नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है. इसमें गृह मंत्रालय को ऐसे प्राचीन ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक स्थलों के मूल नामों का पता लगाने के लिए पुनर्नामकरण आयोग गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई है जिन्हें विदेशी आक्रमणकारियों के नाम पर रखा गया. या फिर एएसआई को इनके बारे में शोध कर मूल नामों को प्रकाशित करने का निर्देश देने की मांग की गई है.
जनहित याचिका भाजपा सदस्य और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई है. उपाध्याय ने कहा है कि कई प्राचीन ऐतिहासिक धार्मिक स्थल हैं जो अभी भी विदेशी आक्रमणकारियों, उनके परिवार और नौकरों के नाम पर हैं, भले ही भारत ने आजादी के 75 साल पूरे कर लिए हों. उनका तर्क है कि यह अनुच्छेद 21, 25 और 29 के तहत गारंटीकृत संप्रभुता, गरिमा के अधिकार, धर्म के अधिकार और संस्कृति के अधिकार के खिलाफ है.
उन्होंने कहा कि 29 जनवरी को, सरकार ने मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत गार्डन कर दिया, लेकिन हुमायूं रोड, अकबर रोड, तुगलक रोड, चेम्सडॉर्ड रोड, हैली रोड आदि सड़कों का नाम बदलने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. याचिका में कहा गया है कि मंत्रियों, सांसदों और न्यायाधीशों के इन सड़कों पर बंगला है. ये लोग भारत के संविधान के संरक्षक और मौलिक अधिकारों के रक्षक हैं.
नागरिकों की चोट बहुत बड़ी है क्योंकि भगवान कृष्ण और बलराम के आशीर्वाद से पांडवों ने खांडवप्रस्थ (निर्जन भूमि) को इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) में परिवर्तित कर दिया, लेकिन भगवान के नाम पर एक भी सड़क, नगरपालिका वार्ड, गांव या विधानसभा क्षेत्र नहीं है. कृष्ण, बलराम, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, कुन्ती, द्रौपदी और अभिमन्यु के नाम पर इन सबमें से कुछ नहीं हैं. जबकि दूसरी ओर बर्बर विदेशी आक्रमणकारियों के नाम पर सड़कें, नगरपालिका वार्ड, गाँव और विधानसभा क्षेत्र हैं, जो न केवल यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21,25,29 के तहत गारंटीकृत गरिमा के अधिकार, धर्म के अधिकार और संस्कृति के अधिकार का भी उल्लंघन करता है.
याचिकाकर्ता ने दो सवालों को खत्म करने की मांग की है. एक तो प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक स्थलों के नामों को बर्बर आक्रमणकारियों के नाम पर जारी रखना संप्रभुता के विरुद्ध है. दूसरा, क्या केंद्र और राज्य प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक स्थलों के नाम को उनके मूल नाम में बदलने के लिए बाध्य हैं. याचिकाकर्ता ने मांग की है कि केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिए जाएं कि वे अपने वेबसाइटों और रिकॉर्ड को अपडेट करें और स्थानों के मूल नामों का उल्लेख करें.