चेन्नई: देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 31वीं पुण्यतिथि पर सभी गणमान्य लोगों ने श्रद्धांजलि दी. वहीं, इस मौके पर एक महिला सुरक्षाकर्मी से बातचीत की गयी जो उस हत्याकांड की पीड़िता के साथ-साथ गवाह भी है. इस घटना में वह गंभीर रूप से घायल हो गयी थीं. बड़ी मुश्किल से उनकी जान बची थी. उन्होंने इस घटना को लेकर दिल को झकझोर देने वाली बातें बतायीं. तो आइये पढ़ें उनका पूरा इंटरव्यू.
महिला सुरक्षाकर्मी अनुसूया ने कहा कि 21 मई 1991 को हमारे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी चुनाव प्रचार के लिए श्रीपेरंबदूर आय थे. उस समय मैं एक थाने में सब-इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थी. मुझे श्रीपेरंबदूर में सुरक्षा को लेकर वहां जाने के लिए एक वायरलेस सूचना मिली. इसलिए मैं शाम 6 बजे कुछ महिला गार्डों के साथ श्रीपेरंबदूर पुलिस स्टेशन गयी. वहां मुझे महिला सुरक्षा कर्मियों के साथ तैनात किया गया. तभी वहां कई महिलाएं आने लगी. उस समय नलिनी और सूबा (नाम मुझे बाद में पता चला, जिनमें से नलिनी अभी भी जेल में है) आई. ये दोनों ही हाईफाई दिख रही थी. मैंने उन्हें मंच के सामने जाकर बैठने को कहा.
लेकिन, वे वहां जाकर नहीं बैठी. वे दोनो मंच की ओर देख रहीं थीं और आपस में कुछ बात कर रही थी. उन्होंने मुझे देखा और मुस्कुरायीं. फिर वे चेन्नई-बेंगलुरु रोड पर चली गयीं. वे उस स्थान पर नहीं बैठी. मैं इसे गंभीरता से नहीं लिया. मैं आने वाले लोगों को व्यवस्थित करने लगी और बैठा रही थी तभी एसपी ने बताया कि मंच के पास महिलाओं का एक समूह था और उन्होंने जाने से मना कर दिया. इसलिए, मैं महिला कांग्रेस की महिलाओं सहित कुछ लोगों को जो मंच के पास खड़ी थीं, चंद्रा नाम की महिला गार्ड के साथ व्यवस्था करने की कोशिश कर रही थी. उसी समय तीन लोग, तनु (मानव बम), फोटोग्राफर हरिबाबू और शिवरासन जो मंच के पीछे थे आए.
इसलिए जब मैंने वहां आने वालों से पूछा तो उसने (शिवरसन) ने बताया कि वह वहां राजीव गांधी को माला चढ़ाने आए हैं. इस बीच हरिबाबू ने कहा मैं इसकी एक फोटो लेने जा रहा हूं. मुझे इसके लिए अनुमति दीजिए. तनु (महिला) के हाथ में चंदन की माला थी. शिवरासन एक पत्रकार की तरह दिख रहा था. शिवरसन नहीं बोले. वे तुरंत गए और कांग्रेस के स्वयंसेवकों के साथ खड़े हो गए. इनमें से सिर्फ फोटोग्राफर हरिबाबू ही उनके इलाके में गए थे.
उन्होंने कहा कि राजीव गांधी 10 बजे पहुंचे. राजीव गांधी को उस समय वहां इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर माला अर्पित करनी थी. अगले कुछ ही मिनटों में अलर्ट कर दिया गया कि राजीव गांधी मंच की ओर आ रहे हैं. वहां जो लाल कालीन बिछाया गया था, उसके दोनों ओर कई लोग माला चढ़ाने को तैयार थे. फिर, प्रदीप ली जो तत्कालीन डीएसपी थे, उन्होंने मुझे और महिला गार्ड चंद्रा को महिलाओं को अनुशासित करने का आदेश दिया. वहां महिलाओं की कतार में मैं पहले और महिला गार्ड चंद्रा सबसे आखिर में खड़ी थी. राजीव गांधी को कुछ लोगों ने शॉल भेंट की. बाद में जब वह महिला क्षेत्र के पास पहुंचे तो उन्हें भारी भीड़ ने घेर लिया. इसलिए मैं उन्हें पीछे धकेल रही थी.
लेकिन, जैसे ही राजीव गांधी ने मुझे रोकते हुए कहा, 'आप महिलाओं को क्यों धक्का दे रही हैं. फिर में रुक गयी, लेकिन भीड़ की वजह से मेरी नीचे गिरने की स्थिति हो गई थी. मेरी टोपी गिर गई. फौरन उन्होंने मुझे ऊपर उठाया, मेरी बांह पर थपथपाया और कहा 'रिलैक्स हो.' राजीव गांधी ने मुझसे यही आखिरी शब्द बोला था. आगे एक छोटी बच्ची राजीव गांधी को गीत गाकर सुना रही थी. तभी बम फट गया है. मैं अचेत हो गयी. मुझे केवल एक चीज याद आई कि मैं मर चुकी हूं. लेकिन, अगले कुछ सेकंड के लिए जब मैंने अपनी आँखें खोलीं, तो लाशें बिखरी हुई थीं. मेरी वर्दी जल गई थी. मैंने जो भी जीवित देखा वह एक लाश बन गयी थी. फिर, जब मैंने अपना सिर उठाने की कोशिश की लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकी.
सब-इंस्पेक्टर राजेंद्रन जो पास में थे, दौड़े और मुझे उठाया. तब तक मेरी पैंट में आग लग चुकी थी. शरीर से खून टपक रहा था. जैसा कि कहा गया कि इसे न देखें, वहां से वे मुझे श्रीपेरंबदूर अस्पताल ले जाया गया. मेरा इलाज चला. वे वहां घायल हुए सभी लोगों को अस्पताल पहुंचाते हैं. फिर वे मुझे चेन्नई के अस्पताल ले गए. मैं करीब तीन महीने तक अस्पताल में रही. वहीं, सीबीआई और सीबीसीआईडी ने जांच की. मैं तीन महीने बाद अस्पताल से घर लौटी. इसके बाद मैं उसी पुलिस स्टेशन में सेवा में शामिल हो गयी. मेरी आंखों और छाती सहित कई जगहों पर अभी भी छर्रे के निशान हैं.
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पेरारिवलन की रिहाई के बारे में आपकी क्या राय है ? अनुसूया ने कहा कि पीड़ितों के लिए कोई विधायिका या अदालत नहीं है. हर कोई देखता है कि वह बहुत दिनों से जेल में है. लेकिन इस बारे में नहीं सोचता है कि नौ गार्ड मारे गए. निर्दोष लोग मारे गये और कई नागरिक घायल हुए. किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. मैं स्थायी रूप से अक्षम हो गयी थी. हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या कर दी गई. कई माताओं, पिताओं, बच्चों और रिश्तेदारों ने पारिवार के कमाने वालों को खो दिया. विशेष रूप से एक महिला गार्ड की मौत के कारण उसका 2 साल का बच्चा मानसिक रूप से बीमार हो गया और आखिरकार हाल के दिनों में उसकी मौत हो गई.