नई दिल्ली : एक ट्रस्ट, जो सशस्त्र बलों और उनके परिवारों के लिए काम करने का दावा करता है, ने नई अंशदायी पेंशन योजना से अर्धसैनिक बलों को बाहर करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है.
याचिका में केंद्र को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले सशस्त्र बलों के समान ही गृह मंत्रालय (एमएचए) के तहत आने वाले बलों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल करे.
'हमारा देश हमारे जवान ट्रस्ट' ने इसी मुद्दे को उठाने वाली पहले से लंबित याचिकाओं में एक अर्जी दायर की जो एक खंडपीठ के समक्ष विचाराधीन है.
अधिवक्ता अजय के अग्रवाल के माध्यम से दायर अर्जी में ट्रस्ट ने कहा है कि प्राधिकारी गैरकानूनी तरीके से गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले सीमा सुरक्षा बल, केन्द्र रिजर्व पुलिस बल और केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल आदि को पुरानी पेंशन योजना से वंचित करके उन्हें 2004 में लागू अंशदायी पेंशन योजना का विषय बना रहे हैं और उनका कहना है कि वे संघीय सशस्त्र बल नहीं है.
इस अर्जी में कहा गया है कि गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले बलों को पुरानी पेंशन योजना से बाहर करना पक्षपातपूर्ण है और इससे समता के सिद्धांत का हनन होता है.
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मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल के नेतृत्व वाली एक पीठ ने 12 अगस्त को इसी मुद्दे पर ट्रस्ट की जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिसे बाद में अन्य कानूनी उपायों का लाभ उठाने या लंबित कार्यवाही में शामिल होने की स्वतंत्रता के साथ वापस ले लिया गया था.
अदालत ने कहा था कि एक ही मुद्दे पर कई याचिकाओं की आवश्यकता नहीं है और ट्रस्ट से कहा था कि वह पहले से ही लंबित कार्यवाही में शामिल हो.