नई दिल्ली : भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के सफल कार्यान्वयन के लिए एक शांतिपूर्ण पूर्वोत्तर की एक रणनीतिक आवश्यकता है. इसे प्राप्त करने के लिए अन्य विद्रोही समूहों द्वारा शांति की दिशा में निरंतर प्रयास किए जाने के साथ ही सामाजिक-आर्थिक विकास में वृद्धि, राजनीतिक समझौता के अलावा भारत-म्यांमार सीमा की पवित्रता बनाए रखने साथ ही प्रतिबंधित विद्रोही समूहों के खिलाफ सुरक्षा बलों द्वारा कार्रवाई जरूरी है. उक्त बातें शुक्रवार को असम राइफल्स के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर (director general of Assam Rifles Lt Gen PC Nair) ने कहीं.
लेफ्टिनेंट जनरल नायर ने जोर देकर कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की रणनीतिक स्थिति और चीन, बांग्लादेश, म्यांमार से इसकी निकटता के साथ-साथ विद्रोही समूहों को उनकी विरोधी एजेंसियों द्वारा उनको सामग्री मुहैया कराए जाने के साथ ही नैतिक समर्थन ने उग्रवाद को बढ़ावा दिया है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में अलगाववादी संगठनों को चीन के द्वारा गोपनीय रूप से सहायता प्रदान की जाती है, लेकिन पिछले दशकों में परिवर्तन आया है.
उन्होंने कहा कि विद्रोही समूहों को प्रशिक्षण और सामग्री देने के मामले में निश्चित रूप से कमी आई है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में भविष्य में भी भारत का चीन के साथ टकराव बने रहने की संभावना है. जनरल नायर ने कहा कि भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता में समृद्ध है. ऐसे में आर्थिक एकीकरण और समृद्धि की शुरुआत के लिए प्रस्तावों की विशाल क्षमता का दोहन करने के लिए इस समृद्धि के दोहन करने की आवश्यकता है. लेफ्टिनेंट जनरल नायर नई दिल्ली में 'पूर्वोत्तर में गहरी जड़ें जमा चुके उग्रवाद को दूर करने के लिए आर्थिक विकास की पूर्वापेक्षा' विषय पर एक सेमिनार में भाग ले रहे थे.लेफ्टिनेंट जनरल नायर ने कहा कि क्षेत्र के आर्थिक विकास से क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी, जो उन्हें उग्रवाद से दूर सही रास्ते पर ले जाएगा.
क्या है भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी : यह एक नीति बद्ध पहल है जो भारत के प्रशांत और एशिया क्षेत्रों तक फैला हुआ है और भारत को आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों में बढ़ावा देने का कार्य करता है. इस पॉलिसी का आधुनिक संस्करण 'लुक ईस्ट पॉलिसी' को माना जाता है. इस पॉलिसी को पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने सन् 1991 में लागू किया था तथा इस पॉलिसी के अंतर्गत क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तर पर व्यापार को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है और लोगों से लोगों के बीच संबंध को बढ़ाने के लिए भी इस पॉलिसी का प्रयोग किया जाता है. इसके पश्चात पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस पॉलिसी का गठन एक्ट ईस्ट पॉलिसी (Act East policy of India in Hindi) में कर दिया. इसकी शुरुआत नवंबर 2014 में म्यांमार के पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में की गई थी. सन् 1991 में भारत में 'लुक ईस्ट पॉलिसी' की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव द्वारा की गई थी. इस पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य भारत के व्यापार को पश्चिमी और पड़ोसी देशों से दक्षिण पूर्व के एशियाई देशों में तेजी से बढ़ावा देना है. यह पॉलिसी सन् 2014 में एनडीए के गठन होने तक ही रही.
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