नई दिल्ली: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की संसदीय समिति (Parliamentary Committee of the Ministry of Health and Family Welfare) का कहना है कि दुनिया में करीब 71 फीसदी और भारत में 65 फीसदी मौतें गैर संचारी रोगों की वजह से होती है. 1990 से लेकर 2016 के बीच जितनी भी मौतें हुई हैं, उनमें एनसीडी का योगदान 37 फीसदी से बढ़कर 61 फीसदी हो गया है.
समिति ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय इन घटनाओं के संबंध में राज्यों में सर्वेक्षण करा सकती है. ताकि एनसीडी को रोकने की नीतियां बनाई जा सकें. राज्यसभा सांसद राम गोपाल यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय को जीवनशैली जागरूकता कार्यक्रम शुरू करना चाहिए. जो कि स्वस्थ भोजन, स्वस्थ जीवन पर ध्यान केंद्रित करे. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि विशेष रूप से किशोरों में मोटापे को रोकने वाली जीवनशैली को बढ़ावा देने की जरुरत है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार गैर संचारी रोग दुनिया भर में हर साल 41 मिलियन लोगों की जान लेता है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि हर साल दिल और फेफड़ों की बीमारी, स्ट्रोक, कैंसर और मधुमेह जैसे एनसीडी से लगभग 5.8 मिलियन लोग मर जाते हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि गैर संचारी रोग की चुनौती से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत जिला स्तर पर 640 एनसीडी क्लीनिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 5148 एनसीडी क्लीनिक स्थापित किए गए हैं. ताकि कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग की रोकथाम और नियंत्रण किया जा सके.
ईटीवी भारत से बात करते हुए लोकसभा सांसद और स्वास्थ्य मामलों की संसदीय समिति के सदस्य डॉ राजदीप रॉय ने इस बात पर जोर दिया कि एनसीडी का पता लगाने के लिए राज्यों में सर्वेक्षण आवश्यक है. डॉ रॉय ने कहा कि भारत में गैर-संचारी रोगों के कारण होने वाली मौतों के मामले और संख्या बढ़ रही है. अब समय आ गया है कि लोगों को एनसीडी से बचने के लिए उचित जीवन शैली बनाए रखनी चाहिए. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने मधुमेह, उच्च रक्तचाप और सामान्य कैंसर जैसे सामान्य एनसीडी की रोकथाम, नियंत्रण और जांच के लिए जनसंख्या आधारित पहल पहले ही शुरू कर दी है.