देहरादून(उत्तराखंड): उत्तराखंड चारधाम यात्रा की शुरुवात होने के साथ ही मौतों का सिलसिला भी शुरू हो गया है. दरअसल, 22 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही यात्रा शुरू हुई. यात्रा शुरू होने के दोनों दिन ही यमुनोत्री धाम मार्ग पर दो श्रद्धालुओं की हार्टअटैक से मौत हो चुकी है. वहीं, दूसरे दिन बाबा केदारनाथ धाम के लिए हेलीकॉप्टर सेवा शुरू होने से पहले ही हेलीकॉप्टर से यूकाडा के वित्त नियंत्रक अधिकारी की मौत हो गई. चारधाम यात्रा शुरू होने के दो दिन के भीतर तीन लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, दोनों मामले अलग हैं लेकिन इससे स्वास्थ्य और नागरिक उड्डयन विभाग की व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं.
उत्तराखंड चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले राज्य सरकार ने बड़े दावे किए थे कि चारधाम की व्यवस्था पूरी है. सभी तैयारियां मुकम्मल कर ली गई हैं. पिछली कमियों को दूर करने का भी दावा सरकार ने किया था, मगर वर्तमान स्थिति यह है कि चारधाम यात्रा शुरू होने के साथ ही मौतों का सिलसिला भी शुरू हो गया है. पिछले 3 दिनों के भीतर 3 लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें यात्रा के दौरान हृदयगति रुकने से दो श्रद्धालुओं और हेलीकॉप्टर की वजह से एक अधिकारी की मौत हुई. यह पहला मामला नहीं है कि जब खड़े हेलीकॉप्टर की चपेट में कोई आया हो, इससे पहले भी 2010 में एक कर्मचारी की मौत ऐसे ही हो चुकी है. ऐसे में हेली सेवाएं शुरू होने से पहले ही सुरक्षा पर सवाल खड़े होने लगे हैं.
यमुनोत्री धाम यात्रा मार्ग पर दो श्रद्धालुओं की हुई मौत: 22 अप्रैल को यमुनोत्री धाम के कपाट खुले थे, लिहाजा, पहले दिन ही यमुनोत्री धाम की चढ़ाई चढ रहे एक श्रद्धालु की मौत हो गई. यही नहीं, 23 अप्रैल को भी यात्रा के दौरान एक श्रद्धालु की हृदय गति रुकने से मौत हो गई. यह कोई पहला मामला नहीं है बल्कि हमेशा ही यमुनोत्री धाम यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की मौत हृदय गति रुकने से होती रही है. पिछले कुछ सालों पर गौर करें तो साल 2022 में सर्वाधिक 48 श्रद्धालुओं की मौत यमुनोत्री धाम के यात्रा मार्ग पर हृदयगति रुकने से मौत हुई है. इससे पहले की बात करें तो यमुनोत्री यात्रा मार्ग पर साल 2019 में 12 श्रद्धालुओं, 2018 में 16 श्रद्धालुओं, 2017 में 17 श्रद्धालुओं, 2016 में 13 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी.
स्वास्थ्य विभाग पर उठने लगे सवाल: साल 2022 में यात्रा सीजन के दौरान करीब 300 श्रद्धालुओं की मौत हृदय गति रुकने से हुई थी. इस दौरान यमुनोत्री धाम में करीब 48 श्रद्धालुओं की मौत हृदय गति रुकने से हुई थी. जिसको ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने इस बात पर जोर दिया था कि इस यात्रा सीजन के दौरान किसी भी श्रद्धालुओं की मौत नहीं होगी, लेकिन, यात्रा शुरू होने के साथ ही दो दिन में दो श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. ऐसे में यात्रा की शुरुआत होते ही स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खुलती नजर आ रही है. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने इस बात पर भी जोर दिया था कि यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की जांच की जाएंगी, लेकिन, ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है.
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2010 में हेलीकॉप्टर से एक व्यक्ति की हो चुकी है मौत: बाबा केदारनाथ धाम के लिए 25 अप्रैल से हेली सेवाएं शुरू हो रही हैं. उससे पहले 23 अप्रैल को डीजीसीए की टीम निरीक्षण करने पहुंची थी, लेकिन, इसी दौरान केदारनाथ हेलीपैड पर खड़े हेलीकॉप्टर के चपेट में आने से यूकाडा के वित्त नियंत्रक एवं महाप्रबंधक अमित सैनी की मौत हो गई. इसी तरह की एक घटना 13 साल पहले साल 2010 में हुई थी. उस दौरान केदारनाथ हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर के लैंडिंग के दौरान बैलेंस बिगड़ने से एक कर्मचारी की हेलीकॉप्टर के पंखे से कटकर मौत हो गई थी. बीते दिन हुई इस घटना की जांच के निर्देश दिए जो चुके हैं. लिहाजा जांच के बाद ही इस घटना के असल वजह का पता चल सकेगा.
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हेली सेवाएं शुरू होने से पहले उठने लगे सवाल: 23 अप्रैल को केदारनाथ हेलीपैड पर एक अधिकारी के मौत के बाद से ही एक बार फिर सेवाओं की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं. अभी हेली सेवाएं शुरू ही नहीं हुई थी कि उससे पहले ही एक अधिकारी की मौत हो गई है. ऐसे में हेली सेवा शुरू होने के बाद की व्यवस्थाएं क्या होंगी यह एक बड़ा सवाल है? क्योंकि जहां एक ओर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम एक बड़ी चुनौती रहती है, तो, वहीं, दूसरी ओर एक समय में हवा में रहने वाले हेलीकॉप्टर की अधिकतम संख्या के मानक के उल्लंघन के भी मामले सामने आते रहते हैं. ऐसे में इस घटना के बाद हेली सेवाओं की सुरक्षा पर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं. बता दें 7 मई तक बाबा केदारनाथ धाम के लिए 12 हजार से अधिक यात्री हेली सेवाओं की बुकिंग करा चुके हैं.
पिछले 10 सालों में 12 बार हुई है हेली दुर्घटनाएं
- 12 जून 2010 को केदारनाथ हेलीपैड पर लैंडिंग के दौरान एक कर्मचारी की हेलीकॉप्टर के पंखे से कटकर मौत हो गई थी.
- 21 जून 2013 को राहत बचाव कार्य में लगा एक निजी हेलीकॉप्टर केदार घाटी के जंगलचट्टी के समीप क्रैश हो गया. जिसमें पायलट की मौत हो गई थी.
- 25 जून 2013 को केदारघाटी में वायु सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर कैश हो गया था. जिसमें 20 जवानों की मौत हो गई थी.
- 28 जून 2013 को गरुड़चट्टी के पास हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था. जिसमें पायलट और को-पायलट समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी.
- 25 मई 2016 को केदारनाथ से टेकऑफ करते समय हेलीकॉप्टर का दरवाजा खुल गया था.
- 10 जून 2017 को बदरीनाथ धाम में टेकऑफ करते वक्त हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था. जिससे इंजीनियर की मौत हो गई थी.
- 3 अप्रैल 2018 को केदारनाथ में वायुसेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर दो हिस्सों में टूट गया था.
- 13 मई 2019 को केदारनाथ में टेकऑफ के दौरान हेलीकॉप्टर में तकनीकी खराबी आ गई, जिसके बाद उसकी इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई.
- 21 अगस्त 2019 को उत्तरकाशी के आराकोट में हेलीकॉप्टर, ट्रॉली के तार में उलझ गया. जिससे हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया. जिससे पायलट और को - पायलट समेत तीन लोगों की मौत हो गई.
- 23 अगस्त 2019 को उत्तरकाशी के आराकोट क्षेत्र में ट्रॉली के तार में उलझने से हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. जिसमें पायलट घायल हो गए.
- 18 अक्टूबर 2022 को केदारनाथ से गुप्तकाशी आ रहा हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया. इस दुर्घटना में पायलट समेत सात लोगों की मौत हो गई.
- 23 अप्रैल 2023 को केदारनाथ हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर के टेल रोटर की चपेट में आने से यूकाडा के वित्त नियंत्रक की मौत हो गई.