चित्तौड़गढ़. चार साल पुराने दुष्कर्म के एक मामले में पॉक्सो कोर्ट ने आज अपने फैसले में नाबालिग सहित दो आरोपियों को दोषी माना और उन्हें 20-20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाने के साथ तथा जुर्माना भी लगाया है. पॉक्सो न्यायालय क्रमांक 1 ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. पॉक्सो कोर्ट के विशिष्ट लोक अभियोजक ने बताया की मामला वर्ष 2019 का है.
पॉक्सो कोर्ट के विशिष्ट लोक अभियोजक शोभा लाल जाट ने बताया कि गंगरार थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति ने सदर चित्तौड़गढ़ पुलिस थाने में रिपोर्ट दी थी कि उसकी पुत्री प्रतापनगर, चित्तौड़गढ़ में किराये पर कमरा लेकर बीए प्रथम वर्ष में अध्ययन कर रही थी. 17 अगस्त 2019 को उसके मकान मालिक से पुत्री के ब्लीडिंग होने की सूचना पर वह अपने भाई और दूसरी बेटी के साथ प्रतापनगर, चित्तौड़गढ़ पहुंचे जहां से गंभीर हालत में पुत्री को जिला चिकित्सालय ले गया.
उपचार के दौरान उसकी पुत्री से पता चला कि उसे सेमलिया गंगरार निवासी कैलाश जाट पढ़ाई के लिए नोट्स देने के लिए परेशान कर रहा था. जब यह उसने बात अपने परिचित बाल अपचारी को बताई तो वह उसे अपने कमरे पर ले गया लेकिन वहां पहले से ही कैलाश जाट मौजूद था. वहां दोनों ने डरा-धमका कर उसके साथ दुष्कर्म किया. इस मामले में पुलिस ने पॉक्सो और धारा 376 में मामला दर्ज कर आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में चालान पेश किया.
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अभियोजन पक्ष की ओर से 18 गवाह और 33 दस्तावेज पेश करवाए और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद पॉक्सो कोर्ट प्रथम के पीठासीन अधिकारी ने अभियुक्त कैलाश पुत्र शंभूलाल जाट और एक बाल अपचारी को दोषी मानते हुए पॉक्सो अधिनियम की धारा 354 के तहत 3 वर्ष का कठोर कारावास और 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. जबकि वहीं धारा 376 बी के तहत 20 वर्ष के कठोर कारावास और 25 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया.
विशिष्ट लोक अभियोजक ने बताया कि अपराध के बाद बाल अपचारी को पुलिस ने डिटेन कर किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया. चालान के दौरान किशोर न्याय बोर्ड की ओर से बाल अपचारी की शारीरिक और मानसिक स्थिति के विश्लेषण के बाद आरोपी के साथ विचार के लिए फाइल पॉक्सो कोर्ट भेज दी गई. इस प्रकार के मामलों में उसे बालिग मानते हुए कोर्ट में ट्रायल चलती है. किशोर न्याय बोर्ड की ट्रायल में अधिकतम 3 साल की सजा का प्रावधान है. क्योंकि यह मामला पॉक्सो कोर्ट में ही सुना गया ऐसे में उसे आरोपी कैलाश की तरह सजा सुनाई गई. मामले में फरियादी की ओर से एडवोकेट गुलशेर अली सैयद और आशमीन शेख ने भी पैरवी की.