वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने रविवार को वाराणसी काफी भावनात्मक बातें कहीं. यहां उन्होंने जिस तरह वाराणसी में अपनी मृत्यु की बात कही, उससे लोग काफी आश्चर्य में पड़ गए. उन्होंने बातों ही बातों में अखिलेश यादव के उस बयान पर भी कटाक्ष किया जिस पर उन्होंने पीएम मोदी पर हमला करते हुए काशी में अंतिम समय में जाने की बात कही थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखिलेश यादव के इसी बयान को आज उठाते हुए अखिलेश यादव पर सीधा निशाना साधा. उन्होंने नाम लिए बगैर अखिलेश यादव को यह संदेश दे दिया कि काशी में मृत्यु की कामना बहुत बड़ी बात है. उन्होंने कहा, 'लोगों की चिंता यह साफ करती है कि मृत्यु तक मैं न काशी को छोड़ने वाला हूं, न काशी के लोग मुझे छोड़ने वाले हैं'.
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच पर पहुंचने से पहले कार्यकर्ताओं के बीच जाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया. बैटरी वाली फोर व्हीलर के जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने आठ अलग-अलग विधानसभा के अलग-अलग ब्लॉक के बीच में बनाए गए खाली स्पेस पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद की कोशिश भी की. इसने कार्यकर्ताओं में एक अलग ही जोश भर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभा को संबोधित करते कहा, 'बनारसियों पर नाज और बनारसियों की मेहनत पर भरोसा है. 14 में पराक्रम दिखाया 17 और 19 में साथ दिया उसी तरह 22 भी फतह करवाएंगे. काशी अयोध्या से शुरू विकास की यात्रा तभी आगे बढ़ेगी जब यूपी में फिर से भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार आएगी. आपके दर्शन पाकर मैं अपने जीवन को धन्य मानता हूं'.
उन्होंने कहा, 'जिस पार्टी के पास आप जैसे कर्मठ कार्यकर्ताओं की ताकत हो, उसकी जीत सुनिश्चित होगी. बूथ विजय सम्मेलन में आपका जोश और आत्मविश्वास दिखता है कि हम हर बूथ जीतेंगे और पूरे स्कोर भी करेंगे. काशी की सेवा और मां गंगा के चरणो में बैठने का पुण्य लाभ जो मुझे मिला है, वह पार्टी ने ही दिया है. काशी के स्वर्गीय डोम राजा जगदीश चौधरी की कमी भी महसूस हो रही है. उनसे मिलकर मैं अभिभूत हो जाता था. मैं जब 2014 में यहां आया था, तब संगठन से जुड़े मुझे कुछ लोग जानते थे लेकिन आज जो प्यार और दुलार काशी के हर घर में पूर्वांचल में और उत्तर प्रदेश में मिल रहा है. यह आप सब कार्यकर्ताओं और समर्थकों के कारण ही संभव हुआ है. मुझे अपने देश की सेवा की इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी हुई है. मैं दिल्ली में काम में लगा रहता हूं, मेरी अनुपस्थिति में बनारस में आप भाजपा कार्यकर्ता ही सब संभालते हैं'.
आगे उन्होंने कहा, 'लोगों के मन में मेरे प्रति जो प्यार है, लोगों का मुझ पर जो भरोसा है, उसका श्रेय आप सभी कार्यकर्ताओं साथियों को जाता है. आप मेरे लिए एक ओपन यूनिवर्सिटी की तरह है. भाजपा कार्यकर्ता के नाते मैं आपसे अभी और कार्यकर्ता साथियों से बहुत कुछ सीखा हूं. साथी हमारा संगठन हैं, जीवंत इकाई हैं. पार्टी को निजी संपत्ति मानने वाले हमारा मुकाबला नहीं कर सकते हैं. धनबल और बाहुबल ही अन्य पार्टियों के लिए ताकत है. हम चुनाव जीते हैं और लोगों का दिल भी जीतते हैं'.
पीएम ने भोजपुरी में अपना भाषण जारी रखते हुए कहा बनारस पर हमें नाज हौ..और बनारस के लोगन पर हमें भरोसा हौ..पार्टी ने मुझे बनारस भेजा और मैं बनारस का ही होकर रह गया. उन्होंने कहा कि भारत की राजनीति में कुछ लोग किस हद तक नीचे गिर गए, सार्वजनिक रूप से काशी में मेरी मृत्यु की कामना की गई. मुझे बहुत आनंद आया. मुझे लगा की मेरे घोर विरोधी भी देख रहे हैं कि काशी के लोग मुझे कितना चाहते है. इसका मतलब मेरी मृत्यु तक काशी के लोग न मुझे छोड़ेंगे और न मैं उन्हें छोडूंगा. अगर मैं काशी की सेवा करते-करते चला जाऊं तो इससे बड़ी चीज क्या हो सकती है.
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पीएम ने कहा कि पिछली सरकारों में हालत ये हो गयी थी कि बाबा विश्वनाथ मंदिर से सोना काट कर ले जाते थे. मूर्तिया चोरी होतीं थीं. बम विस्फोट होते थे. सपा सरकार में आतंकवादियों से मुकदमे वापस होते थे. पर बाबा काल भैरव और उनके त्रिशूल के आगे कोई टिक सकता है क्या. मां अन्नपूर्णा की मूर्ति वापस आ गयी है. हमें अपना बूथ हर हाल में जीतना है. सब पर्ची ठीक से बट जाये, हर बूथ पर टोली बनाकर पहुंचेंगे. हर दरवाजे को खटखटाएं, पहले मतदान फिर जलपान.
पीएम मोदी ने कहा, 'मेरी मदद करेंगे, मैं अकेला हर काशीवाशी के पास नहीं पहुंच सकता. मेरी तरफ से काशी के घर-घर जाकर मेरा प्रणाम जरूर पहुंचाइए. उनसे कहिए मोदी जी तो नहीं आ पाए, हम मोदी जी की तरफ से उनका प्रणाम लेकर आए है. हम कार्यकर्ताओं को अपना परिवार मानते हैं. ये पार्टी वाले लोग हमारा मुकाबला नहीं कर सकते.
उन पार्टियों के लिए धनबल और बाहुबल ही सब कुछ है. हमारे लिए व्यक्ति के ऊपर दल और दल और दल के ऊपर देश है. कोरोना काल में पार्टी ने सेवा ही संघटन बनाया. घर-घर दवा पहुंचाई. हर एक मदद की. विदेशी नागरिक जो फंस गए थे, उनकी मदद की. हम सेवा करने ही राजनीति में आए हैं.