शहडोल। लगता है भारतीय जनता पार्टी इस बार आदिवासियों के सहारे मध्यप्रदेश में नैय्या पार लगाने की तैयारी में है, इसीलिए तो पीएम मोदी लगातार मध्य प्रदेश के दौरे कर रहे हैं, सभाएं कर रहे हैं, पीएम मोदी का ये सप्ताह भर में दूसरा और चार महीने में तीसरा दौरा है. शनिवार को पीएम मोदी ने शहडोल जिले का दौरा किया, जहां उन्होंने एक विशाल जनसभा को संबोधित किया, विरोधियों पर निशाना साधा तो आदिवासियों के लिए खुद को और पार्टी को समर्पित बताया. साथ ही आदिवासी समाज के कुछ विशेष लोगों के साथ भोजन किया और अलग अलग समूह के लोगों के साथ विशेष चर्चा भी की. जिसके बाद पीएम मोदी के इस दौरे के कई सियासी मायने भी लगाए जा रहे हैं.
मोदी का दौरा बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शहडोल दौरे को बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है, क्योंकि साल 2018 में भी विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले के इसी लालपुर मैदान में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दौरे के बाद विंध्य में इसका अच्छा खासा असर भी देखने को मिला था. जब साल 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे तो विंध्य से बीजेपी को बहुत बड़ी बढ़त मिली थी, विंध्य में 30 विधानसभा सीट हैं जिनमें से भारतीय जनता पार्टी को 24 सीटों में जीत मिली थी, तो वहीं कांग्रेस 6 सीटों पर ही अपना कब्जा जमा सकी थी.
उस दौरान यही कहा जा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद से विंध्य का पूरा माहौल बदल गया था और इस बार इसीलिए आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी विंध्य में पूरा फोकस कर रही है जिसमें वो अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, और शायद इसीलिए केंद्रीय नेतृत्व भी लगातार विंध्य में बैक टू बैक दौरे भी कर रहा है. पीएम इस दौरे को बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है.
शहडोल में आदिवासियों को साधने की कोशिश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को शहडोल जिले के दौरे पर रहे जहां उनका पूरा कार्यक्रम आदिवासियों पर ही केंद्रित रहा. लालपुर मैदान में सिकल सेल एनीमिया मिशन को लॉन्च किया गया, आयुष्मान कार्ड वितरित किए और फिर उसके बाद जब सभा को संबोधित किया, तो उनके पूरे संवाद में आदिवासी ही केंद्रित रहे. इसके बाद पकरिया गांव में अलग-अलग समूह से चर्चा की और फिर जनजाति समूह के कुछ विशेष लोगों के साथ भोजन भी किया और पीएम मोदी के इसी कार्यक्रम को बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है और राजनीतिक गलियारों में लोग इसके यह भी मायने निकाल रहे हैं कि आदिवासियों को साधने की इस बार बीजेपी भरपूर कोशिश कर रही है.
मोदी भोपाल और रीवा तो शाह सतना का कर चुके हैं दौरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी हाल ही में 27 जून को भोपाल दौरे पर रहे और इसी साल विंध्य के रीवा में 24 अप्रैल को दौरा कर चुके हैं, और शनिवार को शहड़ोल जिले के दौरे पर रहे और जनसभा को संबोधित भी कर चुके हैं, तो वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह विंध्य के सतना का दौरा कर चुके हैं, जहां वो कोल महाकुंभ में शामिल हुए थे.
शहडोल संभाग में बीजेपी की स्थिति: शहडोल संभाग में शहडोल, अनूपपुर और उमरिया तीन जिले आते हैं ये सभी जिले आदिवासी बाहुल्य जिला हैं और यहां टोटल 8 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से महज एक विधानसभा सीट ही सामान्य सीट है कोतमा विधानसभा सीट इसके अलावा सभी आदिवासी आरक्षित सीटें हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को शहडोल संभाग की 8 विधानसभा सीटों में से 3 सीटों पर जीत मिली थी ये तीनों सीट अनुपपुर जिले से मिली थी और फिर अनुपपुर विधानसभा में हुए उपचुनाव के बाद अनुपपुर विधानसभा सीट बीजेपी के कब्जे में चली गई थी.
आदिवासियों को साधने की कोशिश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस आदिवासी जिले के दौरे को राजनीतिक जानकार बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक तो मान ही रहे हैं. साथ ही आदिवासी अंचल में आदिवासियों के साधने के लिए मोदी का यह दौरा भी काफी अहम माना जा रहा है और ऐसा माना जा रहा है कि जो काम प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान नहीं कर पाए अब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने इस दौरे से आदिवासियों के बीच करेंगे. देखा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दौरे का असर विंध्य में तो देखने को मिलेगा ही साथ मध्य प्रदेश के आदिवासियों को साधने में भी बड़ा काम आएगा.
एमपी में आदिवासियों को साधने की कोशिश: देखा जाए तो शहडोल संभाग आदिवासी बहुल क्षेत्र है इसलिए बीजेपी यहां अपनी पैठ बनाना चाहती है मध्यप्रदेश में आदिवासियों की आबादी मध्यप्रदेश में आदिवासियों की आबादी करीब 22 फीसदी है. मध्यप्रदेश में आदिवासी सीटों का दो दशक का इतिहास देखें तो मध्यप्रदेश में आदिवासियों की 47 सीटें हैं, 2003 में एमपी में 41 सीटें थी इनमें से बीजेपी के पक्ष में 37 सीटें गई थीं, और कांग्रेस के हिस्से में महज 2 सीटें आई थीं, सरकार बीजेपी की बनी थी.
साल 2008 में आदिवासियों की 47 सीटों में से बीजेपी को 30 और कांग्रेस को 16 सीटें मिली सरकार फिर बीजेपी की बन गई, और फिर 2013 में बीजेपी को 47 सीटों में से 31 सीटें मिली जबकि कांग्रेस के खाते में 15 सीटें गईं और सरकार तीसरी बार भी बीजेपी की ही बनी. साल 2018 में आदिवासी सीटें बीजेपी से फिसलकर कांग्रेस के पास आ गई. बीजेपी को 16 सीटें ही मिल पाई ऐसे में अब जब एक बार फिर से चुनाव आ रहे हैं तो मध्यप्रदेश में आदिवासियों की 47 सीटों पर बीजेपी की नज़र है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को बीजेपी के मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है और इस बार पीएम मोदी के शहडोल दौरे को लेकर कई सियासी मायने भी लगाए जा रहे हैं अब देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दौरे के बाद मध्यप्रदेश में आदिवासी वोटर किधर जाते हैं इस बार बीजेपी का साथ देते हैं या फिर से कांग्रेस के साथ ही नजर आते हैं.