हरिद्वार : धर्मनगरी हरिद्वार में कुंभ के अनेकों रंग देखने को मिल रहे हैं. कुंभ में सभी अखाड़ों द्वारा भव्य रूप से नगर में प्रवेश किया जा रहा है. घोड़े, हाथी, ऊंट पर सवार नागा संन्यासी और साधु-संत लोगों में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. आज भी कनखल स्थित दक्ष मंदिर में आयोजित महानिर्वाणी अखाड़े की पेशवाई में विदेशी श्रद्धालु आकर्षण का केंद्र रहे.
सभी अखाड़े पेशवाई के माध्यम से अपनी अपनी छावनियों में प्रवेश कर रहे हैं. निरंजनी, जूना, अग्नि और किन्नर अखाड़ा और आनंद अखाड़े श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा के बाद सोमवार को श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की भव्य पेशवाई निकाली गई.
महानिर्वाणी अखाड़े की पेशवाई हरिद्वार के कनखल स्थित दक्ष मंदिर से प्रारंभ होकर पूरे हरिद्वार का भ्रमण करते हुए श्री यंत्र मंदिर, बूढ़ी माता तिराहा जगजीतपुर, सती कुंड, देश रक्षक औषधालय तिराहा से थाना कनखल, सर्राफा बाजार, चौक बाजार कनखल, पहाड़ी बाजार होते हुए अखाड़े की छावनी में जाकर समाप्त होगी.
पेशवाई में हाथी घोड़े और ऊंट फूलों की वर्षा और कई सुंदर-सुंदर झांकियां भी हैं. बड़ी संख्या में साधु संत, नागा संतों की भव्य पेशवाई निकली.
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श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि यह हरिद्वार के लिए भी सौभाग्य का विषय है, क्योंकि देश का भ्रमण कर साधु-संत हरिद्वार कुंभ मेले में आए हैं. लोगों को उनका आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है. कुंभ मेले की शुरुआत में सभी अखाड़ों के नागा संन्यासी रमता पंच देश भर का भ्रमण कर कुंभ नगरी पहुंचते हैं. भव्य रूप से नगर में प्रवेश करते हैं उसी को पेशवाई कहते हैं.
वहीं विश्व गुरु महामंडलेश्वर स्वामी महेश्वरानंद पुरी जी महाराज अपने विदेशी श्रद्धालुओं के साथ हरिद्वार महानिर्वाणी अखाड़े की पेशवाई में शिरकत करने पहुंचे. उन्होंने कहा कि हमारे कई देशों में आश्रम हैं. जहां लोगों को योग सिखाया जाता है. यह विदेशी भी हमारी संस्कृति और सभ्यता से इतने प्रभावित हैं कि सभी सात्विक रहते हैं. शुद्ध शाकाहारी भोजन खाते हैं. हमारे साथ करीब 500 से ज्यादा विदेशी श्रद्धालु हरिद्वार कुंभ मेले में शिरकत करने आने वाले थे, मगर कोरोना संक्रमण की वजह से इनकी संख्या कम कर दी गई.
हरिद्वार कुंभ मेले में हमारी धर्म, संस्कृति और सभ्यता से रूबरू होने के लिए यूरोप से हरिद्वार पहुंची श्रद्धालु रागिनी देवी का कहना है कि हम अपने विश्व गुरु के साथ हरिद्वार कुंभ मेले में शिरकत करने दुनिया के विभिन्न देशों से आए हैं. हम रोजाना योग करते हैं. गुरु जी के साथ इस कुंभ मेले में आकर हम अपने आप को धन्य मानते हैं. इस सभ्यता का हिस्सा बनने से हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. दुनिया में कई संस्कृति खत्म हो चुकी हैं. हमें चाहिए कि हम अपनी संस्कृतियों को जिंदा रखें.
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