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प. बंगाल की राजनीतिक हिंसा के बारे में सभी पार्टियां सोचें : विशेषज्ञ

ईटीवी भारत से बात करते हुए राजनीतिक विश्लेषक सुरेश बाफना ने कहा कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा निश्चित रूप से चिंताजनक है और यह आगामी विधानसभा चुनावों के प्रत्येक प्रतिभागी की चिंता होनी चाहिए. लेकिन लगता है कि इन समस्याओं को दूर करने की दिशा में पार्टियां गंभीर नहीं हैं. हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में और अधिक हिंसा होगी.

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Published : Mar 4, 2021, 7:53 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चुनाव आयोग को एक रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में 2019 के लोक सभा चुनावों के दौरान हिंसा की 693 घटनाएं और 11 मौतें हुईं. राजनीतिक गलियारों ने यह माना है कि ये स्थिति चिंताजनक है. सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर चिंतन करना चाहिए.

एमएचए के सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल राज्य में राजनीतिक हिंसा की 663 घटनाएं दर्ज की गईं और 57 लोग मारे गए. इस साल 1-7 जनवरी के बीच राजनीतिक हिंसा की 23 घटनाएं हुईं. दो राजनीतिक कार्यकर्ता मारे गए और उनमें से 43 घायल हो गए. पश्चिम बंगाल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक अध्ययन के अनुसार पश्चिम बंगाल में बैठे विधायकों में से 37% - 282 में से 104 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. जबकि 90 (32%) ) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज किए हैं.

प.बंगाल की राजनैतिक हिंसा के बारे में सभी पार्टियां सोचें

एडीआर रिपोर्ट पर बोलते हुए सुरेश बाफना ने कहा कि ज्यादातर विधायकों के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में फिर से लड़ने की संभावना है. वे (आपराधिक पृष्ठभूमि वाले राजनेता) सत्ता पक्ष के प्रति अपनी निष्ठा को शिफ्ट करते हैं. पहले वे वाम दलों के साथ थे, अब वे टीएमसी के प्रति निष्ठा रखते हैं. इसलिए मुझे लगता है कि यह राज्य की राजनीति में एक गंभीर समस्या है.

यह भी पढ़ें-रसोई गैस पर टैक्स ने बनाया विश्व रिकाॅर्ड, एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में लगी आग

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के राजनीतिक दलों को इस पर एक साथ सोचना चाहिए. लेकिन दुर्भाग्य से वे एक साथ नहीं सोचते हैं, क्योंकि वे एक-दूसरे के खिलाफ सोचते हैं.

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चुनाव आयोग को एक रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में 2019 के लोक सभा चुनावों के दौरान हिंसा की 693 घटनाएं और 11 मौतें हुईं. राजनीतिक गलियारों ने यह माना है कि ये स्थिति चिंताजनक है. सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर चिंतन करना चाहिए.

एमएचए के सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल राज्य में राजनीतिक हिंसा की 663 घटनाएं दर्ज की गईं और 57 लोग मारे गए. इस साल 1-7 जनवरी के बीच राजनीतिक हिंसा की 23 घटनाएं हुईं. दो राजनीतिक कार्यकर्ता मारे गए और उनमें से 43 घायल हो गए. पश्चिम बंगाल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक अध्ययन के अनुसार पश्चिम बंगाल में बैठे विधायकों में से 37% - 282 में से 104 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. जबकि 90 (32%) ) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज किए हैं.

प.बंगाल की राजनैतिक हिंसा के बारे में सभी पार्टियां सोचें

एडीआर रिपोर्ट पर बोलते हुए सुरेश बाफना ने कहा कि ज्यादातर विधायकों के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में फिर से लड़ने की संभावना है. वे (आपराधिक पृष्ठभूमि वाले राजनेता) सत्ता पक्ष के प्रति अपनी निष्ठा को शिफ्ट करते हैं. पहले वे वाम दलों के साथ थे, अब वे टीएमसी के प्रति निष्ठा रखते हैं. इसलिए मुझे लगता है कि यह राज्य की राजनीति में एक गंभीर समस्या है.

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उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के राजनीतिक दलों को इस पर एक साथ सोचना चाहिए. लेकिन दुर्भाग्य से वे एक साथ नहीं सोचते हैं, क्योंकि वे एक-दूसरे के खिलाफ सोचते हैं.

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