दावणगेरे : आम तौर पर सांप का नाम सुनते ही लोगों को सांप सूंघ जाता है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में कुछ जगहों पर लोगों के साथ सांप रहते हैं. हम यहां आपको भारत के ऐसे गांव के बारे में बता रहे हैं, जहां सांपों की खतरनाक प्रजाति के साथ लोग खेलते हैं. यहां बच्चे भी बड़े-बड़े सांपों को नचाते हैं.
भारत में प्राचीन काल से ही विभिन्न जीव-जंतुओं की पूजा होती आ रही है. इनमें सांप भी आते हैं, जिन्हें भगवान शिव धारण करते हैं. भले ही सांपों को भारत में पूजा जाता है, लेकिन इन्हें देखकर लोगों को डर भी लगता है. कर्नाटक में एक ऐसा गांव हैं, जहां लोग सांपों के साथ घूमते हैं और खेलते हैं.
कर्नाटक के इस गांव का नाम नागनहल्ली है. यह गांव दावणगेरे जिले में पड़ता है. इस गांव को कोबरा सांपों का घर भी कहा जाता है. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि गांव के लोगों को सांप नुकसान भी नहीं पहुंचाते. इस गांव में किसी को भी इन सांपों से कोई परेशानी नहीं हुई है और सर्पदंश से किसी की मृत्यु नहीं हुई है. इस गांव में छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी सांप को पकड़ने में माहिर हैं.
बच्चों को नहीं है डर
नागेनहल्ली गांव के चन्नागिरी तालुक दावणगेरे जिला 'नाश्ता गांव' के रूप में प्रसिद्ध है. इस गांव में और भी सांप हैं और ग्रामीणों के साथ घुलमिल कर रहते हैं. अक्सर ईश्वर और अंजनेया के मंदिर के पास के गांव में देखा जाता है कि गांव में छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक के साथ सांप खेलते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सांप के काटने पर भी किसी की जान नहीं गई.
'अंजनेय का तीर्थ पिया जाए तो सर्पदंश ठीक हो जाता है'
इस गांव में कई सालों से सांप आ रहे हैं और लोगों का मानना है कि यह भगवान अंजनेय का चमत्कार है. ग्रामीणों का मानना है कि जिस किसी को भी अगर सांप ने काट लिया तो उसे मंदिर में तीन दिन तक रहना चाहिए और अंजनेय का तीर्थ पीना चाहिए, इससे वे ठीक हो जाते हैं.
सांपों का अंतिम संस्कार
यही नहीं जब गांव में गलती से सांप की मौत हो जाती है. तो गांव वाले इंसानों की तरह ही अंतिम संस्कार भी करते हैं.
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