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संसदीय पैनल की बैठक में हंगामा, कांग्रेस सांसदों ने की असम के CS के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव की मांग

गृह मामलों की संसदीय समिति की बैठक में कांग्रेस सांसदों ने असम के मुख्य सचिव पबन कुमार बोरठाकुर पर गुमराह करने का आरोप लगाया है. साथ ही कांग्रेस सांसदों ने विशेषाधिकार प्रस्ताव की मांग की है.

parl panel meet on home affairs
पबन कुमार बोरठाकुर
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Published : Jul 20, 2023, 7:09 AM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसदों ने असम के मुख्य सचिव पबन कुमार बोरठाकुर (IAS Paban Kumar Borthakur) पर राज्य में हिरासत शिविरों की संख्या को लेकर गृह मामलों की संसदीय समिति को गुमराह करने का आरोप लगाया है. इसको लेकर सांसदों ने बुधवार को सरकारी अधिकारी के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव की मांग की.

संसद भवन में आयोजित जेल-स्थिति, सुधार और बुनियादी ढांचे पर संसदीय समिति की बैठक में भी भाजपा और कांग्रेस सांसदों के बीच तीखी नोकझोंक हुई. पैनल असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्य में जेल-स्थिति, सुधार और बुनियादी ढांचे पर चर्चा कर रहा था. बैठक दोपहर करीब तीन बजे शुरू हुई. बैठक में भाजपा और कांग्रेस सांसदों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई, जब कुछ कांग्रेस सांसदों ने राज्य में हिरासत शिविरों की संख्या जानने की कोशिश की.

जैसे ही मुख्य सचिव बोरठाकुर ने पैनल को बताया कि राज्य में 200 कैदियों वाला एक हिरासत शिविर (डिटेंशन कैंप) है. जबकि भाजपा सांसद ने अधिकारी के बयान का विरोध करते हुए कहा कि इंटरनेट में मिले रिकॉर्ड के अनुसार, राज्य में छह हिरासत शिविर हैं. जिसके बाद बैठक में सांसदों के बीच बहस शुरू हो गई. कांग्रेस सांसदों ने दावा किया कि पैनल को गुमराह करने के लिए मुख्य सचिव के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने का यह उपयुक्त मामला है.

पैनल के एक सदस्य ने ईटीवी भारत से कहा, 'दो घंटे तक चली बैठक में कांग्रेस और बीजेपी सांसदों के बीच तीखी बहस देखने को मिली.' दिलचस्प बात यह है कि पैनल के अध्यक्ष भाजपा के राज्यसभा सांसद बृजलाल ने कहा कि पैनल अधिकारी द्वारा दिए गए बयान के आधार पर काम करेगा, न कि 'इंटरनेट में पाए गए रिकॉर्ड के आधार पर.' समिति ने हिरासत शिविरों में भोजन की गुणवत्ता के मुद्दे पर भी भी चर्चा की.

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कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने मांग की कि डिटेंशन कैंप में भोजन की गुणवत्ता की दैनिक आधार पर जांच की जानी चाहिए. सरकारी अधिकारी ने बताया कि डिटेंशन कैंपों में खाने की गुणवत्ता की जांच महीने में एक बार की जाती है. बैठक खत्म होने से ठीक पहले कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी समिति की बैठक से बाहर चले गए.

पैनल ने ओडिशा सरकार द्वारा उठाए जा रहे जेल सुधारों और बुनियादी ढांचे के विकास की सराहना की. हालाँकि, पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव बैठक में शामिल नहीं हुए. आपको बता दें कि असम में विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किए गए लोगों को हिरासत शिविरों में रखा जाता है.

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसदों ने असम के मुख्य सचिव पबन कुमार बोरठाकुर (IAS Paban Kumar Borthakur) पर राज्य में हिरासत शिविरों की संख्या को लेकर गृह मामलों की संसदीय समिति को गुमराह करने का आरोप लगाया है. इसको लेकर सांसदों ने बुधवार को सरकारी अधिकारी के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव की मांग की.

संसद भवन में आयोजित जेल-स्थिति, सुधार और बुनियादी ढांचे पर संसदीय समिति की बैठक में भी भाजपा और कांग्रेस सांसदों के बीच तीखी नोकझोंक हुई. पैनल असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्य में जेल-स्थिति, सुधार और बुनियादी ढांचे पर चर्चा कर रहा था. बैठक दोपहर करीब तीन बजे शुरू हुई. बैठक में भाजपा और कांग्रेस सांसदों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई, जब कुछ कांग्रेस सांसदों ने राज्य में हिरासत शिविरों की संख्या जानने की कोशिश की.

जैसे ही मुख्य सचिव बोरठाकुर ने पैनल को बताया कि राज्य में 200 कैदियों वाला एक हिरासत शिविर (डिटेंशन कैंप) है. जबकि भाजपा सांसद ने अधिकारी के बयान का विरोध करते हुए कहा कि इंटरनेट में मिले रिकॉर्ड के अनुसार, राज्य में छह हिरासत शिविर हैं. जिसके बाद बैठक में सांसदों के बीच बहस शुरू हो गई. कांग्रेस सांसदों ने दावा किया कि पैनल को गुमराह करने के लिए मुख्य सचिव के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने का यह उपयुक्त मामला है.

पैनल के एक सदस्य ने ईटीवी भारत से कहा, 'दो घंटे तक चली बैठक में कांग्रेस और बीजेपी सांसदों के बीच तीखी बहस देखने को मिली.' दिलचस्प बात यह है कि पैनल के अध्यक्ष भाजपा के राज्यसभा सांसद बृजलाल ने कहा कि पैनल अधिकारी द्वारा दिए गए बयान के आधार पर काम करेगा, न कि 'इंटरनेट में पाए गए रिकॉर्ड के आधार पर.' समिति ने हिरासत शिविरों में भोजन की गुणवत्ता के मुद्दे पर भी भी चर्चा की.

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पैनल ने ओडिशा सरकार द्वारा उठाए जा रहे जेल सुधारों और बुनियादी ढांचे के विकास की सराहना की. हालाँकि, पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव बैठक में शामिल नहीं हुए. आपको बता दें कि असम में विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किए गए लोगों को हिरासत शिविरों में रखा जाता है.

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