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PMC बैंक धोखाधड़ी मामला : राकेश वधावन की जमानत अर्जी खारिज - कारोबारी राकेश वधावन

पीएमसी बैंक धोखाधड़ी मामले में धनशोधन के आरोप में जेल में बंद कारोबारी राकेश वधावन को झटका लगा है. हाई कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी है. वधावन ने अपनी बीमारी का हवाला देते हुए जमानत की अपील की थी.

बंबई हाई कोर्ट
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Published : Oct 14, 2021, 9:33 PM IST

मुंबई : बंबई हाई कोर्ट ने चिकित्सा के आधार पर कारोबारी राकेश वधावन को जमानत देने की अर्जी गुरुवार को खारिज कर दी. वधावन करोड़ों रुपये के पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमसी) धोखाधड़ी मामले में धनशोधन के आरोप में जेल में बंद हैं.

हाउसिंग डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) के संस्थापक वधावन को मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिसंबर 2019 में गिरफ्तार किया था. न्यायमूर्ति नितिन संबरे की एकल पीठ ने कहा कि वधावन द्वारा उन्हें चिकित्सा आधार पर अस्थायी रूप से तत्काल रिहा करने का अनुरोध 'न्यायोचित नहीं' है.

अदालत ने कहा कि चिकित्सा के आधार पर जमानत देने से इनकार किसी भी सूरत में वधावन के जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं है क्योंकि राज्य कारागार अधिकारियों द्वारा जब भी जरूरत होती है उन्हें उचित इलाज उपलब्ध कराया जाता है.

न्यायिक हिरासत में चल रहा इलाज
वधावन की हाल में पेसमेकर लगाने की सर्जरी हुई है. उन्होंने जमानत देने का अनुरोध किया था ताकि वह मुंबई नगर निकाय द्वारा संचालित केईएम अस्पताल से छुट्टी लेकर और जमानत पर निजी अस्पताल स्थानांतरित हो. वधावन का केईएम अस्पताल में न्यायिक हिरासत में रहते हुए इलाज चल है.

वधावन ने अपनी याचिका में कहा कि वह कई गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे हैं और हाल में कोविड-19 होने की वजह से उनकी प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हुई है और नगर निकाय के अस्पताल में रहते हुए उन्हें संक्रमण और अन्य बीमारियों का खतरा है क्योंकि वहां पर लोगों की काफी आवाजाही है. उन्होंने याचिका में तर्क दिया कि केईएम अस्पताल में हृदय रोगियों के लिए विशेष रूप से तैयार गहन चिकित्सा इकाई की व्यवस्था नहीं है.

हालांकि, राज्य की ओर से पेश अधिवक्ता प्रजक्ता शिंदे ने वधावन की याचिका का विरोध किया. उन्होंने रेखांकित किया कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद से समय से और विशेषज्ञता वाली चिकित्सा सुविधा राज्य और नगर निकाय द्वारा संचालित अस्पतालों में राज्य कारागार अधिकारियों द्वारा समय-समय पर मुहैया कराई गई.

शिंदे ने कहा कि केईएम के अधिकारियों ने स्वयं अनुशंसा की थी कि वधावन को पेसमेकर लगाने की सर्जरी के लिए दूसरे अस्पताल स्थानांतरित किया जाना चाहिए क्योंकि उनके यहां इसकी सुविधा नहीं है. हालांकि, अब उनकी सर्जरी हो गई है और वधावन केईएम में अपना इलाज जारी रख सकते हैं.

शिंदे ने अदालत में उन दस्तावेजों को भी पेश किया जिनके मुताबिक केईएम अस्पताल का नवीनीकरण किया जा रहा है और अगले कुछ दिनों में हृदय रोगियों के लिए भी आईसीयू की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

पढ़ें- दुनिया के सर्वश्रेष्ठ नियोक्ताओं की फोर्ब्स सूची में रिलायंस भारतीय कंपनियों में अव्वल

अदालत ने राज्य के तर्क से सहमति जताई कि वधावन को जब भी जरूरत पड़ी राज्य कारावास अधिकारियों द्वारा 'यथा संभव बेहतरीन' चिकित्सा उपलब्ध करवाई गई.

इसके साथ ही अदालत ने वधावन को चिकित्सा के आधार पर जमानत देने की उनकी अर्जी खारिज कर दी. हालांकि, अदालत ने उन्हें किसी आपात स्थिति में अदालत आने की छूट प्रदान की है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : बंबई हाई कोर्ट ने चिकित्सा के आधार पर कारोबारी राकेश वधावन को जमानत देने की अर्जी गुरुवार को खारिज कर दी. वधावन करोड़ों रुपये के पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमसी) धोखाधड़ी मामले में धनशोधन के आरोप में जेल में बंद हैं.

हाउसिंग डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) के संस्थापक वधावन को मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिसंबर 2019 में गिरफ्तार किया था. न्यायमूर्ति नितिन संबरे की एकल पीठ ने कहा कि वधावन द्वारा उन्हें चिकित्सा आधार पर अस्थायी रूप से तत्काल रिहा करने का अनुरोध 'न्यायोचित नहीं' है.

अदालत ने कहा कि चिकित्सा के आधार पर जमानत देने से इनकार किसी भी सूरत में वधावन के जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं है क्योंकि राज्य कारागार अधिकारियों द्वारा जब भी जरूरत होती है उन्हें उचित इलाज उपलब्ध कराया जाता है.

न्यायिक हिरासत में चल रहा इलाज
वधावन की हाल में पेसमेकर लगाने की सर्जरी हुई है. उन्होंने जमानत देने का अनुरोध किया था ताकि वह मुंबई नगर निकाय द्वारा संचालित केईएम अस्पताल से छुट्टी लेकर और जमानत पर निजी अस्पताल स्थानांतरित हो. वधावन का केईएम अस्पताल में न्यायिक हिरासत में रहते हुए इलाज चल है.

वधावन ने अपनी याचिका में कहा कि वह कई गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे हैं और हाल में कोविड-19 होने की वजह से उनकी प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हुई है और नगर निकाय के अस्पताल में रहते हुए उन्हें संक्रमण और अन्य बीमारियों का खतरा है क्योंकि वहां पर लोगों की काफी आवाजाही है. उन्होंने याचिका में तर्क दिया कि केईएम अस्पताल में हृदय रोगियों के लिए विशेष रूप से तैयार गहन चिकित्सा इकाई की व्यवस्था नहीं है.

हालांकि, राज्य की ओर से पेश अधिवक्ता प्रजक्ता शिंदे ने वधावन की याचिका का विरोध किया. उन्होंने रेखांकित किया कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद से समय से और विशेषज्ञता वाली चिकित्सा सुविधा राज्य और नगर निकाय द्वारा संचालित अस्पतालों में राज्य कारागार अधिकारियों द्वारा समय-समय पर मुहैया कराई गई.

शिंदे ने कहा कि केईएम के अधिकारियों ने स्वयं अनुशंसा की थी कि वधावन को पेसमेकर लगाने की सर्जरी के लिए दूसरे अस्पताल स्थानांतरित किया जाना चाहिए क्योंकि उनके यहां इसकी सुविधा नहीं है. हालांकि, अब उनकी सर्जरी हो गई है और वधावन केईएम में अपना इलाज जारी रख सकते हैं.

शिंदे ने अदालत में उन दस्तावेजों को भी पेश किया जिनके मुताबिक केईएम अस्पताल का नवीनीकरण किया जा रहा है और अगले कुछ दिनों में हृदय रोगियों के लिए भी आईसीयू की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

पढ़ें- दुनिया के सर्वश्रेष्ठ नियोक्ताओं की फोर्ब्स सूची में रिलायंस भारतीय कंपनियों में अव्वल

अदालत ने राज्य के तर्क से सहमति जताई कि वधावन को जब भी जरूरत पड़ी राज्य कारावास अधिकारियों द्वारा 'यथा संभव बेहतरीन' चिकित्सा उपलब्ध करवाई गई.

इसके साथ ही अदालत ने वधावन को चिकित्सा के आधार पर जमानत देने की उनकी अर्जी खारिज कर दी. हालांकि, अदालत ने उन्हें किसी आपात स्थिति में अदालत आने की छूट प्रदान की है.

(पीटीआई-भाषा)

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