नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर केंद्र को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह राष्ट्रीय राजधानी में धन शोधन निरोधक अधिनियम अपीली न्यायाधिकरण (एटीपीएमएलए) में अध्यक्ष, सदस्य और अन्य पदों को भरे. वर्तमान में 23 पद खाली हैं.
वकील एवं कार्यकर्ता अमित साहनी द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया कि अगस्त 2019 में मीडिया में आई खबरों से ऐसा लग रहा था कि सेवानिवृत्त होने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुनील गौड़ अधिकरण के अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे. यह अधिकरण धन शोधन समेत विभिन्न कानूनों के तहत आर्थिक अपराध संबंधी मामलों को देखता है.
इसमें कहा गया कि न्यायमर्ति मनमोहन सिंह का कार्यकाल सितंबर 2019 में पूरा होने के बाद न्यायमूर्ति गौड़ को उनकी जगह लेनी थी. 'लेकिन इस कथित नियुक्ति को बाद में अधिसूचित नहीं किया गया और अध्यक्ष का पद तबसे खाली ही है.'
यह याचिका 20 जनवरी को दायर की गई थी और इसमें सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के जरिए मिले जवाब का भी जिक्र है जिसमें कहा गया कि न्यायाधिकरण में कर्मचारियों की काफी कमी है और इससे यहां का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है.
याचिकाकर्ता में कहा गया है कि चार में से तीन सदस्यों के पद खाली पड़े हैं और ट्रिब्यूनल वर्तमान में सिर्फ एक सदस्य के साथ काम कर रहा है, जो अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहा है.
याचिका में कहा गया कि अदालत कई मामलों में कह चुकी है कि 'न्याय में विलंब न्याय से वंचित रखने' सरीखा है लेकिन अध्यक्ष और चार सदस्यों की स्वीकृत संख्या में से तीन पद रिक्त होने तथा प्रशासनिक कर्मचारियों की गंभीर कमी की वजह से नई दिल्ली स्थित एटीपीएमएलए न्याय देने में संघर्ष कर रहा है.
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वकील प्रीति सिंह के जरिए दायर याचिका में कहा गया कि वित्त मंत्रालय प्राथमिकता के आधार पर तेजी से इन पदों को भरने के लिए उचित कदम उठाने में नाकाम रहा है.