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उत्तर प्रदेशः कोरोना संकट में महंगाई की मार से लोग परेशान

इस समय जनता पर महामारी, महंगाई और बेरोजगारी की तिहरी मार पड़ रही है. महंगाई अपने चरम पर है. खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी भारी इजाफा हुआ है, जिससे लोग काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि हमें अब पानी पीकर ही जिंदगी गुजारनी पड़ेगी. देखिए ये रिपोर्ट...

कोरोना संकट में महंगाई की मार
कोरोना संकट में महंगाई की मार
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Published : May 21, 2021, 10:33 AM IST

वाराणसी(उत्तर प्रदेश): सरकार महंगाई को नियंत्रित करने की बात कहती है, लेकिन हर दिन महंगाई बढ़ती जा रही है. बीते वर्ष की तरह इस वर्ष सरसों की खेती ज्यादा हुई है,लेकिन सरसों तेल के दामों में लगातार वृद्धि हो रही है. साथ ही दलहन के सामानों की कीमतों में भी इजाफा हो रहा है, जिसकी वजह से लोगों का बजट बिगड़ गया है. लोगों का कहना है कि जब अभी फुटकर में तेल 180 से 200 रुपये किलो बिक रहा है तो भविष्य में इसकी क्या कीमत होगी. आइए जानते हैं कि लगातार बढ़ रहे दामों से ग्राहक और व्यापारियों को कितनी समस्याएं हो रही हैं.

कोरोना संकट में महंगाई की मार

महंगाई से हम भूखे मरने को हैं मजबूर

ईटीवी भारत से बातचीत में खरीदारी करने आए ग्राहकों ने बताया कि एक तरफ कोरोना महामारी के कारण हमारा धंधा पूरी तरीके से चौपट हो गया है. हम हर दिन कमाने खाने वाले लोग हैं, ऐसे में हम 200 रुपये लीटर का तेल कहां से खरीदेंगे जब हमारी 200-300 रुपये दिन भर की कमाई ही हो रही है. हम इस महामारी से मरे न मरे, लेकिन हमें महंगाई जरूर मार देगी. सब्जी, तेल सब कुछ महंगा हो गया है. ऐसा लग रहा है हमें पानी पी कर के ही जिंदगी गुजारना पड़ेगा.

पढ़ेंः नड्डा आज करेंगे कोविड 19 हेल्प डेस्क का उद्घाटन

दलहन, तिलहन के बढ़े हैं भाव

विशेश्वरगंज गल्ला मंडी के व्यापारियों का कहना है कि वाकई 1 वर्ष में सरसों के तेल का भाव 2 गुना हुआ है. पिछले वर्ष लॉकडाउन में सरसों तेल का भाव 90 से 95 रुपये था जो इस साल बढ़कर 175 रुपये प्रति लीटर हो गया है. इस समय बाजार में केवल सलोनी, बैल कोल्हू, फार्च्यून, कच्ची घानी, पतंजलि कंपनी का ही तेल आ रहा है. बाकी अन्य कंपनियां व्यापारियों को केवल रेट दे रहे हैं, माल नहीं. उन्होंने बताया कि थोक में सरसों तेल की खरीद 170 -175 रुपये प्रति लीटर हो रही है. वहीं फुटकर में 175 से 200 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. इसके साथ ही पाम ऑयल महंगा होने से रिफाइंड के दामों में भी इजाफा हुआ है. साथ ही दलहन में भी 10 से 20 रुपये की वृद्धि हुई है.

कोरोना संकट में महंगाई की मार
कोरोना संकट में महंगाई की मार

ग्राहकों की है कमी

विशेश्वरगंज गल्ला मंडी के व्यापारी प्रतीक गुप्ता ने बताया कि दामों में इजाफा होने से ग्राहकों का भी टोटा है. वरना लग्न की सीजन में पूरी गल्ला मंडी ग्राहकों से पटी रहती थी. वर्तमान में बहुत क्रम ग्राहक आ रहे हैं, जिन्हें 5 से 10 किलो खरीदना होता था, वह 2-4 किलो खरीद रहे हैं. ऐसे में स्टॉक जस का तस पड़ा हुआ है और खरीदार न के बराबर है. लोगों की परचेसिंग पावर खत्म हो गई है. ऐसे में ग्राहकों को तो दिक्कत हो ही रही है लेकिन, हम व्यापारियों की हालत भी काफी खराब है.

सरसों तेल के भाव

ब्रांडथोक (रुपये)फुटकर (रुपये)
सलोनी170 - 175175 -200
बैल कोल्हू 166170 -180
फॉर्च्यून165 180 - 190
पतंजलि 170 175 -180

रिफाइंड तेल के भाव

तेल थोकफुटकर
सोयाबीन155 160
बादाम180190
सनफ्लावर200210

वाराणसी(उत्तर प्रदेश): सरकार महंगाई को नियंत्रित करने की बात कहती है, लेकिन हर दिन महंगाई बढ़ती जा रही है. बीते वर्ष की तरह इस वर्ष सरसों की खेती ज्यादा हुई है,लेकिन सरसों तेल के दामों में लगातार वृद्धि हो रही है. साथ ही दलहन के सामानों की कीमतों में भी इजाफा हो रहा है, जिसकी वजह से लोगों का बजट बिगड़ गया है. लोगों का कहना है कि जब अभी फुटकर में तेल 180 से 200 रुपये किलो बिक रहा है तो भविष्य में इसकी क्या कीमत होगी. आइए जानते हैं कि लगातार बढ़ रहे दामों से ग्राहक और व्यापारियों को कितनी समस्याएं हो रही हैं.

कोरोना संकट में महंगाई की मार

महंगाई से हम भूखे मरने को हैं मजबूर

ईटीवी भारत से बातचीत में खरीदारी करने आए ग्राहकों ने बताया कि एक तरफ कोरोना महामारी के कारण हमारा धंधा पूरी तरीके से चौपट हो गया है. हम हर दिन कमाने खाने वाले लोग हैं, ऐसे में हम 200 रुपये लीटर का तेल कहां से खरीदेंगे जब हमारी 200-300 रुपये दिन भर की कमाई ही हो रही है. हम इस महामारी से मरे न मरे, लेकिन हमें महंगाई जरूर मार देगी. सब्जी, तेल सब कुछ महंगा हो गया है. ऐसा लग रहा है हमें पानी पी कर के ही जिंदगी गुजारना पड़ेगा.

पढ़ेंः नड्डा आज करेंगे कोविड 19 हेल्प डेस्क का उद्घाटन

दलहन, तिलहन के बढ़े हैं भाव

विशेश्वरगंज गल्ला मंडी के व्यापारियों का कहना है कि वाकई 1 वर्ष में सरसों के तेल का भाव 2 गुना हुआ है. पिछले वर्ष लॉकडाउन में सरसों तेल का भाव 90 से 95 रुपये था जो इस साल बढ़कर 175 रुपये प्रति लीटर हो गया है. इस समय बाजार में केवल सलोनी, बैल कोल्हू, फार्च्यून, कच्ची घानी, पतंजलि कंपनी का ही तेल आ रहा है. बाकी अन्य कंपनियां व्यापारियों को केवल रेट दे रहे हैं, माल नहीं. उन्होंने बताया कि थोक में सरसों तेल की खरीद 170 -175 रुपये प्रति लीटर हो रही है. वहीं फुटकर में 175 से 200 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. इसके साथ ही पाम ऑयल महंगा होने से रिफाइंड के दामों में भी इजाफा हुआ है. साथ ही दलहन में भी 10 से 20 रुपये की वृद्धि हुई है.

कोरोना संकट में महंगाई की मार
कोरोना संकट में महंगाई की मार

ग्राहकों की है कमी

विशेश्वरगंज गल्ला मंडी के व्यापारी प्रतीक गुप्ता ने बताया कि दामों में इजाफा होने से ग्राहकों का भी टोटा है. वरना लग्न की सीजन में पूरी गल्ला मंडी ग्राहकों से पटी रहती थी. वर्तमान में बहुत क्रम ग्राहक आ रहे हैं, जिन्हें 5 से 10 किलो खरीदना होता था, वह 2-4 किलो खरीद रहे हैं. ऐसे में स्टॉक जस का तस पड़ा हुआ है और खरीदार न के बराबर है. लोगों की परचेसिंग पावर खत्म हो गई है. ऐसे में ग्राहकों को तो दिक्कत हो ही रही है लेकिन, हम व्यापारियों की हालत भी काफी खराब है.

सरसों तेल के भाव

ब्रांडथोक (रुपये)फुटकर (रुपये)
सलोनी170 - 175175 -200
बैल कोल्हू 166170 -180
फॉर्च्यून165 180 - 190
पतंजलि 170 175 -180

रिफाइंड तेल के भाव

तेल थोकफुटकर
सोयाबीन155 160
बादाम180190
सनफ्लावर200210
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