पटना : बिहार में बाढ़ (Flood In Bihar) का कहर जारी है. बिहार के कई जिले बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं. उफनती गंगा नदी (Ganga River) ने एक बार फिर से कई क्षेत्रों को अपने आगोश में ले लिया है. जिससे लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं.
इन दिनों पटना में गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. उफनती गंगा पटना सदर के नकटा दियारा पंचायत के सभी 14 वार्ड में भीषण तबाही मचा रही है. जिससे उच्च स्थान पर शरण लेने वाले हजारों लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
जानकारी के अनुसार शुक्रवार की शाम तक 5 हजार बाढ़ पीड़ित पलायन करने को मजबूर हो गए हैं. आपदा के समय मिलने वाली सरकारी मदद भी महज खानापूर्ति बनकर रह गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ ग्रस्त जिलों का हवाई सर्वेक्षण किया. इसके साथ ही अधिकारियों को निर्देश जारी किया.
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी हालात अब भी वैसे ही देखे जा रहे हैं. नकटा दियारा पंचायत के सभी 14 वार्डों में कहीं 10 फीट तो कहीं 30 फीट से ज्यादा बाढ़ का पानी घुस चुका है. जिसकी वजह से पांच हजार लोग पलायन कर चुके हैं.
हालांकि जिला प्रशासन ने शुक्रवार से ही जनार्दन घाट पर रसोईया की व्यवस्था करा दिया है. बाढ़ पीड़ितों को स्वादिष्ट खाना मुहैया कराया जा रहा है. इसके साथ ही शुद्ध पेयजल की भी व्यवस्था की गई है. वहीं दूसरी ओर पंचायत के बिंद टोली के दो वार्डो में पीने के पानी की समस्या बरकरार है.
पंचायत के मुखिया भागीरथ प्रसाद ने कहा, पंचायत के सभी क्षेत्र जलमग्न हो चुके हैं. एक बार फिर स्थिति 2016 जैसी हो गई है. सभी वार्ड बाढ़ का दंश झेल रहे हैं. डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने क्षेत्र में बाढ़ पीड़ित से मिलकर ढांढस दिए और रसोईया चलाने का निर्णय लिया. इससे बाढ़ पीड़ितो को बहुत राहत मिली है.
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एक जीविका में कार्यरत सुजीत ने बताया कि पंचायत के 12 वार्डों में से 250 ऐसे घर होंगे जिसमें गंगा का पानी 10 फीट से ज्यादा है. उन्होंने बताया कि प्रशासन के माध्यम से अब तक किरासन तेल भी मुहैया नहीं कराया गया है. जिसके कारण लोगों अंधेरे में ही रात गुजारना पड़ता है.
बाढ़ पीड़ित एक बुजुर्ग ने बताया कि दोनों छोर से घिरी बिंद टोली पर सिर्फ कागजी दावा किया गया है. जबकि यहां किसी को पीने का पानी तक नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि पीने का पानी लाने के लिए पानी में तैरकर या नाव का सहारा लेकर जाना पड़ता है.
बाढ़ पीड़ित ने बताया कि सरकार की ओर से अनुदान के तौर पर मिलने वाली 6 हजार की राशि 10 दिनों के बाद भी नहीं मिला. जो यह साफ दर्शाता है कि सरकार के कथनी और करनी में बड़ा अंतर है. वहीं एक दंपति ने बताया कि वे लोग अपनी जान बचाकर बांध पर शरण लिए हुए हैं. जिसके बाद से कोई अधिकारी हाल तक पूछने नहीं आए.