हैदराबाद : तेलंगाना में समाज सुधारक तथा संत रामानुजाचार्य की प्रतिमा का अनावरण पांच फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi unveil 216-foot statue of Ramanujacharya) करेंगे. रामानुजाचार्य की इस 216 फीट ऊंची प्रतिमा को 'स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी' (Statue Of Equality) नाम दिया गया है. 45 एकड़ में बनी यह प्रतिमा हैदराबाद के शमशाबाद में स्थापित है. वहीं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 12 फरवरी को आंतरिक गर्भगृह में स्थापित संत की दूसरी प्रतिमा का अनावरण करेंगे.
जानकारी के मुताबिक, एक महान संकल्प और एकता के संदेश के साथ श्री रामानुजाचार्य का सहस्राब्दी समारोह आज से मनाया जा रहा (Millennium Celebrations of Sri Ramanujacharya) है. इसे 'रामानुज सहस्राब्दी समारोहम' नाम दिया गया है. इस मौके पर रामानुजाचार्य की दो प्रतिमाओं का अनावरण किया जाएगा, एक स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी और दूसरा आंतरिक गर्भगृह में स्थापित है, जो कि 120 किलो सोने से बना है. इस दौरान 1,035 होमकुंड में यज्ञ होंगे, जो इतिहास में सबसे बड़ा धार्मिक कार्यक्रम कहा जा रहा है. इसके साथ ही सामूहिक मंत्र-जाप जैसी अन्य आध्यात्मिक कार्यक्रम होंगे जो इस सहस्राब्दी 'समारोहम' का हिस्सा होगा.
इस दौरान तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु चिन्ना जीयर स्वामी के साथ कार्यक्रम की मेजबानी करेंगे. इस समारोह में कई अन्य मुख्यमंत्री, राजनेता, मशहूर हस्तियां और अभिनेता भी शामिल होंगे.
रामानुजाचार्य के बारे में
वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म साल 1017 में तमिलनाड़ु के श्रीपेरंबदूर में हुआ था. उन्होंने गुरु यमुनाचार्य से कांची में दीक्षा ली और श्रीरंगम के यतिराज नाम के संन्यासी से उन्होंने संन्यास ग्रहण किया. इसके बाद उन्होंने भारत भर में घूमकर वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार प्रसार किया.
बता दें कि बैठने की मुद्रा में बनी 216 फीट की बाहरी मूर्ति सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है. परिसर में 108 दिव्य देशमों के समान मनोरंजन हैं. अलवर, रहस्यवादी तमिल संतों के कार्यों में वर्णित 108 अलंकृत नक्काशीदार विष्णु मंदिर है. रामानुज चार्युलु की प्रतिमा की डिजाइन को अंतिम रूप देने में चिन्ना जीयर स्वामी ने विशेष ध्यान रखा है. प्रारंभ में, उन्होंने आगम शास्त्र और शिल्प शास्त्र को ध्यान में रखकर 14 मॉडल तैयार किए. आखिरकार, तीन मॉडल तय किये गए और उन्हें 3डी स्कैनिंग के साथ परखी गई.
रामानुजाचार्य प्रतिमा के चारों ओर 108 दिव्य देसों का निर्माण किया गया है, जो कि अद्वितीय वास्तुकला है. प्रत्येक दिव्य देसा में मौजूदा मंदिर के दृष्टिकोण के अनुरूप गर्भगृह, स्रोत स्तंभ और पुरुष मूर्तियों का निर्माण कराया गया है. मंदिरों का निर्माण एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य था, क्योंकि 108 मंदिर अपनी प्रकृति से पूरी तरह से अलग हैं. मूर्तिकार ने उसी भाव को लाने के लिए काफी सतर्कता के साथ कार्य किया है. मंदिरों में मूर्तियों के निर्माण के लिए कई तरह के पत्थर मंगवाए गए. खासतौर पर मंदिरों में मूर्तियों के निर्माण के लिए पुरुषशिला पत्थर मंगवाया गया, जिससे केवल मूर्तियां ही बनती हैं. सभी मंदिरों के निर्माण में अल्लागड्डा, तिरुपति, महाबलीपुरम, श्रीरंगम, मदुराई के कई कारीगरों ने कड़ी मेहनत की है. वहीं, घाटी के स्तंभ (चिलाकालू) काले संगमरमर से निर्मित हैं.
कार्यक्रम में आज से सार्वभौमिक कल्याण के लिए 1035 होमकुंडों के साथ श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन किया गया है. इस होम-यज्ञ में 1.5 किलो देसी घी डाले जाने के साथ चार वेदों की नौ शाखाओं का जाप किया जाएगा. इस दौरान अष्टाक्षरी महामंत्र का इतिहास, पुराण, आगम का पाठ सहित 10 करोड़ जाप किया जाएगा. 12 दिनों के कार्यक्रम में प्रतिदिन सुबह 6.30 से 7.30 बजे तक अष्टाक्षरी मंत्र का उच्चारण एक करोड़ बार होगा. अंतिम उच्चारण जो शांति का मार्ग प्रशस्त करता है, यानि 108 श्लोकों के विष्णु सहस्रनाम का नाम यज्ञशाला के प्रत्येक कुंड में रखा गया है. प्रतिदिन सुबह 6.30 से 7.30 बजे तक जाप, 7.30 से 8.30 तक प्रत्येक देवता का आवाहन किया जाएगा. 108 दिव्य देस की स्थापना दुनिया में अपनी तरह की पहली है.