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'हर हाल में चाहिए POK और अक्साई चिन', सनातन संस्कृति समागम में संतों का ऐलान- 'याचना नहीं अब रण होगा'

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Published : Nov 9, 2022, 8:27 AM IST

बक्सर में आयोजित संत सम्मेलन में खूब POK का मामला खूब गूंजा. मोहन भागवत की मौजूदगी में संत बोले पीओके और अक्साई चिन भारत का हिस्सा है. इस पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए. सम्मेलन में देश के कोने-कोने से संत समाज के लोग पहुंचे थे. पढ़ें पूरी खबर..

सनातन संस्कृति समागम में पीओके का मुद्दा उठा
सनातन संस्कृति समागम में पीओके का मुद्दा उठा

बक्सरः बिहार में महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि और भगवान राम की कर्मभूमि बक्सर के अहिल्या धाम अहिरौली में मंगलवार को सनातन संस्कृति समागम के तहत अंतर्राष्ट्रीय संत सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयं संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी शामिल हुए. इस अंतर्राष्ट्रीय संत सम्मेलन में POK और अक्साई चिन का मुद्दा (PoK issue raised in Sanatan Sanskriti Samagam) भी खूब उठा. संतों ने कहा कि हमें हमारी भूमि हर हाल में चाहिए. इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता.

ये भी पढ़ेंः बक्सर में 11 लाख दीयों से बनी श्रीराम की 250 फीट की अनुकृति, भागलपुर के कलाकारों ने दिया रूप

POK को भारत में मिलाने की मांग: इस धर्म संसद में जगतगुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने राष्ट्र कवि दिनकर की पंक्तियों की याद दिलाते हुए कहा कि बक्सरवासियों याचना नहीं की अब रण होगा, संग्राम बड़ा भीषण होगा.. के साथ ही जगद्गुरु ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और चीन द्वारा कब्जा किया गया, 800 वर्ग मील भूमि बहुत जल्द भारत का अंग हो. संत रामभद्राचार्य महाराज ने सम्मेलन में मौजूद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का नाम लेते हुए कहा कि मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में और मोहन भागवत के सरसंघचालकत्व में ही POK भारत को मिलाया जा सकता है. बक्सर में आयोजित इस धर्म संसद में संतों ने मांग की है कि गोवध बंद हो, हिंदी राष्ट्रभाषा हो, रामचरित मानस राष्ट्रीय ग्रंथ हो और POK को भारत में मिलाया जाए. इसके लिए हमें सरकार पर दवाब भी बनाना चाहिए. संतों ने कहा कि आपसी कटुता भुला कर हमें साथ आना होगा. तभी राष्ट्र मजबूत हो सकेगा. राष्ट्रीय समस्याओं पर सभी संतो का एक मत होना चाहिए. कुछ लोग धर्म परिवर्तन करा रहे है हमे अब परावर्तन करने का कार्य करना चाहिए.

विश्वामित्र के नेतृत्व में हुई थी शांति की स्थापनाः संत रामभद्राचार्य ने कहा कि अगर बक्सर आज प्रतिज्ञा कर ले तो पूरे विश्व में शांति की स्थापना हो जाएगी. ऐसा बक्सर में महर्षि विश्वामित्र के नेतृत्व में पूर्व में तड़का, मारीच, सुबाहु का अंत कर विश्व में शांति स्थापना किया था. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि महर्षि विश्वामित्र और ब्रह्मर्षि वशिष्ठ में बहुत विवाद था. फिर भी जब विश्वामित्र अयोध्या गए और राम को मांगा तो राजा दशरथ ने इनकार कर दिया था, किंतु ब्रह्मर्षि वशिष्ठ ने ही राजा दशरथ से कह कर राम को विश्वामित्र के साथ भेजने के कहा था. मंच का संचालन जगत गुरु रामानुजाचार्य श्री लक्ष्मी प्रपन्ना श्री जियर स्वामी जी महाराज के द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. आरएन सिंह जी किया.

मौके पर कई गणमान्य मौजूद रहेः कार्यक्रम में बक्सर के सांसद अश्विनी चौबे, सांसद सुशील सिंह, सांसद राम कृपाल यादव, सांसद नीरज शेखर, पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश उपेंद्र तिवारी, पूर्व विधायक परशुराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील बराला, राजेश्वर राज, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शंभू, कृष्णानंद शास्त्री, छविनाथ त्रिपाठी, दुर्गेश सिंह, आयोजन समिति के संयोजक राजेश सिंह उर्फ राघो जी, परशुराम चतुर्वेदी, श्री राम कर्मभूमि के अध्यक्ष कृष्णकांत ओझा, अर्जित शाश्वत, अविरल शाश्वत, धनंजय चौबे, राजेंद्र ठाकुर, अरुण मिश्रा, प्रदीप राय, हिरामन पासवान, निर्भय राय, कतवारु सिंह, राजेंद्र सिंह, पुनीत सिंह, अनुराग श्रीवास्तव, सौरभ तिवारी, विनय उपाध्याय, संजय साह, अभिषेक पाठक, सुरभि चौबे, पूनम रविदास, इंदु देवी, शीला त्रिवेदी, विनोद राय, सिद्धनाथ सिंह, जयप्रकाश राय, मिथिलेश पांडेय, मदन जी दुबे, विकाश कायस्थ, निक्कू तिवारी अभिनंदन सिंह, दीपक सिंह, त्रिभुवन पाठक, राहुल दुबे, मलिकार्जुन राय, अक्षय ओझा, मृत्युंजय सिंह, मनोज सिंह, दीपक सिंह, सौरभ चौबे, सुजीत सिंह, अखिलेश मिश्रा, ओम जी यादव, शेखर, विवेक चौधरी, नितिन मुकेश, पंकज मिश्रा, राहुल सिंह, सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे.

"याचना नहीं अब रण होगा, संग्राम महा भीषण होगा. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और चीन द्वारा कब्जा किया गया, 800 वर्ग मील भूमि बहुत जल्द भारत का अंग हो. गोवध बंद हो, हिंदी राष्ट्रभाषा हो, रामचरित मानस राष्ट्रीय ग्रंथ हो और POK को भारत में मिलाया जाए. इसके लिए हमें सरकार पर दवाब भी बनाना चाहिए" -जगतगुरु रामभद्राचार्य जी

बक्सरः बिहार में महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि और भगवान राम की कर्मभूमि बक्सर के अहिल्या धाम अहिरौली में मंगलवार को सनातन संस्कृति समागम के तहत अंतर्राष्ट्रीय संत सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयं संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी शामिल हुए. इस अंतर्राष्ट्रीय संत सम्मेलन में POK और अक्साई चिन का मुद्दा (PoK issue raised in Sanatan Sanskriti Samagam) भी खूब उठा. संतों ने कहा कि हमें हमारी भूमि हर हाल में चाहिए. इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता.

ये भी पढ़ेंः बक्सर में 11 लाख दीयों से बनी श्रीराम की 250 फीट की अनुकृति, भागलपुर के कलाकारों ने दिया रूप

POK को भारत में मिलाने की मांग: इस धर्म संसद में जगतगुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने राष्ट्र कवि दिनकर की पंक्तियों की याद दिलाते हुए कहा कि बक्सरवासियों याचना नहीं की अब रण होगा, संग्राम बड़ा भीषण होगा.. के साथ ही जगद्गुरु ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और चीन द्वारा कब्जा किया गया, 800 वर्ग मील भूमि बहुत जल्द भारत का अंग हो. संत रामभद्राचार्य महाराज ने सम्मेलन में मौजूद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का नाम लेते हुए कहा कि मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में और मोहन भागवत के सरसंघचालकत्व में ही POK भारत को मिलाया जा सकता है. बक्सर में आयोजित इस धर्म संसद में संतों ने मांग की है कि गोवध बंद हो, हिंदी राष्ट्रभाषा हो, रामचरित मानस राष्ट्रीय ग्रंथ हो और POK को भारत में मिलाया जाए. इसके लिए हमें सरकार पर दवाब भी बनाना चाहिए. संतों ने कहा कि आपसी कटुता भुला कर हमें साथ आना होगा. तभी राष्ट्र मजबूत हो सकेगा. राष्ट्रीय समस्याओं पर सभी संतो का एक मत होना चाहिए. कुछ लोग धर्म परिवर्तन करा रहे है हमे अब परावर्तन करने का कार्य करना चाहिए.

विश्वामित्र के नेतृत्व में हुई थी शांति की स्थापनाः संत रामभद्राचार्य ने कहा कि अगर बक्सर आज प्रतिज्ञा कर ले तो पूरे विश्व में शांति की स्थापना हो जाएगी. ऐसा बक्सर में महर्षि विश्वामित्र के नेतृत्व में पूर्व में तड़का, मारीच, सुबाहु का अंत कर विश्व में शांति स्थापना किया था. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि महर्षि विश्वामित्र और ब्रह्मर्षि वशिष्ठ में बहुत विवाद था. फिर भी जब विश्वामित्र अयोध्या गए और राम को मांगा तो राजा दशरथ ने इनकार कर दिया था, किंतु ब्रह्मर्षि वशिष्ठ ने ही राजा दशरथ से कह कर राम को विश्वामित्र के साथ भेजने के कहा था. मंच का संचालन जगत गुरु रामानुजाचार्य श्री लक्ष्मी प्रपन्ना श्री जियर स्वामी जी महाराज के द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. आरएन सिंह जी किया.

मौके पर कई गणमान्य मौजूद रहेः कार्यक्रम में बक्सर के सांसद अश्विनी चौबे, सांसद सुशील सिंह, सांसद राम कृपाल यादव, सांसद नीरज शेखर, पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश उपेंद्र तिवारी, पूर्व विधायक परशुराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील बराला, राजेश्वर राज, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शंभू, कृष्णानंद शास्त्री, छविनाथ त्रिपाठी, दुर्गेश सिंह, आयोजन समिति के संयोजक राजेश सिंह उर्फ राघो जी, परशुराम चतुर्वेदी, श्री राम कर्मभूमि के अध्यक्ष कृष्णकांत ओझा, अर्जित शाश्वत, अविरल शाश्वत, धनंजय चौबे, राजेंद्र ठाकुर, अरुण मिश्रा, प्रदीप राय, हिरामन पासवान, निर्भय राय, कतवारु सिंह, राजेंद्र सिंह, पुनीत सिंह, अनुराग श्रीवास्तव, सौरभ तिवारी, विनय उपाध्याय, संजय साह, अभिषेक पाठक, सुरभि चौबे, पूनम रविदास, इंदु देवी, शीला त्रिवेदी, विनोद राय, सिद्धनाथ सिंह, जयप्रकाश राय, मिथिलेश पांडेय, मदन जी दुबे, विकाश कायस्थ, निक्कू तिवारी अभिनंदन सिंह, दीपक सिंह, त्रिभुवन पाठक, राहुल दुबे, मलिकार्जुन राय, अक्षय ओझा, मृत्युंजय सिंह, मनोज सिंह, दीपक सिंह, सौरभ चौबे, सुजीत सिंह, अखिलेश मिश्रा, ओम जी यादव, शेखर, विवेक चौधरी, नितिन मुकेश, पंकज मिश्रा, राहुल सिंह, सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे.

"याचना नहीं अब रण होगा, संग्राम महा भीषण होगा. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और चीन द्वारा कब्जा किया गया, 800 वर्ग मील भूमि बहुत जल्द भारत का अंग हो. गोवध बंद हो, हिंदी राष्ट्रभाषा हो, रामचरित मानस राष्ट्रीय ग्रंथ हो और POK को भारत में मिलाया जाए. इसके लिए हमें सरकार पर दवाब भी बनाना चाहिए" -जगतगुरु रामभद्राचार्य जी

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