नई दिल्ली : भारतीय विश्वविद्यालय संघ की 95वीं वार्षिक बैठक और वायस चांसलर्स के राष्ट्रीय सेमिनार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. आज़ादी की लड़ाई में हमारे लाखों-करोड़ों स्वाधीनता सेनानियों ने समरस, समावेशी भारत का सपना देखा था. उन सपनों को पूरा करने की शुरुआत बाबासाहेब ने देश को संविधान देकर की थी.
पीएम मोदी ने कहा, हम अंबेडकर यात्रा निकालते हैं तो उस पर टीएमसी के गुंडे हमला करते हैं, लेकिन फिर भी कोई एफआईआर नहीं होती, कोई कार्रवाई नहीं होती. मैं ममता जी से कहना चाहता हूं कि ऐसे हजारों हमले भी होंगे तो भी हम ऐसी यात्रा निकालेंगे और बाबा साहेब से प्रेरणा लेकर काम करेंगे.
उन्होंने आगे कहा, आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो उसी कालखंड में बाबासाहेब अंबेडकरजी की जयंती का अवसर हमें उस महान यज्ञ से भी जोड़ता है, भविष्य की प्रेरणा से भी जोड़ता है.
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प्रधानमंत्री ने कहा, मैं सभी देशवासियों की तरफ से बाबासाहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
डॉक्टर आंबेडकर कहते थे-
- मेरे तीन उपास्य देवता हैं. ज्ञान, स्वाभिमान और शील.
- यानी, Knowledge, Self-respect, और politeness.
- जब Knowledge आती है, तब ही Self-respect भी बढ़ती है.
- Self-respect से व्यक्ति अपने अधिकार, अपने rights के लिए aware होता है.
- Equal rights से ही समाज में समरसता आती है और देश प्रगति करता है.
पीएम मोदी ने आगे कहा, डॉ.राधाकृष्णन जी ने शिक्षा के जिन उद्देश्यों की बात की थी, वो ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल में दिखते हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति जितनी व्यावहारिक है, उतना ही व्यावहारिक इसे लागू करना भी है. देश बाबा साहेब अंबेडकर के कदमों पर चलते हुए तेज़ी से गरीब, वंचित, शोषित, पीड़ित सभी के जीवन में बदलाव ला रहा है. बाबा साहेब ने समान अवसरों की बात की थी, समान अधिकारों की बात की थी. आज देश जनधन खातों के जरिए हर व्यक्ति का आर्थिक समावेश कर रहा है.