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माता-पिता के साथ रहे महिला, हम 'गुरु जी' की स्थिति को जानते हैं : सुप्रीम काेर्ट - Spiritual Guru Kailash Natarajan news update

सुप्रीम काेर्ट ने मंगलवार को 21 वर्षीय एक महिला की 'आध्यात्मिक गुरु' की याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया.

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Published : Jul 6, 2021, 10:49 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को 21 वर्षीय एक महिला की 'आध्यात्मिक गुरु' की याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया जिसमें केरल उच्च न्यायलय के फैसले को चुनौती दी गई है. केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने महिला को उसके माता-पिता के संरक्षण में भेजते हुए कहा कि महिला की मानसिक हालत सही नहीं है.

याचिका में आग्रह किया गया कि महिला को अपनी पसंद के मुताबिक आध्यात्मिक जीवन के लिए उक्त व्यक्ति के साथ रहने दिया जाए. शीर्ष अदालत ने राहत देने से इंकार करते हुए अमेरिका के ब्रिटनी स्पीयर्स के मामलों का जिक्र किया जहां पॉप सिंगर अपने पिता की रूढ़िवादिता को समाप्त करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं और कहा कि वहां बीमारी का इलाज भी व्यक्ति की सहमति के बगैर नहीं किया जा सकता है.

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश राय की पीठ ने कहा कि भारत में परिवारों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और कोई भी सामान्य तौर पर स्वीकार नहीं करता कि बच्चे को किसी तरह की मानसिक समस्या है.

पीठ ने कहा कि वह उक्त व्यक्ति के पास इलाज के लिए गई और उन्होंने उसके साथ संबंध प्रगाढ़ करने शुरू कर दिए... बहरहाल वह अलग मुद्दा है... हम लड़की के हित को देख रहे हैं. इस मामले में हम नहीं चाहते कि वह याचिकाकर्ता के साथ जाए. यह बेहतर है कि वह अपने माता-पिता के साथ रहे. हम 'गुरु जी' और 'स्वामी जी' की स्थिति को जानते हैं.

42 वर्षीय आध्यात्मिक गुरु कैलाश नटराजन (Spiritual Guru Kailash Natarajan) के पहले की बातों का जिक्र करते हुए पीठ ने यह याचिका खारिज कर दी कि लड़की वयस्क है और उसे अपने पसंद के व्यक्ति के साथ रहने के अधिकार की अनुमति दी जाए. नटराजन पोक्सो के तहत यौन उत्पीड़न के आरोपों का पहले से सामना कर रहा है. पीठ ने कहा कि लड़की की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है.

इसे भी पढ़ें : केरल के मोहम्मद को दुर्लभ बीमारी SMA के लिए इलाज के लिए मिली मदद

नटराजन ने अपनी याचिका में कहा कि वह महिला का 'आध्यात्मिक गुरु' है, महिला वयस्क है जो आध्यात्मिक जीवन के लिए उसके साथ रहना चाहती है लेकिन उसके माता-पिता उसकी इच्छाओं का विरोध कर रहे हैं.
(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को 21 वर्षीय एक महिला की 'आध्यात्मिक गुरु' की याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया जिसमें केरल उच्च न्यायलय के फैसले को चुनौती दी गई है. केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने महिला को उसके माता-पिता के संरक्षण में भेजते हुए कहा कि महिला की मानसिक हालत सही नहीं है.

याचिका में आग्रह किया गया कि महिला को अपनी पसंद के मुताबिक आध्यात्मिक जीवन के लिए उक्त व्यक्ति के साथ रहने दिया जाए. शीर्ष अदालत ने राहत देने से इंकार करते हुए अमेरिका के ब्रिटनी स्पीयर्स के मामलों का जिक्र किया जहां पॉप सिंगर अपने पिता की रूढ़िवादिता को समाप्त करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं और कहा कि वहां बीमारी का इलाज भी व्यक्ति की सहमति के बगैर नहीं किया जा सकता है.

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश राय की पीठ ने कहा कि भारत में परिवारों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और कोई भी सामान्य तौर पर स्वीकार नहीं करता कि बच्चे को किसी तरह की मानसिक समस्या है.

पीठ ने कहा कि वह उक्त व्यक्ति के पास इलाज के लिए गई और उन्होंने उसके साथ संबंध प्रगाढ़ करने शुरू कर दिए... बहरहाल वह अलग मुद्दा है... हम लड़की के हित को देख रहे हैं. इस मामले में हम नहीं चाहते कि वह याचिकाकर्ता के साथ जाए. यह बेहतर है कि वह अपने माता-पिता के साथ रहे. हम 'गुरु जी' और 'स्वामी जी' की स्थिति को जानते हैं.

42 वर्षीय आध्यात्मिक गुरु कैलाश नटराजन (Spiritual Guru Kailash Natarajan) के पहले की बातों का जिक्र करते हुए पीठ ने यह याचिका खारिज कर दी कि लड़की वयस्क है और उसे अपने पसंद के व्यक्ति के साथ रहने के अधिकार की अनुमति दी जाए. नटराजन पोक्सो के तहत यौन उत्पीड़न के आरोपों का पहले से सामना कर रहा है. पीठ ने कहा कि लड़की की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है.

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नटराजन ने अपनी याचिका में कहा कि वह महिला का 'आध्यात्मिक गुरु' है, महिला वयस्क है जो आध्यात्मिक जीवन के लिए उसके साथ रहना चाहती है लेकिन उसके माता-पिता उसकी इच्छाओं का विरोध कर रहे हैं.
(पीटीआई-भाषा)

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