मुंबई : वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस (Senior BJP leader Devendra Fadnavis) ने रविवार को दावा किया कि उनसे ऐसे सवाल पूछे गए जैसे कि उन्हें इस मामले में सहआरोपी बनाया जाना हो. कथित अवैध फोन टैपिंग और गोपनीय दस्तावेजों के लीक होने के मामले में मुंबई पुलिस ने फडणवीस का बयान दर्ज किया था. इसके पहले दिन में महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलिप वल्से पाटिल (Maharashtra Home Minister Dilip Walse Patil) ने संवाददाताओं से कहा कि फडणवीस को पुलिस का नोटिस उन्हें एक 'आरोपी के रूप' में नहीं दिया गया. यह भी कहा कि सरकार किसी के भी खिलाफ प्रतिशोध के तहत कार्रवाई नहीं कर रही है.
बीकेसी साइबर पुलिस ने दक्षित मुंबई स्थित फडणवीस के घर पहुंचकर करीब दो घंटे तक पूछताछ की और उनका बयान रिकॉर्ड किया. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडियाकर्मियों से कहा कि महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकेगी, चाहे वह उन्हें इस मामले में 'फंसाने' की कितनी भी कोशिश क्यों न कर ले.
फडणवीस ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय गृह मामलों के सचिव के समक्ष एमवीए की निगरानी में अधिकारियों के स्थानांतरण में घोटाले का मुद्दा उठाया था, लेकिन उन्होंने किसी भी विवरण को सार्वजनिक रूप से लीक करने से इनकार किया. फडणवीस ने आरोप लगाया कि उन पर दबाव डाला जा रहा है, क्योंकि वह राज्य के मंत्री नवाब मलिक और भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के बीच कथित संबंध होने और एमवीए द्वारा विरोधियों को निशाना बनाने की साजिश के मुद्दों को उठा रहे हैं.
उन्होंने एमवीए सरकार पर अधिकारियों के तबादलों के कथित बड़े घोटाले को छह महीने तक दबाने का आरोप लगाया, जब तक कि वह इसे प्रकाश में नहीं लाए. फडणवीस ने दावा किया कि अगर उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया होता तो करोड़ों रुपये का बड़ा घोटाला दबा दिया जाता. उन्होंने कहा कि बीकेसी साइबर पुलिस ने पहले उन्हें कथित फोन टैपिंग और गोपनीय दस्तावेजों के लीक होने के मामले में एक प्रश्नावली भेजी थी जिस पर उन्होंने जवाब देने की बात कही थी. फडणवीस ने कहा, 'मुझे पहले भेजी गई प्रश्नावली और आज पूछे गए प्रश्नों में बहुत अंतर है. आज पूछे गए प्रश्न ऐसे थे जैसे मैंने आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन किया है, मुझसे ऐसे सवाल पूछे गए जैसे कि मुझे एक आरोपी या सह-आरोपी बनाना है.'
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इससे पहले दिन में, महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वल्से पाटिल ने कहा कि फडणवीस को 'पांच से छह' बार नोटिस जारी कर उनसे अपना बयान दर्ज करने का अनुरोध किया गया था. उन्होंने कहा कि रोने और चीखने की जरूरत नहीं है, नोटिस का मतलब समन नहीं होता और नोटिस उन्हें एक आरोपी के रूप में नहीं भेजा गया था. मंत्री ने कहा कि मामला करीब एक साल पुराना है और फडणवीस के बयान के अभाव में मामले की जांच पूरी नहीं हो सकी.
मंत्री ने कहा कि पांच अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और अब तक 24 लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला पर उस समय राजनीतिक नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के अवैध रूप से फोन टैप करने का आरोप है, जब वह राज्य खुफिया विभाग (एसआईडी) की प्रमुख थीं. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने पुलिस विभाग में तबादलों में कथित भ्रष्टाचार के बारे में महाराष्ट्र के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक को कथित रूप से शुक्ला द्वारा लिखे गए एक पत्र का हवाला दिया था. पत्र में इंटरसेप्ट किए गए फोन कॉल का विवरण भी था. इसके बाद शिवसेना के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने आरोप लगाया कि शुक्ला ने बिना अनुमति के फोन टैप किए.
एसआईडी द्वारा दर्ज की गई शिकायत के बाद पिछले साल मुंबई के बीकेसी साइबर पुलिस स्टेशन में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ कथित तौर पर अवैध रूप से फोन टैप करने और गोपनीय दस्तावेज लीक करने का मामला दर्ज किया गया था. प्राथमिकी दर्ज होने से पहले महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्य सचिव सीताराम कुंटे ने अपनी जांच रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि शुक्ला ने गोपनीय रिपोर्ट लीक की थी.
(पीटीआई-भाषा)