लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 9600 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली विभिन्न परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. यहां वह गोरखपुर एम्स (AIIMS Gorakhpur), फर्टिलाइजर कारखाने और आईसीएमआर के जांच केंद्र का उद्घाटन करेंगे.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी कभी पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए सपना बन चुकी इन तीन बड़ी परियोजनाओं फर्टिलाइजर कारखाने, गोरखपुर एम्स और आईसीएमआर के जांच केंद्र का सात दिसंबर को उद्घाटन करेंगे.
उन्होंने कहा, 'गोरखपुर में वर्ष 1990 में फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का एक खाद कारखाना था, जो बंद हो गया था. उसके बाद आई सरकारों ने इसे फिर से खोलने पर ध्यान नहीं दिया जिसके परिणाम स्वरुप क्षेत्र के किसानों के साथ-साथ सामान्य नागरिकों के जीवन पर भी बुरा असर पड़ा. इसे पुनर्जीवित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में खाद कारखाने का शिलान्यास किया और समय सीमा के अंदर यह कारखाना बनकर तैयार है.'
उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान उर्वरक के नाम से करीब 600 एकड़ क्षेत्रफल में बने इस कारखाने को प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्र को समर्पित करेंगे. इसमें 12 लाख मैट्रिक टन से अधिक यूरिया का उत्पादन किया जाएगा. इससे क्षेत्र के किसानों को तो लाभ होगा, साथ ही साथ रोजगार की संभावनाओं को आगे बढ़ाने में भी इसकी बहुत बड़ी भूमिका होगी.
पीएम मोदी ने वर्ष 2016 में 112 एकड़ क्षेत्र में बने गोरखपुर एम्स का शिलान्यास किया था. यह कभी बाढ़ और बीमारी के लिए पहचाने जाने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश में चिकित्सा की नई रोशनी पैदा करेगा.
सीएम योगी ने कहा कि पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी की तर्ज पर आईसीएमआर का एक क्षेत्रीय केंद्र भी गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बनकर तैयार हो चुका है. जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी करेंगे.
उन्होंने बताया कि इस केंद्र का शिलान्यास वर्ष 2018 में हुआ था. यह न सिर्फ इंसेफलाइटिस, कालाजार, चिकनगुनिया और डेंगू बल्कि कोविड-19 जैसी महामारी से जुड़े वायरस की भी पहचान करने के साथ-साथ उनके उपचार के लिए अनुसंधान को आगे बढ़ाने इत्यादि का काम भी करेगा.
गोरखपुर में 9600 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित करेंगे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि मोदी जिन परियोजनाओं को राष्ट्र के नाम समर्पित करेंगे उनमें गोरखपुर खाद कारखाना भी शामिल है, जिसकी आधारशिला उन्होंने खुद जुलाई 2016 में रखी थी. पीएमओ ने कहा कि पिछले 30 सालों से बंद पड़े इस कारखाने को 8600 करोड़ रुपये की लागत से पुनर्जीवित किया गया है.
पीएमओ ने कहा कि यूरिया के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने की प्रधानमंत्री की दृष्टि से प्रेरणा लेकर इसे फिर से प्रारंभ किया जा रहा है.
गोरखपुर संयंत्र स्वदेशी नीम कोटेड यूरिया का सालाना 12.7 एलएमटी उत्पादन करेगा.
पीएमओ ने कहा कि इससे होने वाले उत्पादन से पूर्वांचल और इससे सटे इलाके के किसानों को बहुत फायदा पहुंचेगा तथा पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.
इस परियोजना को हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के नेतृत्व में स्थापित किया गया है, जो नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन, कोल इंडिया लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड, फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड की एक संयुक्त उपक्रम कंपनी है और यह गोरखपुर, सिंदरी व बरौनी उर्वरक संयंत्रों के पुनरुद्धार पर काम कर रही है.
पीएमओ ने कहा कि गोरखपुर संयंत्र परियोजना में 149.2 मीटर का दुनिया का सबसे ऊंचा प्रिलिंग टावर है. इसमें भारत का पहला वायु संचालित रबर डैम और सुरक्षा पहलुओं को बढ़ाने के लिए ब्लास्ट प्रूफ नियंत्रण कक्ष भी है.
इस अवसर पर प्रधानमंत्री पूरी तरह से क्रियान्वित किए जा चुके गोरखपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान (एम्स) परिसर का भी उद्घाटन करेंगे. इसे 1000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है.
इसकी स्थापना प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत की गई है, जिसमें प्रधानमंत्री की दृष्टि के अनुसार तृतीय स्तर की स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को ठीक करने के लिए संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं.
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एम्स की इस शाखा में सुविधाओं में 750 बेड का अस्पताल, चिकित्सा महाविद्यालय, नर्सिंग कॉलेज, आयुष भवन, सभी कर्मचारियों के रहने के लिए आवास और छात्रावास शामिल हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई 2016 में इसकी आधारशिला रखी थी.
प्रधानमंत्री गोरखपुर में आईसीएमआर-क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केन्द्र (आरएमआरसी), गोरखपुर के नए भवन का भी उद्घाटन करेंगे.
पीएमओ ने कहा कि क्षेत्र में जापानी इंसेफलाइटिस व एक्यूट इंसेफलाइटिस बीमारी की चुनौती से निपटने में इस केन्द्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
पीएमओ के मुताबिक, अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ नया भवन संचारी और गैर-संचारी रोगों के क्षेत्रों में अनुसंधान के नए क्षितिज के साथ-साथ क्षमता निर्माण में मदद करेगा और क्षेत्र के अन्य चिकित्सा संस्थानों को सहायता प्रदान करेगा.