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यूपी पुलिस के 'आतंकी' आरोपों पर भड़की पीएफआई, सीबीआई जांच की मांग

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Published : Feb 18, 2021, 5:51 PM IST

पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद ने उत्तर प्रदेश एसटीएफ द्वारा आतंकी हमले की हास्यास्पद व नकली कहानी बनाने सहित अपने सदस्यों अशद और फिरोज की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है. पीएफआई ने मामले में सीबीआई जांच की मांग भी की है.

PFI seeks
PFI seeks

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के सदस्यों की गिरफ्तारी के दो दिन बाद दिल्ली में पार्टी महासचिव ने सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई जांच की मांग की है. साथ ही आरोप लगाया कि पुलिस ने पार्टी के खिलाफ 2019 में उनके खिलाफ जनहित याचिका दायर करने का बदला ले रही है. वहीं यूपी पुलिस का आरोप है कि पीएफआई सदस्य राज्य के विभिन्न स्थानों पर श्रृंखलाबद्ध हमलों की योजना बना रहे थे.

पीएफआई ने उत्तर प्रदेश एसटीएफ द्वारा आतंकी हमले की एक हास्यास्पद व नकली कहानी बनाकर अपने सदस्यों अशद और फिरोज की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है. दोनों व्यक्ति केरल के निवासी हैं और संगठन विस्तार कार्य के लिए पश्चिम बंगाल और बिहार गए थे. पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद ने कहा कि 11 फरवरी की सुबह 5:40 बजे दोनों कटिहार, बिहार से मुंबई के लिए ट्रेन में सवार हुए. उनके परिवारों के अनुसार उन्होंने 11 फरवरी की शाम को आखिरी बार उनसे संपर्क किया. इसके बाद वे अपने फोन पर उपलब्ध नहीं थे. परिवार ने 16 फरवरी की सुबह केरल के स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी.

पीएफआई ने यूपी पुलिस के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग उठाई

पुलिस की कहानी फर्जी बताई

उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस द्वारा एक नकली कहानी बनाई जा रही है, जैसे कि फिल्म की स्क्रिप्ट बनाई जाती है. यूपी पुलिस द्वारा 11 फरवरी को अशद और फिरोज की गिरफ्तारी और 16 फरवरी को मीडिया के सामने पेश करना, यूपी सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा साबित करने का एक फर्जी प्रयास है. उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि शाम के समय ट्रेन यूपी से होकर जा रही थी. शायद दोनों को यूपी एसटीएफ ने यूपी के किसी रेलवे स्टेशन से पकड़ा और अवैध हिरासत में रखकर प्रताड़ित किया.

योगी सरकार पर लगाया आरोप

पीएफआई के महासचिव ने आरोप लगाया कि योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली यूपी सरकार ने इससे पहले लोकप्रिय मोर्चा के राज्य तदर्थ समिति के सदस्यों को कथित तौर पर सीएए विरोध में हिंसा के मास्टरमाइंड के रूप में चिह्नित करने की कोशिश की थी. जिसे पुलिस अदालत में साबित करने में विफल रही. इसके परिणामस्वरूप लोकप्रिय मोर्चा तदर्थ समिति के सदस्यों को जमानत पर रिहा किया गया. पीएफआई खुद को केरल स्थित एक सामाजिक युवा संगठन होने का दावा करता है. यह कई राज्यों की पुलिस के रडार पर है.

यह भी पढ़ें-आतंकवाद पर एक और प्रहार, जम्मू-कश्मीर में हथियारों की बड़ी खेप बरामद

1 जनवरी 2020 को यूपी पुलिस ने गृह मंत्रालय को एक नया अनुरोध भेजकर पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. सूत्रों ने तब कहा था कि एमएचए राज्यों और खुफिया एजेंसियों से इनपुट लेगा, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) शामिल हैं.

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के सदस्यों की गिरफ्तारी के दो दिन बाद दिल्ली में पार्टी महासचिव ने सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई जांच की मांग की है. साथ ही आरोप लगाया कि पुलिस ने पार्टी के खिलाफ 2019 में उनके खिलाफ जनहित याचिका दायर करने का बदला ले रही है. वहीं यूपी पुलिस का आरोप है कि पीएफआई सदस्य राज्य के विभिन्न स्थानों पर श्रृंखलाबद्ध हमलों की योजना बना रहे थे.

पीएफआई ने उत्तर प्रदेश एसटीएफ द्वारा आतंकी हमले की एक हास्यास्पद व नकली कहानी बनाकर अपने सदस्यों अशद और फिरोज की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है. दोनों व्यक्ति केरल के निवासी हैं और संगठन विस्तार कार्य के लिए पश्चिम बंगाल और बिहार गए थे. पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद ने कहा कि 11 फरवरी की सुबह 5:40 बजे दोनों कटिहार, बिहार से मुंबई के लिए ट्रेन में सवार हुए. उनके परिवारों के अनुसार उन्होंने 11 फरवरी की शाम को आखिरी बार उनसे संपर्क किया. इसके बाद वे अपने फोन पर उपलब्ध नहीं थे. परिवार ने 16 फरवरी की सुबह केरल के स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी.

पीएफआई ने यूपी पुलिस के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग उठाई

पुलिस की कहानी फर्जी बताई

उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस द्वारा एक नकली कहानी बनाई जा रही है, जैसे कि फिल्म की स्क्रिप्ट बनाई जाती है. यूपी पुलिस द्वारा 11 फरवरी को अशद और फिरोज की गिरफ्तारी और 16 फरवरी को मीडिया के सामने पेश करना, यूपी सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा साबित करने का एक फर्जी प्रयास है. उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि शाम के समय ट्रेन यूपी से होकर जा रही थी. शायद दोनों को यूपी एसटीएफ ने यूपी के किसी रेलवे स्टेशन से पकड़ा और अवैध हिरासत में रखकर प्रताड़ित किया.

योगी सरकार पर लगाया आरोप

पीएफआई के महासचिव ने आरोप लगाया कि योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली यूपी सरकार ने इससे पहले लोकप्रिय मोर्चा के राज्य तदर्थ समिति के सदस्यों को कथित तौर पर सीएए विरोध में हिंसा के मास्टरमाइंड के रूप में चिह्नित करने की कोशिश की थी. जिसे पुलिस अदालत में साबित करने में विफल रही. इसके परिणामस्वरूप लोकप्रिय मोर्चा तदर्थ समिति के सदस्यों को जमानत पर रिहा किया गया. पीएफआई खुद को केरल स्थित एक सामाजिक युवा संगठन होने का दावा करता है. यह कई राज्यों की पुलिस के रडार पर है.

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1 जनवरी 2020 को यूपी पुलिस ने गृह मंत्रालय को एक नया अनुरोध भेजकर पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. सूत्रों ने तब कहा था कि एमएचए राज्यों और खुफिया एजेंसियों से इनपुट लेगा, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) शामिल हैं.

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