक केंद्र में कांग्रेस सरकार थी, तब तक एनआईए ने इस मामले की जांच में गणपति और रमन्ना को आरोपी बनाया. उनकी संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू की गई. लेकिन जैसे ही केंद्र में बीजेपी की सरकार आई. उसके बाद जांच की दिशा बदल गई. जो चालान साल 2014 में प्रस्तुत किए गए, उसमें गणपति और रमन्ना का नाम गायब था.
  4. साल 2018 के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने झीरम मामले की जांच का वादा किया था. कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 5 जनवरी 2019 को एसआईटी का गठन किया गया. इस एसआईटी की जांच को बाधित करने के लिए भाजपा और एनआईए कोर्ट गए. इसके बाद 2020 में झीरम थाने में जितेंद्र मुदलियार ने हत्या ओर हत्या की साजिश की दिशा में जांच करने के लिए एफआईआर दर्ज कराया. इस मामले में एनआईए ने पहले जगदलपुर कोर्ट फिर बिलासपुर हाईकोर्ट में आपत्ति दर्ज कराई. वहां आपत्ति खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति लगाई. अब सुप्रीम कोर्ट से भी वह आपत्ति खारिज हो गई है. इसका मतलब है कि राज्य सरकार भी इसमें जांच करेगी.
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नई दिल्ली/रायपुर: झीरम नक्सली हमले पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच के खिलाफ एनआईए की याचिका को खारिज कर दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच पर रोक नहीं लगा सकते हैं. SC के इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में सियासी पारा हाई है. कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रही है, जबकि बीजेपी कांग्रेस पर इस मामले में सच को सामने नहीं लाने का आरोप लगा रही है. hope Of justice in Jheeram victims

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में क्या कहा ?: झीरम घाटी नक्सली हमला साल 2013 में हुआ था. करीब 10 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, फिर भी अब तक झीरम के दोषियों को सजा नहीं मिल सकी है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की याचिका को रिजेक्ट कर दिया. इसके साथ ही एससी की तरफ से काफी सख्त टिप्पणी की गई.मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, "क्षमा करें, हम इस जांच के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे." इसके बाद उन्होंने एनआईए की याचिका को खारिज कर दिया. जबकि एनआईए के तरफ से " अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीठ से कहा कि घटना में बड़ी साजिश के पहलू की जांच एनआईए द्वारा की जानी चाहिए. क्योंकि केस में मेन FIR की जांच केंद्रीय एजेंसी द्वारा की जा रही है, छत्तीसगढ़ पुलिस ने एनआईए को रिकॉर्ड सौंपने से इनकार कर दिया, तो एजेंसी ने ट्रायल कोर्ट का रुख किया, जिसने याचिका खारिज कर दी. इसके बाद, उच्च न्यायालय ने भी 2 मार्च, 2022 को ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज कर दी. इस केस में एनआईए की तरफ से यह दलील दी गई कि जब मुख्य मामले की जांच NIA की तरफ से की जा रही है तो उस घटना से जुड़ी अन्य एफआईआर की जांच दूसरी जांच एजेंसी से नहीं की जा सकती.

छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से SC में क्या कहा गया: एनआईए की दलील के बाद छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से दलील पेश की गई. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील एएनएस नादकर्णी और वकील सुमीर सोढ़ी ने राज्य सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि" राज्य ने शुरू में एनआईए से घटना की बड़ी साजिश के पहलू की जांच करने का अनुरोध किया था. लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. उसके बाद राज्य सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया कि एक बड़ी साजिश की जांच सीबीआई को सौंपी जाए. क्योंकि एनआईए ने जांच करने से इनकार कर दिया था. केंद्र ने सीबीआई को जांच सौंपने से इनकार कर दिया. फिर राज्य सरकार क्या कर सकती थी ? बड़ी साजिश के पहलू की जांच करने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में सियासत तेज: झीरम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में सियासी पारा हाई है. कांग्रेस नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है. सीएम भूपेश बघेल ने मीडिया से बात करते हुए इस केस में अब न्याय की उम्मीद जताई है. फैसला आने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने अपनी प्रतिक्रिया एक्स पर जाहिर की है. उन्होंने लिखा कि" झीरम की जांच का रास्ता साफ़ हो गया है, अब छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच करेगी. किसने किसके साथ मिलकर क्या षडयंत्र रचा था, अब सब साफ़ हो जाएगा"

"तत्कालीन रमन सरकार की पुलिस ने झीरम नक्सली के साक्ष्य को मिटाने का काम किया था. पूर्व में रमन सरकार के द्वारा कराए गए जांच में ना तो पीड़ितों से बयान लिया गया, ना ही जिन अधिकारियों को उस परिवर्तन यात्रा की सुरक्षा में तैनात किया गया था उनसे पूछताछ की गई. घटना के दिन से ही पीड़ित और उनके परिवार के सदस्यों का सीधा आरोप था कि, यह दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक नरसंहार और सुपारी किलिंग है. झीरम में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में नक्सलियों ने नाम पूछ पूछ कर गोलियां दागी थी"- सुरेंद्र वर्मा, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

बीजेपी ने सीएम बघेल पर बोला हमला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी की तरफ से छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने मोर्चा संभाला. उन्होंने कहा कि" मुख्यमंत्री कहते थे झीरम का सच उनकी जेब में है, लेकिन अब तक उसे सामने नहीं लाया गया."

झीरम के पीड़ितों में जगी न्याय की उम्मीद: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद झीरम हमले के पीड़ित परिवारों में न्याय की उम्मीद जगी है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए झीरम नक्सली हमले के चश्मदीद और कांग्रेस नेता शिव सिंह ठाकुर ने अपना दर्द बयां किया है. उन्होंने कहा कि" आज भी झीरम के जख्म हरे हैं, मेरे शरीर में गोलियों के सात छर्रे आज भी मौजूद है. मैं कभी भी मेटल डिक्टेटर से गुजरता हूं तो मशीन की आवाज आती है.

"मैं झीरम के दर्द को भूल नहीं पाया हूं. मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य पुलिस इस पूरे मामले की जांच करेगी. झीरम नक्सली हमले के आरोपी सलाखों के पीछे होंगे"- शिव सिंह ठाकुर, कांग्रेस नेता और झीरम हमले के चश्मदीद

झीरम नक्सली हमले के बारे में जानिए

  1. 25 मई 2013 को बस्तर जिले के दरभा इलाके की झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया था, जिसमें तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी. भारी हथियारों से लैस नक्सलियों द्वारा घातक हमला तब हुआ था, जब तत्कालीन विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक प्रचार चल रहा था. इस चुनाव प्रचार में कांग्रेस नेता बस्तर जिले में परिवर्तन रैली में शामिल होने के बाद लौट रहे थे. इस घटना ने न सिर्फ छत्तीसगढ़ को बल्कि पूरे देश को हिलाकर कर रख दिया था. इसे झीरम घाटी नरसंहार के तौर पर भी याद किया जाता है.
  2. साल 2013 में इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाया गया था. लेकिन 2013 से 2018 तक इस आयोग की जांच पूरी नहीं हुई. इसके बाद कांग्रेस सरकार आने के बाद इस जांच में नौ बिंदु और जोड़े गए. दो और नए सदस्यों का उसमें जोड़ा गया. लेकिन इसके बाद आनन फानन में में इस आयोग के अध्यक्ष का छत्तीसगढ़ से तबादला हो गया और फिर उन्होंने राज भवन में इस मामले की अधूरी रिपोर्ट सौंप दिए.
  3. इस मामले में कांग्रेस की तरफ से लगातार आरोप लगाए गए. कांग्रेस नेताओं का मानना है कि साल 2014 तक जब तक केंद्र में कांग्रेस सरकार थी, तब तक एनआईए ने इस मामले की जांच में गणपति और रमन्ना को आरोपी बनाया. उनकी संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू की गई. लेकिन जैसे ही केंद्र में बीजेपी की सरकार आई. उसके बाद जांच की दिशा बदल गई. जो चालान साल 2014 में प्रस्तुत किए गए, उसमें गणपति और रमन्ना का नाम गायब था.
  4. साल 2018 के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने झीरम मामले की जांच का वादा किया था. कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 5 जनवरी 2019 को एसआईटी का गठन किया गया. इस एसआईटी की जांच को बाधित करने के लिए भाजपा और एनआईए कोर्ट गए. इसके बाद 2020 में झीरम थाने में जितेंद्र मुदलियार ने हत्या ओर हत्या की साजिश की दिशा में जांच करने के लिए एफआईआर दर्ज कराया. इस मामले में एनआईए ने पहले जगदलपुर कोर्ट फिर बिलासपुर हाईकोर्ट में आपत्ति दर्ज कराई. वहां आपत्ति खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति लगाई. अब सुप्रीम कोर्ट से भी वह आपत्ति खारिज हो गई है. इसका मतलब है कि राज्य सरकार भी इसमें जांच करेगी.
झीरम घाटी कांड की जांच करेगी छत्तीसगढ़ पुलिस, SC का फैसला आने के बाद छत्तीसगढ़ में सियासत हुई तेज
झीरम कांड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से छत्तीसगढ़ की सियासत गर्म, कांग्रेस और बीजेपी में जुबानी जंग तेज
Chhattisgarh News: संजय दीपक राव नहीं है झीरम घाटी और ताड़मेटला हमले का मास्टरमाइंड: बस्तर आईजी सुंदरराज पी
Last Updated : Nov 23, 2023, 10:14 AM IST
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