ETV Bharat / bharat

खोरी गांव में घरों के तोड़फोड़ पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका - घरों के तोड़फोड़ पर रोक की मांग

लगभग 1.5 लाख खोरी गांव निवासियों की ओर से वन भूमि पर बने अवैध घरों के विध्वंस पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि यह उनके जीवन के अधिकार, संविधान के तहत उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा.

DEMOLITION
DEMOLITION
author img

By

Published : Jul 17, 2021, 1:22 PM IST

नई दिल्ली : खोरी गांव के लोगों ने अपने घरों को बचाने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है. इस बाबत ग्रामीणों ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है. हालांकि शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार फरीदाबाद नगर निगम ने पहले ही विध्वंस का काम शुरू कर दिया है.

याचिका में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को उस स्थान से बेदखल कर दिया जाता है और उसका घर गिरा दिया जाता है, जहां वह अनधिकृत रूप से रह रहा है तो वह निश्चित रूप से अपनी आजीविका भी खो देगा. काम करने के लिए उसे कहीं तो रहना होगा. याचिकाकर्ताओं ने सरकारी स्कूल और सरकारी पार्क की इमारत का भी हवाला दिया जो उनकी स्थापना को मान्यता देता है.

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने मामले में यह कहते हुए विध्वंस का आदेश दिया था कि वन भूमि के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है और भूमि छोड़ने के बाद ही किसी नई बस्ती पर विचार किया जाएगा.

यह भी पढ़ें-अगस्त के अंत तक देश में आ सकती है तीसरी लहर : ICMR विशेषज्ञ

अदालत ने फटकार लगाई थी निवासियों ने एक साल के आदेश के बाद भी स्थान नहीं छोड़ा. जबकि कहा गया था कि अगर वे अपने दस्तावेज दे देते तो अब तक उनका पुनर्वास हो जाता. मामले पर अगले हफ्ते 19 जुलाई को फिर सुनवाई होगी.

नई दिल्ली : खोरी गांव के लोगों ने अपने घरों को बचाने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है. इस बाबत ग्रामीणों ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है. हालांकि शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार फरीदाबाद नगर निगम ने पहले ही विध्वंस का काम शुरू कर दिया है.

याचिका में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को उस स्थान से बेदखल कर दिया जाता है और उसका घर गिरा दिया जाता है, जहां वह अनधिकृत रूप से रह रहा है तो वह निश्चित रूप से अपनी आजीविका भी खो देगा. काम करने के लिए उसे कहीं तो रहना होगा. याचिकाकर्ताओं ने सरकारी स्कूल और सरकारी पार्क की इमारत का भी हवाला दिया जो उनकी स्थापना को मान्यता देता है.

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने मामले में यह कहते हुए विध्वंस का आदेश दिया था कि वन भूमि के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है और भूमि छोड़ने के बाद ही किसी नई बस्ती पर विचार किया जाएगा.

यह भी पढ़ें-अगस्त के अंत तक देश में आ सकती है तीसरी लहर : ICMR विशेषज्ञ

अदालत ने फटकार लगाई थी निवासियों ने एक साल के आदेश के बाद भी स्थान नहीं छोड़ा. जबकि कहा गया था कि अगर वे अपने दस्तावेज दे देते तो अब तक उनका पुनर्वास हो जाता. मामले पर अगले हफ्ते 19 जुलाई को फिर सुनवाई होगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.