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जब्त मेडिकल उपकरण पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, जल्द छोड़ने की अपील

कोरोना से लड़ाई में कारगर जीवन रक्षक दवाएं, ऑक्सीजन सिलेंडर समेत अन्य जरूरी सामान कई बार पकड़े जाने पर पुलिस हिरासत में कई दिनों तक रहती है. इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर की गई है. जानिए क्या अपील की गई है.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सुप्रीम कोर्ट में याचिका
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Published : May 20, 2021, 7:09 PM IST

नई दिल्ली : पुलिस थानों में जब्त पड़े कोरोना वायरस के इलाज के लिए महत्वपूर्ण ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीमीटर, रेमडेस्विर इंजेक्शन और ऐसे सभी आवश्यक सामान जारी करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है.

याचिका में जब्त किए गए सामानों के वीडियो और फोटो भी मांगे गए हैं.

याचिका श्रीकांत प्रसाद और राजकिशोर प्रसाद ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि कोविड 19 रोगियों के इलाज के लिए आवश्यक वस्तुओं जैसे ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीमीटर, रेमेडिसिविर इंजेक्शन की कमी है, या ये महंगे दाम पर बेचे जा रहे हैं.

वर्तमान में जो जीवन रक्षक सामान जब्त किया जा रहा है उसे सीआरपीसी प्रक्रिया का पालन करने के बाद छोड़ा जाता है, जिसमें समय लगता है. लोग इसे प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं और सामान पुलिस के पास कई दिनों तक पड़ा रहता है.

पढ़ें-ब्लैक फंगस के बाद व्हाइट फंगस ने बढ़ाई टेंशन, जानिए शरीर पर कैसे करता है अटैक

शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि बिना किसी औपचारिकता के चिकित्सा उपचार का अधिकार एक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है. याचिकाकर्ताओं की अपील है कि परीक्षण समाप्त होने तक वस्तुओं को न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जाना चाहिए, क्योंकि ये कोविड 19 से निपटने के लिए आवश्यक हैं.

नई दिल्ली : पुलिस थानों में जब्त पड़े कोरोना वायरस के इलाज के लिए महत्वपूर्ण ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीमीटर, रेमडेस्विर इंजेक्शन और ऐसे सभी आवश्यक सामान जारी करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है.

याचिका में जब्त किए गए सामानों के वीडियो और फोटो भी मांगे गए हैं.

याचिका श्रीकांत प्रसाद और राजकिशोर प्रसाद ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि कोविड 19 रोगियों के इलाज के लिए आवश्यक वस्तुओं जैसे ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीमीटर, रेमेडिसिविर इंजेक्शन की कमी है, या ये महंगे दाम पर बेचे जा रहे हैं.

वर्तमान में जो जीवन रक्षक सामान जब्त किया जा रहा है उसे सीआरपीसी प्रक्रिया का पालन करने के बाद छोड़ा जाता है, जिसमें समय लगता है. लोग इसे प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं और सामान पुलिस के पास कई दिनों तक पड़ा रहता है.

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शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि बिना किसी औपचारिकता के चिकित्सा उपचार का अधिकार एक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है. याचिकाकर्ताओं की अपील है कि परीक्षण समाप्त होने तक वस्तुओं को न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जाना चाहिए, क्योंकि ये कोविड 19 से निपटने के लिए आवश्यक हैं.

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