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'चिकित्सा उपकरण' विषय पर बने अलग कानून, संसदीय समिति ने की सिफारिश

कोरोना महामारी के बाद से वैश्विक दृष्टि से भारत की एक बड़ी पहचान बनी है. अब संसद की एक समिति (Parliamentary Committee) ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से औषधि चिकित्सा उपकरण और प्रसाधन सामग्री पर संयुक्त विधेयक तैयार करने की जगह पर चिकित्सा उपकरण विषय पर पृथक कानून बनाने की सिफारिश की है. इसके साथ ही समिति ने एक राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण आयोग (National Medical Devices Commission) का गठन करने की भी बात कही है.

राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण आयोग
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Published : Sep 14, 2022, 4:13 PM IST

Updated : Sep 14, 2022, 10:34 PM IST

नई दिल्ली: संसद की एक समिति (Parliamentary Committee) ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) से औषधि, चिकित्सा उपकरण एवं प्रसाधन सामग्री पर संयुक्त विधेयक तैयार करने की बजाय चिकित्सा उपकरण विषय पर एक पृथक कानून बनाने और एक 'राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण आयोग' (National Medical Devices Commission) का गठन करने की सिफारिश की है. समाजवादी पार्टी (SP) सांसद रामगोपाल यादव (MP Ram Gopal Yadav) की अध्यक्षता वाली स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

'चिकित्सा उपकरण: विनियमन और नियंत्रण' (Medical Devices: Regulation and Control) विषय पर यह रिपोर्ट सोमवार को राज्यसभा के सभापति को सौंपी गई थी. इस रिपोर्ट के अनुसार समिति का यह मानना है कि चिकित्सा उपकरण पर नये विधान में ऐसे प्रावधान होने चाहिए, जिनसे देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव हो सके. संसदीय समिति ने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था एवं जीवन प्रत्याशा में बेहतरी, आय का स्तर एवं स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता के चलते हाल के वर्षों में चिकित्सा उपकरण का क्षेत्र एक व्यापक उद्योग बन गया है और इसके बेहतर विनियमन एवं नियंत्रण की जरूरत महसूस की गई है.

पढ़ें: गोवा में कांग्रेस के आठ विधायक भाजपा में शामिल होंगे, BJP प्रदेश अध्यक्ष का दावा

समिति का मानना है कि इस उद्योग के सभी पक्षकारों की भूमिका और जवाबदेही सहित विनिर्माण इकाईयों, चिकित्सा संस्थानों, प्रयोगशालाओं, क्लीनिकल ट्रायल से जुड़ी गतिविधियों के नियमन को लेकर एक सुसंगठित, समावेशी एवं गहन शोध वाले कानूनी ढांचे की जरूरत है. रिपोर्ट की माने तो समिति ने चिकित्सा उपकरणों के लिए अलग प्रावधान वाला नया ‘औषधि, चिकित्सा उपकरण एवं प्रसाधन सामग्री विधेयक’ तैयार करने के लिये समिति का गठन करने का स्वागत किया है.

लेकिन समिति का मानना है कि सरकार को इन विषयों पर संयुक्त विधेयक तैयार करने की बजाय चिकित्सा उपकरण उद्योग की क्षमता को देखते हुए चिकित्सा उपकरण पर एक पृथक कानून बनाना चाहिए. इस समिति ने कहा कि इस विषय पर समिति गठित करने की बजाय सरकार को एक ‘राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण आयोग’ गठित करना चाहिए, जो इस उद्योग से जुड़े सभी पहलुओं पर विस्तार से विचार करे और एक व्यापक नीति एवं संस्थागत ढांचे से युक्त एक समग्र कानून लाए.

पढ़ें: प्रशांत किशोर ने की नीतीश कुमार से मुलाकात, क्या साथ आने वाले हैं PK?

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने सिफारिश की है कि प्रस्तावित आयोग को चिकित्सा उपकरण से जुड़ी लाइसेंस की व्यवस्था के केंद्रीकरण के पहलुओं का भी अध्ययन करना चाहिए, ताकि मंजूरी की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके. रिपोर्ट के अनुसार भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र का आकार 11 अरब डॉलर का है और वैश्विक बाजार में देश की हिस्सेदारी 1.5 प्रतिशत की रहती है. जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद भारतीय बाजार का स्थान एशिया में चौथा है. कोविड-19 महामारी के बाद इस क्षेत्र में वृद्धि देखी गई है.

नई दिल्ली: संसद की एक समिति (Parliamentary Committee) ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) से औषधि, चिकित्सा उपकरण एवं प्रसाधन सामग्री पर संयुक्त विधेयक तैयार करने की बजाय चिकित्सा उपकरण विषय पर एक पृथक कानून बनाने और एक 'राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण आयोग' (National Medical Devices Commission) का गठन करने की सिफारिश की है. समाजवादी पार्टी (SP) सांसद रामगोपाल यादव (MP Ram Gopal Yadav) की अध्यक्षता वाली स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

'चिकित्सा उपकरण: विनियमन और नियंत्रण' (Medical Devices: Regulation and Control) विषय पर यह रिपोर्ट सोमवार को राज्यसभा के सभापति को सौंपी गई थी. इस रिपोर्ट के अनुसार समिति का यह मानना है कि चिकित्सा उपकरण पर नये विधान में ऐसे प्रावधान होने चाहिए, जिनसे देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव हो सके. संसदीय समिति ने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था एवं जीवन प्रत्याशा में बेहतरी, आय का स्तर एवं स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता के चलते हाल के वर्षों में चिकित्सा उपकरण का क्षेत्र एक व्यापक उद्योग बन गया है और इसके बेहतर विनियमन एवं नियंत्रण की जरूरत महसूस की गई है.

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समिति का मानना है कि इस उद्योग के सभी पक्षकारों की भूमिका और जवाबदेही सहित विनिर्माण इकाईयों, चिकित्सा संस्थानों, प्रयोगशालाओं, क्लीनिकल ट्रायल से जुड़ी गतिविधियों के नियमन को लेकर एक सुसंगठित, समावेशी एवं गहन शोध वाले कानूनी ढांचे की जरूरत है. रिपोर्ट की माने तो समिति ने चिकित्सा उपकरणों के लिए अलग प्रावधान वाला नया ‘औषधि, चिकित्सा उपकरण एवं प्रसाधन सामग्री विधेयक’ तैयार करने के लिये समिति का गठन करने का स्वागत किया है.

लेकिन समिति का मानना है कि सरकार को इन विषयों पर संयुक्त विधेयक तैयार करने की बजाय चिकित्सा उपकरण उद्योग की क्षमता को देखते हुए चिकित्सा उपकरण पर एक पृथक कानून बनाना चाहिए. इस समिति ने कहा कि इस विषय पर समिति गठित करने की बजाय सरकार को एक ‘राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण आयोग’ गठित करना चाहिए, जो इस उद्योग से जुड़े सभी पहलुओं पर विस्तार से विचार करे और एक व्यापक नीति एवं संस्थागत ढांचे से युक्त एक समग्र कानून लाए.

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इस रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने सिफारिश की है कि प्रस्तावित आयोग को चिकित्सा उपकरण से जुड़ी लाइसेंस की व्यवस्था के केंद्रीकरण के पहलुओं का भी अध्ययन करना चाहिए, ताकि मंजूरी की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके. रिपोर्ट के अनुसार भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र का आकार 11 अरब डॉलर का है और वैश्विक बाजार में देश की हिस्सेदारी 1.5 प्रतिशत की रहती है. जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद भारतीय बाजार का स्थान एशिया में चौथा है. कोविड-19 महामारी के बाद इस क्षेत्र में वृद्धि देखी गई है.

Last Updated : Sep 14, 2022, 10:34 PM IST
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