नई दिल्ली: शहरी विकास पर एक स्थायी समिति ने स्मार्ट सिटी परियोजना के कार्यान्वयन में अनियमितताओं की रिपोर्ट के बाद केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय(MoHUA) की आलोचना की है. बता दें, भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति ने भी यह पाया कि मोदी सरकार की इस योजना के शुरू होने के लगभग पांच साल बाद भी कई शहरों में कोई प्रगति नहीं हुई है.
समिति की जांच से पता चला है कि 25 जून 2015 को शुरू हुई 100 स्मार्ट शहरों की परियोजना के तहत कई शहरों में कोई भी सार्थक काम नहीं किया गया है. समिति ने विशेष रूप से जयपुर में स्मार्ट सिटी परियोजना में लगातार बदलाव पाया है. वहीं, पटना में स्मार्ट सिटी मिशन में अनियमितता पाई गई. इसके अलावा श्रीनगर और जम्मू के स्मार्ट शहरों में कोई बड़ा काम नहीं हुआ है. हालांकि, समिति ने सूरत और इंदौर के स्मार्ट शहरों में अच्छा काम हुआ है.
समिति ने सुझाव दिया कि अच्छा प्रदर्शन करने वाले शहरों के सभी कामों को दूसरे राज्यों में भी दोहराने की जरूरत है ताकि स्मार्ट सिटी मिशन का इस्तेमाल आम आदमी और समाज के लिए किया जा सके. आगे स्पष्ट किया गया कि अहमाबाद, नागपुर, रांची, भोपाल, कानपुर शहरों ने अच्छा काम किया है.
पढ़ें: मानवीय हालात का राजनीतिकरण का बढ़ता चलन दुर्भाग्यपूर्ण: भारत
अच्छा काम करने वाले टॉप 5 शहर: सूरत, इंदौर, अहमदाबाद, नागपुर, आगरा.
सबसे खराब काम करने वाले 5 शहर: श्रीनगर, जम्मू, औरंगाबाद, रायपुर, पटना.
स्मार्ट सिटी योजना को लॉन्च करने का मुख्य उद्देश्य देश की जनता को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं. इस योजना के तहत करीब 2.01 लाख करोड़ के निवेश की बात कही गई थी.