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हंगामे की भेट चढ़ रहा मानसून सत्र, क्या सरकार अपनाएगी ये रणनीति?

संसद का डेडलॉक खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे. विपक्ष बराबर दबाव की रणनीति अपना रहा है ऐसे में सरकार की मुश्किल ये है कि वो संसद में बगैर विपक्ष बिल पास कराती जाए या फिर अनिश्चित काल के लिए सदन स्थिगित (sine die) रहने दे. सूत्रों की माने तो सरकार अब इस लाइन पर भी विचार कर रही है कि यदि इस हफ्ते भी संसद की कार्यवाही इसी तरह हंगामे में धुलती रही तो सरकार को इसपर निर्णय लेना मजबूरी होगी. वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

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Published : Aug 3, 2021, 10:05 PM IST

नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र का तीसरा हफ्ता चल रहा है मगर विपक्षी पार्टियां मुख्य तौर पर पेगासस जासूसी कांड को लेकर सरकार से जवाब मांगने पर अड़ी हुई हैं. हालांकि बाकी मुद्दे पर सरकार चर्चा कराने को तैयार है. लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियां पेगासस को देश की सुरक्षा से जुड़ा मसला बताकर सबसे पहले उस पर चर्चा कराने की मांग पर अड़ी हैं.

मंगलवार का दिन भी इसी तरह संसद के हंगामे में ढल गया. नाश्ते पर जहां विपक्ष में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने अपने घर तमाम विपक्षी पार्टियों को एकजुट किया और सरकार के खिलाफ साइकिल यात्रा निकाल कर सभी विपक्षी पार्टियों के साथ संसद पहुंचे, वहीं इस विपक्षी एकता में आम आदमी पार्टी और बीएसपी नजर नहीं आयी. हालांकि पेगासस पर सरकार से जांच की मांग यह दोनों पार्टियां भी संसद के अंदर कर रही हैं.

2 हफ्ते में बर्बाद हो चुके 133 करोड़

2 हफ्ते में संसद में हंगामे की वजह से 133 करोड़ रुपये बर्बाद हो चुके हैं मगर विपक्ष पेगासस के साथ-साथ असम मिजोरम बॉर्डर पर चल रहे विवाद ,पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी और किसान बिल पर लगातार हंगामा कर रहा है. सूत्रों की मानें तो संसद के गतिरोध की वजह से लोकसभा में संभावित 54 में से मात्र 7 घंटे ही अभी तीसरे हफ्ते तक काम हो पाया है जबकि राज्यसभा में संभावित 53 घंटे में से मात्र 11 घंटे ही राज्यसभा की कार्यवाही चल पाई है.

इस दौरान मंगलवार को जब भारतीय जनता पार्टी की संसदीय पार्टी की बैठक हुई तो उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा कि विपक्ष चर्चा नहीं सिर्फ हंगामा चाहता है और संसद की गरिमा का अपमान संविधान का अपमान है. बावजूद इसके सरकार विरोधियों को एक प्लेटफार्म पर नहीं ला पा रही है. अलग-अलग मंत्रियों ने अपने हिसाब से सभी विपक्षी पार्टी के नेताओं से बात करने की कोशिश की लेकिन बावजूद संसद के डेडलॉक को खत्म करने के आसार नजर नहीं आ रहे.

सूत्रों की मानें तो सरकार एक के बाद एक कई बिल लोकसभा से पारित करवा चुकी है लेकिन अगर तीसरे हफ्ते भी संसद हंगामे के बीच इसी तरह गतिरोध चलता रहा तो इस हफ्ते के अंत तक सरकार संसद के साइन डाई से संबंधित भी कोई निर्णय ले सकती है.

टीएमसी सांसद के बयान से भाजपा खफा
टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन के इस बयान पर जिसमें संसद के बिल को अचार पापड़ की संज्ञा दी गई उसे लेकर भारतीय जनता पार्टी और पूरी सरकार ने कड़ा रोष जताया है. कहीं ना कहीं प्रधानमंत्री की तरफ से संसदीय पार्टी में की गई विपक्ष की आलोचना भी इसी से जोड़कर देखी जा रही है.
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने भारतीय जनता पार्टी की संसदीय पार्टी की बैठक के बाद बयान देते हुए कहा कि कल जो टीएमसी के सांसद ने जो बयान दिया है जिसमें उन्होंने संसद के विधेयको की तुलना पापड़ी चाट से की है इस पर प्रधानमंत्री ने कड़ी आपत्ति जताई है और इस पर कहा है कि संसद के विधेयकों की तुलना पापड़ी चाट से किया जाना संसद की गरिमा का अपमान है, कागज फाड़ना और उस पर माफी भी न मांगना विपक्ष का यह आक्रामक रवैया बिल्कुल गलत है.

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विपक्ष, पेगासस पर चर्चा से नीचे कुछ भी मानने को तैयार नहीं है और सरकार इस पर चर्चा कराने को तैयार नहीं हो रही है. ऐसे में संसद के मॉनसून सत्र का यह हफ्ता,निर्णायक और महत्वपूर्ण निर्णय वाला हो सकता है. क्योंकि सरकार ने अब गेंद विपक्ष के पाले में डाल दिया है. यदि संसद के सत्र को बीच में खत्म करना पड़ता है तो उसके आरोप भी विपक्षी पार्टियों पर ही मढ़े जाएंगे. यदि इसी तरह संसद के पैसे हंगामे में बर्बाद होते रहे तो उसकी जिम्मेदरी भी विपक्षी पार्टी और खासतौर पर कांग्रेस पर जोर शोर से डालने की तैयारी की जा रही है.

नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र का तीसरा हफ्ता चल रहा है मगर विपक्षी पार्टियां मुख्य तौर पर पेगासस जासूसी कांड को लेकर सरकार से जवाब मांगने पर अड़ी हुई हैं. हालांकि बाकी मुद्दे पर सरकार चर्चा कराने को तैयार है. लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियां पेगासस को देश की सुरक्षा से जुड़ा मसला बताकर सबसे पहले उस पर चर्चा कराने की मांग पर अड़ी हैं.

मंगलवार का दिन भी इसी तरह संसद के हंगामे में ढल गया. नाश्ते पर जहां विपक्ष में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने अपने घर तमाम विपक्षी पार्टियों को एकजुट किया और सरकार के खिलाफ साइकिल यात्रा निकाल कर सभी विपक्षी पार्टियों के साथ संसद पहुंचे, वहीं इस विपक्षी एकता में आम आदमी पार्टी और बीएसपी नजर नहीं आयी. हालांकि पेगासस पर सरकार से जांच की मांग यह दोनों पार्टियां भी संसद के अंदर कर रही हैं.

2 हफ्ते में बर्बाद हो चुके 133 करोड़

2 हफ्ते में संसद में हंगामे की वजह से 133 करोड़ रुपये बर्बाद हो चुके हैं मगर विपक्ष पेगासस के साथ-साथ असम मिजोरम बॉर्डर पर चल रहे विवाद ,पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी और किसान बिल पर लगातार हंगामा कर रहा है. सूत्रों की मानें तो संसद के गतिरोध की वजह से लोकसभा में संभावित 54 में से मात्र 7 घंटे ही अभी तीसरे हफ्ते तक काम हो पाया है जबकि राज्यसभा में संभावित 53 घंटे में से मात्र 11 घंटे ही राज्यसभा की कार्यवाही चल पाई है.

इस दौरान मंगलवार को जब भारतीय जनता पार्टी की संसदीय पार्टी की बैठक हुई तो उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा कि विपक्ष चर्चा नहीं सिर्फ हंगामा चाहता है और संसद की गरिमा का अपमान संविधान का अपमान है. बावजूद इसके सरकार विरोधियों को एक प्लेटफार्म पर नहीं ला पा रही है. अलग-अलग मंत्रियों ने अपने हिसाब से सभी विपक्षी पार्टी के नेताओं से बात करने की कोशिश की लेकिन बावजूद संसद के डेडलॉक को खत्म करने के आसार नजर नहीं आ रहे.

सूत्रों की मानें तो सरकार एक के बाद एक कई बिल लोकसभा से पारित करवा चुकी है लेकिन अगर तीसरे हफ्ते भी संसद हंगामे के बीच इसी तरह गतिरोध चलता रहा तो इस हफ्ते के अंत तक सरकार संसद के साइन डाई से संबंधित भी कोई निर्णय ले सकती है.

टीएमसी सांसद के बयान से भाजपा खफा
टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन के इस बयान पर जिसमें संसद के बिल को अचार पापड़ की संज्ञा दी गई उसे लेकर भारतीय जनता पार्टी और पूरी सरकार ने कड़ा रोष जताया है. कहीं ना कहीं प्रधानमंत्री की तरफ से संसदीय पार्टी में की गई विपक्ष की आलोचना भी इसी से जोड़कर देखी जा रही है.
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने भारतीय जनता पार्टी की संसदीय पार्टी की बैठक के बाद बयान देते हुए कहा कि कल जो टीएमसी के सांसद ने जो बयान दिया है जिसमें उन्होंने संसद के विधेयको की तुलना पापड़ी चाट से की है इस पर प्रधानमंत्री ने कड़ी आपत्ति जताई है और इस पर कहा है कि संसद के विधेयकों की तुलना पापड़ी चाट से किया जाना संसद की गरिमा का अपमान है, कागज फाड़ना और उस पर माफी भी न मांगना विपक्ष का यह आक्रामक रवैया बिल्कुल गलत है.

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विपक्ष, पेगासस पर चर्चा से नीचे कुछ भी मानने को तैयार नहीं है और सरकार इस पर चर्चा कराने को तैयार नहीं हो रही है. ऐसे में संसद के मॉनसून सत्र का यह हफ्ता,निर्णायक और महत्वपूर्ण निर्णय वाला हो सकता है. क्योंकि सरकार ने अब गेंद विपक्ष के पाले में डाल दिया है. यदि संसद के सत्र को बीच में खत्म करना पड़ता है तो उसके आरोप भी विपक्षी पार्टियों पर ही मढ़े जाएंगे. यदि इसी तरह संसद के पैसे हंगामे में बर्बाद होते रहे तो उसकी जिम्मेदरी भी विपक्षी पार्टी और खासतौर पर कांग्रेस पर जोर शोर से डालने की तैयारी की जा रही है.

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