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पुडुचेरी में सरकार गिरने के साथ ही कांग्रेस और भाजपा में सियासी उठापटक तेज - political crisis in puducherry

पुडुचेरी की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस की सियासी मुसीबत और बढ़ गई है, वहीं भाजपा जोड़-तोड़ में जुट गई है. भाजपा ने तंज कसा है कि कांग्रेस की अब अपनी पार्टी के नेताओं पर पकड़ मजबूत नहीं रही. वहीं, सियासी संकट के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक मार्च को पुडुचेरी जाएंगे.

puducherry politics
बीजेपी प्रवक्ता ने दिया बयान
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Published : Feb 23, 2021, 6:28 PM IST

Updated : Feb 24, 2021, 10:06 AM IST

नई दिल्ली : एक तरफ पुडुचेरी की सरकार गिरने से कांग्रेस की सियासी मुसीबत और बढ़ गई है, वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसे एक अवसर मानकर सियासी जोड़-तोड़ में जुट गई है. राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि नई सरकार के बनने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री नारायणसामी के पास ही सारे अधिकार सीमित है, इससे उनका ही पुलिस व प्रशासन पर नियंत्रण रहेगा.

बीजेपी प्रवक्ता ने दिया बयान

जानकारी के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक मार्च को पुडुचेरी जाएंगे. पार्टी कोर कामेटी की बैठक करेंगे. शाह इस दौरान विधानसभा चुनाव को लेकर एक रोड शो भी करेंगे. इससे पहले 25 फरवरी को पीएम मोदी पुडुचेरी जाएंगे.

हालांकि, पुडुचेरी में 2-3 महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए भाजपा जल्दबाजी में कोई भी कदम नहीं उठाना चाहती है. सत्ता की दृष्टि से भले ही पुडुचेरी का अन्य राज्यों के होने वाले चुनाव पर बहुत ज्यादा असर न पड़े, लेकिन भाजपा के खाते में इन राज्यों के चुनाव प्रचार के दौरान इसे मुद्दा बनाने का मौका जरूर दे दिया कि कांग्रेस मात्र दो तीन महीने भी अपनी सरकार नहीं बचा पाई.

सूत्रों की मानें तो सरकार गिरने के बाद से ही भाजपा वहां ऐसी सियासत जुगत में जुट गई है, जिससे आगामी चुनाव में भी कांग्रेस को पटखनी दे सके. यही वजह है कि कांग्रेस, भाजपा पर ही सरकार गिराने का आरोप मढ़ रही है.

इससे कांग्रेस डरी है कि पुडुचेरी की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस के भीतर पार्टी नेताओं के बीच राजनीतिक असंतोष और ज्यादा न बढ़ जाए, क्योंकि गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से विदा होने और मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्ष का नेता बनाए जाने के बाद से ही पार्टी के भीतर सियासी हलचल तेज है.

पढ़ें : विजयवाड़ा : अनियमितता के आरोप में दुर्गा मंदिर के 14 कर्मचारी निलंबित

इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा ने कहा कि कांग्रेस की अब अपनी पार्टी के नेताओं पर पकड़ नहीं रही, वह अपनी सरकार खुद ही नहीं बचा पा रही है और इसका आरोप वह भारतीय जनता पार्टी पर मढ़ रही है.

उन्होंने कहा कि जहां तक पुडुचेरी की बात है, भाजपा इस मामले में उचित जवाब देगी, हम परिस्थितियों के हिसाब से ही काम करेंगे. जहां तक सरकार बनाने की बात है, पार्टी के बड़े नेता इसपर सोचेंगे. मगर इतना जरूर कहना चाहूंगा कि कांग्रेस का भाजपा पर सरकार गिराने का आरोप सरासर गलत है.

भाजपा नेता ने कहा कि इतना जरूर है कि पुडुचेरी में चुनाव होने पर भाजपा की जीत निश्चित है. साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया कि आने वाले दिनों में पांच राज्यों में भाजपा बहुत बढ़िया प्रदर्शन करने जा रही है.

क्या है संविधान में व्यवस्था
संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति या तो आम चुनाव के बाद करता है या फिर तब करता है, जब मुख्यमंत्री के त्यागपत्र देने के कारण या बर्खास्त कर दिये जाने के कारण उसका पद रिक्त हो जाता है. आम चुनाव में किसी एक ही दल को विधानसभा में बहुमत प्राप्त हो जाये और उस दल का कोई निर्वाचित नेता हो, तब उसे मुख्यमंत्री पद पर नियुक्त करना राज्यपाल की संवैधानिक बाध्यता है. यदि मुख्यमंत्री अपने दल के आन्तरिक मतभेदों के कारण त्यागपत्र देता है, तो उस दल के नये निर्वाचित नेता को मुख्यमंत्री के पद की शपथ दिलाता है.

चुनाव में किसी पक्ष के बहुमत प्राप्त न करने की स्थिति में या मुख्यमंत्री की बर्खास्तगी की स्थिति में राज्यपाल अपने विवेक से ही मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है और उसे नियत समय के अन्दर विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश भी देता है. हालांकि नई सरकार के बनने या नये मुख्यमंत्री के कार्यभार ग्रहण तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पास ही सभी अधिकार रहते हैं. इससे पुलिस व प्रशासन पर उनका ही नियंत्रण रहता है.

नई दिल्ली : एक तरफ पुडुचेरी की सरकार गिरने से कांग्रेस की सियासी मुसीबत और बढ़ गई है, वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसे एक अवसर मानकर सियासी जोड़-तोड़ में जुट गई है. राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि नई सरकार के बनने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री नारायणसामी के पास ही सारे अधिकार सीमित है, इससे उनका ही पुलिस व प्रशासन पर नियंत्रण रहेगा.

बीजेपी प्रवक्ता ने दिया बयान

जानकारी के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक मार्च को पुडुचेरी जाएंगे. पार्टी कोर कामेटी की बैठक करेंगे. शाह इस दौरान विधानसभा चुनाव को लेकर एक रोड शो भी करेंगे. इससे पहले 25 फरवरी को पीएम मोदी पुडुचेरी जाएंगे.

हालांकि, पुडुचेरी में 2-3 महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए भाजपा जल्दबाजी में कोई भी कदम नहीं उठाना चाहती है. सत्ता की दृष्टि से भले ही पुडुचेरी का अन्य राज्यों के होने वाले चुनाव पर बहुत ज्यादा असर न पड़े, लेकिन भाजपा के खाते में इन राज्यों के चुनाव प्रचार के दौरान इसे मुद्दा बनाने का मौका जरूर दे दिया कि कांग्रेस मात्र दो तीन महीने भी अपनी सरकार नहीं बचा पाई.

सूत्रों की मानें तो सरकार गिरने के बाद से ही भाजपा वहां ऐसी सियासत जुगत में जुट गई है, जिससे आगामी चुनाव में भी कांग्रेस को पटखनी दे सके. यही वजह है कि कांग्रेस, भाजपा पर ही सरकार गिराने का आरोप मढ़ रही है.

इससे कांग्रेस डरी है कि पुडुचेरी की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस के भीतर पार्टी नेताओं के बीच राजनीतिक असंतोष और ज्यादा न बढ़ जाए, क्योंकि गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से विदा होने और मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्ष का नेता बनाए जाने के बाद से ही पार्टी के भीतर सियासी हलचल तेज है.

पढ़ें : विजयवाड़ा : अनियमितता के आरोप में दुर्गा मंदिर के 14 कर्मचारी निलंबित

इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा ने कहा कि कांग्रेस की अब अपनी पार्टी के नेताओं पर पकड़ नहीं रही, वह अपनी सरकार खुद ही नहीं बचा पा रही है और इसका आरोप वह भारतीय जनता पार्टी पर मढ़ रही है.

उन्होंने कहा कि जहां तक पुडुचेरी की बात है, भाजपा इस मामले में उचित जवाब देगी, हम परिस्थितियों के हिसाब से ही काम करेंगे. जहां तक सरकार बनाने की बात है, पार्टी के बड़े नेता इसपर सोचेंगे. मगर इतना जरूर कहना चाहूंगा कि कांग्रेस का भाजपा पर सरकार गिराने का आरोप सरासर गलत है.

भाजपा नेता ने कहा कि इतना जरूर है कि पुडुचेरी में चुनाव होने पर भाजपा की जीत निश्चित है. साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया कि आने वाले दिनों में पांच राज्यों में भाजपा बहुत बढ़िया प्रदर्शन करने जा रही है.

क्या है संविधान में व्यवस्था
संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति या तो आम चुनाव के बाद करता है या फिर तब करता है, जब मुख्यमंत्री के त्यागपत्र देने के कारण या बर्खास्त कर दिये जाने के कारण उसका पद रिक्त हो जाता है. आम चुनाव में किसी एक ही दल को विधानसभा में बहुमत प्राप्त हो जाये और उस दल का कोई निर्वाचित नेता हो, तब उसे मुख्यमंत्री पद पर नियुक्त करना राज्यपाल की संवैधानिक बाध्यता है. यदि मुख्यमंत्री अपने दल के आन्तरिक मतभेदों के कारण त्यागपत्र देता है, तो उस दल के नये निर्वाचित नेता को मुख्यमंत्री के पद की शपथ दिलाता है.

चुनाव में किसी पक्ष के बहुमत प्राप्त न करने की स्थिति में या मुख्यमंत्री की बर्खास्तगी की स्थिति में राज्यपाल अपने विवेक से ही मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है और उसे नियत समय के अन्दर विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश भी देता है. हालांकि नई सरकार के बनने या नये मुख्यमंत्री के कार्यभार ग्रहण तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पास ही सभी अधिकार रहते हैं. इससे पुलिस व प्रशासन पर उनका ही नियंत्रण रहता है.

Last Updated : Feb 24, 2021, 10:06 AM IST
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