नई दिल्ली : खोरी गांव के लोगों ने अपने घरों को बचाने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है. इस बाबत ग्रामीणों ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है. हालांकि शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार फरीदाबाद नगर निगम ने पहले ही विध्वंस का काम शुरू कर दिया है.
याचिका में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को उस स्थान से बेदखल कर दिया जाता है और उसका घर गिरा दिया जाता है, जहां वह अनधिकृत रूप से रह रहा है तो वह निश्चित रूप से अपनी आजीविका भी खो देगा. काम करने के लिए उसे कहीं तो रहना होगा. याचिकाकर्ताओं ने सरकारी स्कूल और सरकारी पार्क की इमारत का भी हवाला दिया जो उनकी स्थापना को मान्यता देता है.
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने मामले में यह कहते हुए विध्वंस का आदेश दिया था कि वन भूमि के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है और भूमि छोड़ने के बाद ही किसी नई बस्ती पर विचार किया जाएगा.
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अदालत ने फटकार लगाई थी निवासियों ने एक साल के आदेश के बाद भी स्थान नहीं छोड़ा. जबकि कहा गया था कि अगर वे अपने दस्तावेज दे देते तो अब तक उनका पुनर्वास हो जाता. मामले पर अगले हफ्ते 19 जुलाई को फिर सुनवाई होगी.