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तमिलनाडु में नाबालिग लड़की की खुदकुशी मामले की जांच के लिए जनहित याचिका

तमिलनाडु के तंजावुर (Thanjavur Tamil Nadu) में छात्रा आत्महत्या मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है (pil files in sc). याचिका में कहा गया कि धर्मांतरण पर एक 'राष्ट्रीयकृत' कानून को व्यावहारिक रूप से लागू करने की आवश्यकता है.

Supreme Court
उच्चतम न्यायालय
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Published : Feb 2, 2022, 4:29 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में एक जनहित याचिका दायर कर तमिलनाडु के तंजावुर में कथित तौर पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर (convert to Christianity) की गई 17 वर्षीय लड़की द्वारा आत्महत्या के 'मूल कारण' की जांच की मांग की गई है.

यह जनहित याचिका अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है. याचिका में केंद्र और राज्यों को यह निर्देश देने की भी अनुरोध किया गया है कि धोखाधड़ी से धर्मांतरण को रोकने के लिए 'भय दिखाना, धमकी देना, धोखा देना और उपहारों और मौद्रिक लाभों के माध्यम से लालच देने' के लिए कड़े कदम उठाए जाएं.

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के जरिये दायर याचिका में कहा गया, 'नागरिकों पर हुई चोट बहुत बड़ी है क्योंकि एक भी जिला ऐसा नहीं है जो 'येन-क्रेन प्रकारेण या भय अथवा लालच' के जरिये कराए जाने वाले धर्म परिवर्तन से मुक्त हो.'

इसमें कहा गया, 'पूरे देश में हर हफ्ते ऐसी घटनाएं होती हैं जहां धर्मांतरण डर दिखाकर, धमकाकर, उपहारों और धन के लालच में धोखा देकर और काला जादू, अंधविश्वास, चमत्कार का उपयोग करके किया जाता है, लेकिन केंद्र और राज्यों ने इस खतरे को रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए हैं.'

'धर्मांतरण पर राष्ट्रीयकृत कानून की जरूरत'

याचिका में कहा गया कि धर्मांतरण पर एक 'राष्ट्रीयकृत' कानून को व्यावहारिक रूप से लागू करने की आवश्यकता है क्योंकि राज्य धर्मांतरण विरोधी कानून धोखाधड़ी, जबरदस्ती और प्रलोभन को ठीक से परिभाषित नहीं करते हैं. जनहित याचिका में कहा गया है कि धर्मांतरण देश व्यापी समस्या है और केंद्र को एक कानून बनाना चाहिए और इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए.

याचिका में कहा गया, 'राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण/केंद्रीय जांच ब्यूरो और/या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग/राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को तंजावुर में आत्महत्या करने वाली 17 वर्षीय लावण्या की मौत के मूल कारणों की जांच करने के लिए निर्देशित करें.'

ये है मामला

तंजावुर के मिशनरी स्कूल की 17 वर्षीय छात्रा अरियालुर जिले की रहने वाली थी. कुछ दिन पहले उसने आत्महत्या कर ली थी. छात्रावास में रहने वाली लड़की को कथित तौर पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया था. इस सिलसिले में एक वीडियो क्लिप भी प्रसारित हुआ था. स्कूल प्रबंधन ने आरोप को खारिज कर दिया था और और इसके पीछे निहित स्वार्थों को दोषी ठहराया था.

पढ़ें- तंजावुर छात्रा आत्महत्या मामला : कोर्ट का आदेश, अब CBI करेगी जांच

पुलिस के बयान के साथ-साथ न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दिये बयान में, लड़की ने सीधे और स्पष्ट शब्दों में छात्रावास की वार्डन पर गैर-शैक्षणिक काम सौंपने और यह बर्दाश्त नहीं कर पाने पर कीटनाशक का सेवन करने की बात कही थी.

पढ़ें- PIL in Supreme Court: धोखाधड़ी से धर्मांतरण के खिलाफ दाखिल की गई जनहित याचिका

पढ़ें- तमिलनाडु में भाजपा पदाधिकारी के खिलाफ 'नफरती ट्वीट' को लेकर FIR

पढ़ें- तमिलनाडु आत्महत्या मामला: उच्च न्यायालय के आदेश के बाद वीडियो रिकॉर्ड करने वाले शख्स ने फोन को पुलिस को सौंपा

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में एक जनहित याचिका दायर कर तमिलनाडु के तंजावुर में कथित तौर पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर (convert to Christianity) की गई 17 वर्षीय लड़की द्वारा आत्महत्या के 'मूल कारण' की जांच की मांग की गई है.

यह जनहित याचिका अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है. याचिका में केंद्र और राज्यों को यह निर्देश देने की भी अनुरोध किया गया है कि धोखाधड़ी से धर्मांतरण को रोकने के लिए 'भय दिखाना, धमकी देना, धोखा देना और उपहारों और मौद्रिक लाभों के माध्यम से लालच देने' के लिए कड़े कदम उठाए जाएं.

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के जरिये दायर याचिका में कहा गया, 'नागरिकों पर हुई चोट बहुत बड़ी है क्योंकि एक भी जिला ऐसा नहीं है जो 'येन-क्रेन प्रकारेण या भय अथवा लालच' के जरिये कराए जाने वाले धर्म परिवर्तन से मुक्त हो.'

इसमें कहा गया, 'पूरे देश में हर हफ्ते ऐसी घटनाएं होती हैं जहां धर्मांतरण डर दिखाकर, धमकाकर, उपहारों और धन के लालच में धोखा देकर और काला जादू, अंधविश्वास, चमत्कार का उपयोग करके किया जाता है, लेकिन केंद्र और राज्यों ने इस खतरे को रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए हैं.'

'धर्मांतरण पर राष्ट्रीयकृत कानून की जरूरत'

याचिका में कहा गया कि धर्मांतरण पर एक 'राष्ट्रीयकृत' कानून को व्यावहारिक रूप से लागू करने की आवश्यकता है क्योंकि राज्य धर्मांतरण विरोधी कानून धोखाधड़ी, जबरदस्ती और प्रलोभन को ठीक से परिभाषित नहीं करते हैं. जनहित याचिका में कहा गया है कि धर्मांतरण देश व्यापी समस्या है और केंद्र को एक कानून बनाना चाहिए और इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए.

याचिका में कहा गया, 'राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण/केंद्रीय जांच ब्यूरो और/या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग/राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को तंजावुर में आत्महत्या करने वाली 17 वर्षीय लावण्या की मौत के मूल कारणों की जांच करने के लिए निर्देशित करें.'

ये है मामला

तंजावुर के मिशनरी स्कूल की 17 वर्षीय छात्रा अरियालुर जिले की रहने वाली थी. कुछ दिन पहले उसने आत्महत्या कर ली थी. छात्रावास में रहने वाली लड़की को कथित तौर पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया था. इस सिलसिले में एक वीडियो क्लिप भी प्रसारित हुआ था. स्कूल प्रबंधन ने आरोप को खारिज कर दिया था और और इसके पीछे निहित स्वार्थों को दोषी ठहराया था.

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पुलिस के बयान के साथ-साथ न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दिये बयान में, लड़की ने सीधे और स्पष्ट शब्दों में छात्रावास की वार्डन पर गैर-शैक्षणिक काम सौंपने और यह बर्दाश्त नहीं कर पाने पर कीटनाशक का सेवन करने की बात कही थी.

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